SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इसी क्रम में गंगाशहर में आचार्यप्रवर के सान्निध्य में 25-7-78 से 31-7-78 तक एक सप्ताह का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें 15 उपासकों ने भाग लिया। इस योजना के अंतर्गत ब्राह्मी विद्यापीठ की मुमुक्षु साधिकाएं तीन समूहों में विभाजित होकर बेंगलोर, गोहाटी एवं सेंतियाँ नामक स्थानों पर गई थीं, जहाँ उन्हें अपने कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने में आशातीत सफलता मिली है। बेंगलोर का दल जिसका नेतृत्व कुमारी कुसुम ने किया, बड़ी सफलता के साथ उस प्रान्त में अपनी स्थायी छाप छोड़कर लौटा । कुमारी कुसुम स्नातकोत्तर कक्षा की छात्रा है । साधना विभाग तुलसी अध्यात्म नीडम् के अन्तर्गत प्रेक्षा-ध्यान तथा अध्यात्म योग नैतिक शिक्षा प्रशिक्षण व्यवस्थित रूप से चल रहा है। दिनांक 16 मई से 25 मई तक द्वितीय अध्यापक अध्यात्म योग नैतिक शिक्षा शिविर आचार्य श्री तुलसी के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ, जिसमें नागौर जिले के 21 विद्यालयों के 30 अध्यापकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। अभी 45 अध्यापकों द्वारा नागौर जिले के 32 विद्यालयों में अध्यात्म योग नैतिक शिक्षा कार्यक्रम चलाया जा रहा है । अप्रैल में हुई विद्यार्थियों की अध्यात्म योग नैतिक शिक्षा परीक्षा में 151 विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिन्हें प्रमाण-पत्र तथा पुरस्कार भेजा जा रहा है। दिनांक 1 जून से 10 जून तक मुनि श्री नथमल जी के निर्देशन में प्रेक्षा-ध्यान शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें भारत के विभिन्न स्थानों के 45 भाई-बहिनों ने भाग लिया। इस शिविर में अर्जेन्टाइना के उपासक श्री मोक्षानन्द जी ने भी भाग लिया। पंचम प्रेक्षा-ध्यान शिविर दिनांक 25 अगस्त से 3 सितम्बर तक गंगाशहर में आचार्य श्री तुलसी के सान्निध्य तथा मनि श्री नथमल जी के दिशा निर्देशन में आयोजित किया गया, जिसमें अनेक साधकों ने भाग लिया। शिविर में 'नमस्कार महामंत्र' पर मुनि श्री नथमल द्वारा विशेष प्रवचन-माला का आयोजन किया गया। प्रज्ञा-प्रदीप में निरन्तर साधना क्रम जारी है। मुनि श्री महेन्द्र कुमार जी तथा मुनि श्री प्रबुद्धकुमार जी के सान्निध्य में ध्यान की कक्षाएं लगती हैं। जयाचार्य साहित्य संग्रह विभाग तेरापंथ के चतुर्थ प्राचार्य श्रीमज्जयाचार्य के विशाल साहित्य का संकलन उक्त विभाग द्वारा किया जा रहा है । यह साहित्य लगभग साढ़े तीन लाख पद्यों में गुम्फित है । अधिकांश साहित्य धारकर उसकी पांडुलिपियां तैयार कर ली गई हैं। भगवती की जोड़ जैसे विशाल ग्रन्थ के 5000 पृष्ठों में से 4000 पृष्ठ धारे जा चुके हैं। धारे हुये साहित्य को मिलाने का कार्य चालू कर दिया गता है । समस्त कार्य मुनि श्री नवरत्नमल जी की देख-रेख में होता रहा है । संग्रहीत कृतियों को मूल प्रतियों से मिलाने के कार्य में श्री बुद्धमल जी खटेड़ का स्तुत्य सहयोग रहा, इसके लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद । - इस कड़ी का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य साधु-साध्वियों का इतिहास लेखन है। मुनि श्री नवरत्नमल जी द्वारा स्वामी जी से लेकर तुलसी गणीराज तक के साधु-साध्वियों का पद्यबद्ध जीवन-चरित्र लिखने का कार्य अनवरत गति से चल रहा है, जिसमें सात आचार्यों के शासन १८४ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524515
Book TitleTulsi Prajna 1978 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya, Nathmal Tatia, Dayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1978
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy