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________________ समाचार जैनविद्या के विकास में काशी का योगदान । सदशिव द्विवेदी आदि विद्वान् और संकाय के छात्र उपस्थित सर्वविद्या की राजधानी काशी में जैनविद्या का भी | थे-संकाय प्रमुख संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी पर्याप्त विकास हुआ है। यहाँ के जैनक आचार्यों ने संस्थाओं | हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी की स्थापना और गम्भीर ग्रन्थों के लेखन और उद्धार पिच्छिका परिवर्तन समारोह सानंद संपन्न के द्वारा जैन साहित्य को समृद्ध किया है। पं० सुखलाल परम पूज्य १०८ आचार्य विद्यासागर जी महाराज संघवी ने पार्श्वनाथ विद्याश्रम की स्थापना कर अनुसन्धान के आध्यात्मिक शिष्य मुनि श्री १०८ क्षमासागर जी महाराज को नई दिशा दी। पं० दलसुख भाई मालवणिया ने आगम का पिच्छिका परिवर्तन समारोह अभूतपूर्व धर्मप्रभावना ग्रन्थों के सम्पादन और अनुवाद का ऐतिहासिक कार्य के साथ संपन्न हुआ, जिसमें पूज्य आर्यिका रत्न १०५ किया। पं० कैलाशचन्द्र जी शास्त्री ने नये विद्वानों को कुशलमति माता जी, धारणामति माता जी एवं पुराणमति तैयार करने में श्रम किया और पं० फूलचन्द्र जी शास्त्री माता जी के दर्शनों का लाभ प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में ने प्राचीन प्राकृत ग्रन्थों के सम्पादन और अनुवाद में रुचि सर्वप्रथम मंगलाचरण आशुतोष जैन के द्वारा चित्र अनावरण ली। प्रो० महेन्द्र कुमार, डॉ० दरबारी लाल कोठिया और श्री गुरुचरण दास जी मुम्बई, दीप प्रज्जवलन श्री सुरेन्द्र पं० उदयचन्द जैन आदि ने विशेष रूप से जैनन्याय के जी कटंगहा एवं रायपुर से पधारे महेन्द्र कुमार जैन 'चूड़ी ग्रन्थों का उद्धार प्रकाशन आदि किया। वालों के द्वारा किया गया। उक्त उद्गार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ० कार्यक्रम की अध्यक्षता सिंघई केवलचंद जैन के अशोक कुमार जैन के हैं। वे दिनांक २९ अक्टूबर २००९ द्वारा की गई। कार्यक्रम में मध्य में क्षमासागर जी महाराज का संस्कृत संकाय में काशी की जैन विद्वत् परम्परा को नवीन पिच्छी देने का सौभाग्य श्री संजय जैन उपमा और उसका साहित्यिक अवदान विषय पर बोल रहे साड़ीवाले को प्राप्त हुआ एवं महाराज श्री की पिच्छी थे। लेने का सौभाग्य स्व० पं० पन्नालाल जी के सुपुत्र श्री इस अवसर पर डॉ. जैन की पुस्तक 'जैनधर्म राकेश जैन बरगी हिल्सवालों को प्राप्त हुआ। मीमांसा' का लोकार्पण भी किया गया। पुस्तक की मुनिश्री जी ने पावन वर्षायोग कलश स्थापना में विशेषताओं के बारे में प्रो० सुदर्शन लाल जैन ने जानकारी श्री आचार्य विद्यासागर कलश श्री ब्र. संतोष जी सागर, दी। मेरठ की संस्था द्वारा सुमतिसागर स्मृति पुरस्कार | श्री आचार्य शांति सागर कलश श्री राजेश जी शिवपरी प्रदान करने पर संकाय प्रमुख प्रो० रमेशचन्द्र पण्डा ने एवं क्षमासागर कलश श्री नेमीचंद्र जी साधना केमिस्ट डॉ० जैन का अभिनन्दन करते हुए कहा कि यह सम्मान वालों को प्रदान किया गया। जैनविद्या के प्रति समर्पित डॉ. जैन का ही नहीं है बल्कि, । कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन ब्र. जिनेश भैया संकाय और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का भी है, | एवं संजय भैया जी द्वारा किया गया एवं उपस्थित ब्रम्हचर्य जहाँ योग्य विद्वानों को विद्या-साधना के पर्याप्त अवसर वर्ग में ब्र. सुरेन्द्र भैया जी एवं रविन्द्र भैया आदि ने सुलभ हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सम्पूर्णानन्द संस्कृत मुनिश्री के जीवन चरित्र पर वक्तव्य प्रस्तुत किया एवं विश्वविद्यालय के श्रमणविद्या संकायाध्यक्ष प्रो० रमेश कार्यक्रम में पधारे समस्त अतिथियों का सम्मान गुरुकुल कुमार द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वाराणसी ट्रस्ट कमेटी के सदस्यों द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम की सभी उच्च शिक्षा संस्थाओं में सभी प्राचीन ग्रन्थों का आभार प्रदर्शन में गुरुकुल कमेटी की महामंत्री श्री पर ऐतिहासिक और गम्भीर कार्य हो रहे हैं. किन्त सबको कमल कुमार दानी द्वारा किया गया। पर्याप्त प्रचार और सम्मान नहीं मिल पाया। अधिष्ठाता- ब्र. जिनेश कुमार जैन 'आदित्य' कार्यक्रम का संयोजन प्रो० सूर्यप्रकाश व्यास ने __ श्री वर्णी दि. जैन गुरुकुल, जबलपुर 'किया, जैन-बौद्ध दर्शन विभागाध्यक्ष प्रो० कमलेश कुमार __ चमत्कार जी में १२ कृतियों का विमोचन जैन ने स्वागत किया। समारोह में प्रो० विमलेन्दु कुमार, प्रो० विन्ध्वेश्वरी प्रसाद मिश्र प्रो० कृष्णाकान्त शर्मा, डॉ० । बुरहानपुर (म.प्र.), श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर नवम्बर 2009 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524345
Book TitleJinabhashita 2009 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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