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जैन विश्व भारती : प्रवृत्ति एवं प्रगति जैन विश्व भारती के सभी तीनों विभाग-शोध, शिक्षा एवं साधना निरन्तर प्रगति की और अग्रसर हो रहे हैं।
शोध विभाग
शोध विभाग में इस वर्ष से कई नयी योजनाएं प्रारंभ की गई हैं तथा उनकी क्रियान्विति के लिए सतत् प्रयत्न किये जा रहे हैं। प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं
(1) जैन विश्वकोश-जैन विश्वकोश की योजना को कार्यान्वित करने के लिए, उसका अंतिम प्रारूप डा० नथमल टाटिया, निदेशक, शिक्षा व शोध विभाग द्वारा तैयार कर लिया गया है। उपर्युक्त योजना के संदर्भ में इस तथ्य का विशेष ध्यान रखा गया है कि विद्वद-समाज के सम्मुख जैन-विद्या के सभी महत्त्वपूर्ण विषयों का समग्र एवं पूर्ण परिचय प्रदान करने वाला एक महद् आकर-ग्रंथ प्रस्तुत किया जाय, जो अब तक इस विषय पर हुई शोध को भी समाहित करते हुए शोध के नये आयाम प्रस्तुत करने वाला हो । जैन-विद्या के क्षेत्र में कार्य करने वाले भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वानों हेतु इस प्रकार का कोई संदर्भ ग्रन्थ अब तक उपलब्ध नहीं है।
इस जैन विश्वकोश में देश भर के प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा लगभग 1000 शब्दों पर लेख लिखे जायेगे। अब तक ऐसे 450 शब्दों की प्रारम्भिक सूची बना ली गयी है । कोश के निर्माण में आधुनिक तथा वैज्ञानिक शोध पद्धति अपनाई जा रही है । अंग्रेजी के वर्णानुक्रम से अंग्रेजी, संस्कृत व प्राकृत के शब्दों पर लेख लिखे जायेंगे। The Encyclopaedia of Religion and Ethics तथा Encyclopaedia of Buddhism को इस कार्य के लिए आदर्श बनाया गया है । इस महद् योजना में समय-समय पर मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु एक सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इन विद्वानों एवं अधिकारियों की प्रथम बैठक 7-9 अगस्त को गंगाशहर में आचार्य श्री तुलसी के सान्निध्य में रखी गई थी, जिसमें निम्न विद्वान् उपस्थित हुए
(1) श्री श्रीचंद रामपुरिया, कुलपति (2) श्री श्रीचंद बैंगानी, मंत्री-जैन विश्व भारती (3) प्रो० दलसुखभाई मालवणिया, सदस्य (4) प्रो० एस. के. रामचन्द्र राव, सदस्य
(5) प्रो. के. सी. सोगानी, सदस्य खंड ४, अंक २
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