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________________ प्रतीत होता है कि ईसवी सन् से 3000 वर्ष पूर्व में ही भारतवासियों ने ज्योतिषशास्त्र और भूमितिशास्त्र में अच्छी पारदर्शिता प्राप्त कर ली थी । 25 (x) कर्नल टॉड ने अपने राजस्थान नामक ग्रंथ में लिखा हैं कि हम उन ज्योतिषियों को कहाँ पा सकते हैं, जिनका ग्रहमण्डल सम्बन्धी ज्ञान अब भी यूरुप में आश्चर्य उत्पन्न कर रहा है 196 (xi) विख्यात चीनी विद्वान् लियाँग चिचाव के शब्दों में "वर्तमान सभ्य जातियों ने जब हाथ-पैर हिलाना भी प्रारम्भ नहीं किया था तभी हम दोनों भाइयों (चीन व भारत) ने मानव सम्बन्धी समस्याओं को ज्योतिष जैसे विज्ञान द्वारा सुलभाना आरम्भ कर दिया था । 27 (xii) प्रो० कोलब्रुक ने लिखा है कि "भारत को ही सर्वप्रथम चान्द्रनक्षत्रों का ज्ञान था। चीन और अरब के ज्योतिष का विकास भारत में ही हुआ है। उनका क्रान्ति मण्डल हिन्दुओं का ही है । निस्सन्देह उन्हीं से अरब वालों ने इसे लिया था | 28 (xiii) डी. मार्गन ने स्वीकार किया है कि "भारतीयों का गणित और ज्योतिष, यूनान के किसी भी गणित या ज्योतिष के सिद्धान्त की अपेक्षा महान् है । इनके तत्व प्राचीन और मौलिक हैं । 29 (xiv) डा० राबर्टसन का कथन है कि “12 राशियों का ज्ञान सबसे पहले भारतवासियों को ही हुआ था । भारत ने प्राचीन काल में ज्योतिर्विद्या में अच्छी उन्नति की थी 130 (xv) मिस्टर मारिया ग्राह्य की सम्मति है कि "समस्त मानवीय परिष्कृत विज्ञानों में ज्योतिष मनुष्य को ऊंचा उठा देता है । इसके प्रारम्भिक विकास का इतिहास संसार की मानवता के उत्थान का इतिहास है । भारत में इसके प्रादिम अस्तित्व के बहुत से प्रमाण मौजूद हैं । 31 (xvi) श्री लोकमान्य तिलक ने 'ओरायन' में बताया है कि भारत का नक्षत्र ज्ञान, जिसका कि वेदों में वर्णन आता है, ईसवी सन् से कम से कम 5000 वर्ष पहले का है 132 उपर्युक्त उद्धरणों से स्पष्ट है कि भारतीय ज्योतिषशास्त्र का उद्भव स्थान भारत 25. Ibid pp. 11-12 26. Ibid, pp. 11-12 27. Ibid, pp. 11-12 28. Ibid, pp. 11-12 29. Ibid, pp. 11-12 30. Ibid, pp. 11-12 31. Ibid, pp. 11-12 32. Ibid, PP. 11-12 ११४ Jain Education International For Private & Personal Use Only तुलसी प्रज्ञा www.jainelibrary.org
SR No.524510
Book TitleTulsi Prajna 1977 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya, Nathmal Tatia, Dayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1977
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size9 MB
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