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________________ बत्तीस वधु सुर वार वधु सम दिव्याम्बर रूप के गर्व में ब्राह्मण वेशधारी देव से शृगार सझ, कहते हैंनाना भूषण भूषित छण-छरण शालिभद्र शंशधर की शोभा जब ही खिलै, सब ग्रह की वाट भजे । ___ नक्षत्र मिलान मिल । कब उदय होत उद्योत करत दिनकर कब इनके बिन दिन में विधुवर लगे न प्यारो ।। - पाये अस्तगति, उपवन की आभा आब झिलं जब ही खबर न बीते वर्ष मास दिन छिन सम अहा पचरगे फूल खिल। सौभाग्य स्थिति । __ बिन पुत्र पुहुप हुर्वे जंगल जिम झकारो।। महिलां में मजुल मौज मनोज बिडोजा इसी तरहकी छवि नेरे हरे..'२० 'जब सिंहासन आरूढ़ बनू सब वस्त्राभूषण अनुप्रासों से ओतःप्रोत इस कृति साथ सनू । में पांच ढाळे और ६० पद्य हैं। लाखू नर निरखै म्हारो महर नजारो,फिर (५) भावदेव नागला देखो रूप हमागे।' २२ 'डूबते को तिनके का सहारा' इस थोड़े समय के बाद ही चक्रवर्ती के तथ्य का सही रूप प्रदर्शित करने वाली । शरीर में अनेक भयंकर रोग उत्पन्न होने इस कृति में ४ ढाळें तथा ८२ पद्य हैं। पर उसका गर्व चूर-चूर हो जाता है । इसमें साधना पथ से विचलित होने की अशोच भावना को विकसित करना इसका स्थिति में मुनि भावदेव को देखकर उनकी मुख्य प्रतिपाद्य है । पत्नी नागला चिन्तन करती है (७) अनाथी 'डगमग करती झोला खावै, नय्या बिन 'आज लगे पिण कब कबहि न कीन्हीं मैं तो पतवारी। भक्ति थारी । चीला उतरण-हारी दीसे गाडी बालिम बिन भक्ति जो तारण चाहे तो तू मुझ वारी ।। ने तारी॥ तल विहूणों दीपक ओ तो करस्यै अब मैं तो जाण्यो धर्म नाम नहिं आवश्यक ___ अंधियारी। कोई जग में । अतिम श्वास लहै जिम लागे ओ मुनि वेश पर अब समझू बिना धर्म, गाड़ी अटक विहारी ।। पग-पग में ।। अंतिम माया तो एक देस्यू जागृत हवै पर दुख परे स्मरे सब तुझको सुख में जदि नाडी। कुण स्मृति ल्याव । नहिं तर होण हार जो होस्ये भाग्य परीक्षा जो सुख में तुझनै नहिं भूल (तो) क्यू ___ म्हारी ॥२१ दुख झूले झूल ॥' २३ (६) सन्तकुमार चक्रवर्ती ये उद्गार एक युवक के हैं जिसकी ३ ढाळों की इस कृति में कुल ४० आंखों में एक बार विकराल वेदना हो पद्य हैं । इसमें चक्रवर्ती सन्तकुमार अपने गई । अनेक उपचारों के बाद भी जब वह २४ तुलसी प्रज्ञा-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524503
Book TitleTulsi Prajna 1975 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Gelada
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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