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________________ प्रस्तुत चरित्र में संवादों की शैली भी काफी रोचक और मनोवैज्ञानिक है। मुनि डालिम के आचार्य पद पर निर्वाचित होने की सूचना पाकर उनके सहवर्ती संत नाथूजी भाव-विभोर होकर निवेदन करते हैं - "दो हाथ कांबळी ऊपर अब कभी नै पोढण दय ला, ब कृपण पणे रा कापड़ा अब कभी नै ओढण दयू ला, हो म्हारा मुकुटमणी......।। म्हैं तो पहली जाणे हा, पिण आप एक ___नहीं मानी, अबतो माडाणी मानो आ टेलीग्राम निसाणी, चमक ज्यू हिरण कणी........॥ कहै डालिम रै नाथूजी । मत बोल, मौन तू राखे, आपां आगीने चालां, पहली देखे फिर भाख, सयाणा आ ररणी............।। देखता आंख्यां थांकी ओ छिप न भाग्य ११, अग्रणी १६३१, आचार्य १६४६ चैत्र कृष्णा ८ तथा स्वर्गवास १६५४ कार्तिक कृष्णा ३ सुजानगढ़ में हुआ था। प्रस्तुत कृति में मारणक गणि के सम्पूर्ण जीवन को संहब्ध किया गया है। २१ डाळे हैं उनको २८ प्राचीन लोक गीतों की धुनों में रचा गया है। इसके कुल पद्य ५६४ हैं। जिनमें दोहा, सोरठा १२८, लावणी छंद २५, गीतक छंद ८ तथा कलश १ है। इसकी रचना संवत् २०१३ श्रावण कृष्णा ३ तथा पूर्ति २०१३ भाद्रव कृष्णा ४ सरदारशहर में हुई है । एक मास में पूर्त इस रचना के कई स्थल साहित्यिक दृष्टि से संग्रहणीय हैं। उदाहरण के रूप में छिपायो, काई रह्यो देखणो बाकी, स्वणिम सूरज उदियायो, है जागी कृत करणी.........।। अब लग मालिक कर सेत्या, आचारजारी आज्ञा सू। अब सकल संघ अधिनायक, प्यारा म्हारा प्राण सू। खिली अंबर धरणी.........।" (३) माणिक महिमा तेरापंथ के छठे आचार्य श्री माणक । गणि राजस्थान की राजधानी जयपुर के निवासी थे। उनका जन्म १६१२ भाद्रव कृष्णा ४, दीक्षा १६२८ फाल्गुन शुक्ला "पाटनगर ढूढाड़ देश को, जयपुर शहर पुराणो। राजस्थान महान राज्य को, अब है केन्द्र बखाणो । बड़ी मनोरम बणी सजावट, निरखत नयन लुभाव । देख्या शहर अनेक एक, जयपुर की छटा निराली।। वो जौहरी बाजार निहारो चिहूं और दृग ___डाली। चौपड़ रो चौगान देख चतुरां रो चित्त चकरावै॥ बण्यों हवाई 'हवामहल' त्यों त्रिपोलिय रो तोरो, लंबी-चौड़ी सड़ का में ह सागीड़ो जी सोरो । रामनिवास बाग में सावण भादुड़ो बरसावै ॥ मोती डूगर रा महलों मैं मोजीड़ो मन ___ भीजै, १८ तुलसी प्रज्ञा-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524503
Book TitleTulsi Prajna 1975 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Gelada
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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