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________________ कारण इन पर्वो की गूँज भाद्रपद मास के दूसरे पखवाड़े भर बराबर सुनाई देती रहती है। इसी प्रकार ब्रज की कृष्णभक्ति- परम्परा का पूरा प्रभाव होने के कारण श्रावण मास की ब्रज-परिक्रमाओं झाँकियों और भाद्रपद मास के व्रतों की परम्परा भी यहाँ वर्षों से चली आ रही है। यद्यपि वैदिक संस्कृति के स्वाध्यायों की परम्परा विलुप्त सी हो गई प्रतीत होती है, किन्तु वैष्णवसम्प्रदाय की अनन्तचतुर्दशी आज भी इस बात का प्रतीक है कि ब्रह्मा, श्री सुरेश जैन, आई. ए. एस. भोपाल को श्रुत-संवर्द्धन पुरस्कार एवं समाजरत्न की उपाधि परमपूज्य सराकोद्धारक उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से स्थापित श्रुत संबर्द्धन संस्थान द्वारा श्री सुरेश जैन, आई.ए.एस. भोपाल का चयन विधि, पर्यावरण एवं व्यक्तित्व विकास के क्षेत्रों में , लेखन के माध्यम से दिए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष २००८ के श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार हेतु किया गया। श्रवणबेलगोल के आत्मीयता से ओतप्रोत पवित्र आध्यात्मिक परिवेश में श्री जैन को परमपूज्य ज्ञानसागर जी महाराज, स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक जी एवं स्वस्ति श्री धर्मकीर्ति भट्टारक जी के सान्निध्य में रुपये ५१,००० की सम्मान राशि, शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह, चाँदी की आरती एवं लायची की विशाल तथा सुन्दर माला से करतल ध्वनि के साथ सम्मानित किया गया। स्वास्ति श्री भट्टारक जी द्वारा उन्हें समाजरत्न से अलंकृत करते हुए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विमला जैन, जिला एवं सत्र न्यायाधीश का शाल, श्रीफल एवं माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया। भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष श्री आर.के. जैन ने अपने उद्बोधन में श्री सुरेश जैन की सर्वोच्च उपलब्धियों की सराहना करते हुए उल्लेख किया कि उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के वरिष्ठ पदों पर रहते हुए जैनसंस्कृति के संरक्षण में अमूल्य योगदान किया है। उन्होंने नैनागिरि क्षेत्र का चतुर्मुखी विकास कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। पूज्य उपाध्याय जी और स्वामी जी ने अपने प्रभावी शाब्दिक कवच एवं कुण्डल भेंट करते हुए उन्हें पूरी प्रसन्नता के साथ आशीर्वाद प्रदान किया। कर्नाटक जैनसमाज के अध्यक्ष इंजीनियर एस. जिनेन्द्र कुमार जैन, न्यायमूर्ति श्री अभय गोहिल, श्री नीरज जैन सतना एवं दक्षिण भारत जैन महामण्डल के पदाधिकारियों द्वारा श्री जैन के सामाजिक कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें मंगलकामनाएँ प्रदान की गई। बैंगलोर में पूज्य प्रमुखसागर जी के सान्निध्य में बैंगलोर चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री डी० सुरेन्द्र कुमार हेगड़े, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनीता हेगड़े एवं श्री विमुक्त शोभा जैन, द्वारा जैन दंपत्ति को बहुमान प्रदान किया गया । विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति के समन्वय को सनातन भारतीय परम्परा का परिचायक माननेवाला धार्मिक सनातनी वैष्णव, शेषशायी पृथ्वीपालक विष्णु को आज भी अपनी चेतना में अविभाज्य रूप से व्याप्त मानता हुआ उस अन्तर्यामी अनन्त की पूजा करता है, जो ब्रह्माण्ड के विराट् स्वरूप का प्रतीक है। 'भारतीय संस्कृति' ( आधार और परिवेश ) से साभार " बैंगलोर के सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री बाहुबली तुकोल ने श्री जैन के ६५ वे जन्म दिन पर बधाई देते हुए बताया कि उनके पिता न्यायमूर्ति टी. के. तुकोल द्वारा अँग्रेजी में कम्पेन्डियम ऑफ जैनिज्म लिखी गई है। श्री तुकोल ने श्री जैन से आग्रह किया कि वे इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद करें जिससे कि हिन्दी क्षेत्रों के पाठक इस पुस्तक का लाभ ले सकें। " इस अवसर पर श्री हँसकुमार जैन, मेरठ ने घोषणा की कि श्रुत-संबर्द्धन संस्थान द्वारा श्री सुरेश जैन द्वारा लिखित 'बड़े भाई की पाती' एवं 'अल्पसंख्यक विधि संहिता' शीघ्र ही पुनः प्रकाशित की जावेंगी। 20 दिसम्बर 2009 जिनभाषित पूज्य स्वामी जी की ओर से श्री सुरेश जैन को समर्पित अभिनन्दन पत्र का वाचन पण्डित ऋषभदास जी शास्त्री ने किया एवं श्री एच.पी. अशोक कुमार जी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ब्राम्हला द्वारा श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोल की ओर से जैन दंपत्ति का आत्मीयता पूर्वक स्वागत किया गया। विमुक्त शोभा जैन, जयनगर, बैंगलोर (कर्नाटक) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524346
Book TitleJinabhashita 2009 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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