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प्रायः वनों में बहुत देखने में आते हैं। पत्ते पान के समान और फल नारंगी के समान सुन्दर-सुन्दर होते हैं। इसके बीजों को कुचला कहते हैं । कारस्कर का पका फल विषद और पाक में मधुर होता है-तत्पक्वं विषदं गुरु । पाके च मधुरं प्रोक्तं..। इस वर्णन के अनुसार किम्पाकफल कुचलावृक्ष का फल है ।
___ वनस्पतिसृष्टि नामक पुस्तक में किपाकफल का वर्णन इस प्रकार मिलता है : अपक्व अवस्था में नीले रंग का । पकने पर नारंगी के रंग का उसीके जितना उसकी गिरी सहज मधुर होती है। उसे पक्षी और बंदर खाते हैं। फल की गिरी के सिवा सब अंग-कटुक होते हैं । सारा फल जहरीला होता है । इसके बीज को अंग्रेजी में स्ट्रिकनाम नक्सवोमिका (Strychnos Nux vomica) कहा जाता है । यह बटन के आकार का रूपेली. मखमल की तरह मुलायम, अति कठोर, बीच में रकाबी जैसे गड्डेवाला होता है।
वी. एस. आपटे ने भी किपाक के विषय में लिखा है-a medical plant, Strychnos Nux vomica कुचला)।2।।
इस तरह स्पष्ट हो जाता है कारस्कर (कुचला) वृक्ष का फल ही किम्पाकफल होता है।
नीचे किम्पाक वृक्ष, किम्पाक फल और बीज के चित्र दिये जा रहे हैं ।
MANTRA
1. वनस्पतिसृष्टि (गुज०) स्कंध बीजो पृ० 61 2. The practical Sanskrit-English Dictionary p. I page : 572
३.
तुलसी प्रज्ञा
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