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________________ जैनदर्शन की वर्तमान में प्रासंगिकता डॉ० पारसमल अग्रवाल ज्ञान - विज्ञान के क्षेत्र में बहुत तेजी से विश्व में । 1000000000000000000 (एक के आगे १८ शून्य) से भी तरक्की हो रही है । किन्तु कई कारणों से साधारण जनता अधिक स्थान (पृथ्वी जैसे ) इस ब्रह्माण्ड में हैं जहाँ न तो हमारे शास्त्रों का मर्म जान पाती है और न ही आधुनिक जीवधारी होने की संभावना है। ज्ञान का रहस्य । इसका परिणाम यह होता है कि साधारण जनता को विरोधाभास प्रतीत होता है और वह या तो विज्ञान को धिक्कारती है या धार्मिकज्ञान को व्यर्थ समझती है या वह इन दोनों में तटस्थ रहते हुए टी. वी. एवं सिनेमा द्वारा चित्रित मार्ग को ही जीवन का ध्येय जाने-अनजाने में बना लेती है। २. क्या दिन में भोजन करना व अण्डे - मांस, मद्य का त्याग लाभदायक है? चरणानुयोग के इन बिन्दुओं के सम्बन्ध में मेरे स्वयं के ४ वर्षों के अमरीका में रहकर वहाँ के जीवन को देखने समझने व वहाँ के आधुनिक साहित्य के आधार पर कुछ संकेत यहाँ देना चाहूँगा । (१) अमरीका की अधिकांश आबादी (८० प्रतिशत से अधिक ) शाम को ७ बजे के पूर्व अपना शाम का भोजन (Dinner ) ले लेती है । अमरीकी संस्कृति में यह सायं भोज का समय मुख्यतया स्वास्थ्य एवं सुविधा का कारण बना है । हमारे ऋषियों ने जो मार्ग बताया है वह लाभदायक है तथा आधुनिक विज्ञान भी सत्य की खोज में लगा हुआ है। दुनिया केवल उतनी ही नहीं है, जितनी हल्के-फुल्के समाचार-पत्र, साहित्य एवं फिल्मी दुनिया में चित्रित होती है । इस कथन को स्पष्ट करने का इस लेख में अति संक्षेप में प्रयास किया जा रहा है। जैनदर्शन के चारों अनुयोगों का समावेश करने की दृष्टि से प्रत्येक के कुछ ही उदाहरण प्रस्तुत करना संभव हो सकेगा। प्रत्येक अनुयोग के लिए एक प्रश्न एवं उसके उत्तर द्वारा तथ्य स्पष्ट किये जाने का प्रयास यहाँ किया गया है। १. क्या पृथ्वी के अतिरिक्त अन्यत्र जीव हैं? जैन करणानुयोग में शंका करते हुए सबसे वजनदार शंका यह होती है कि 'स्वर्ग-नरक किसने देखा? जो भी है वह इस पृथ्वी पर ही है।' कुछ इस शंका का पूर्ण समाधान क्या विज्ञान कर सकेगा? कब तक? इन प्रश्नों का उत्तर देना कठिन कार्य है। किन्तु यह जानना उपयोगी होगा कि अब तक विज्ञान कितना जान पाया है । १९६७ में औषधि विज्ञान का नोबिल पुरस्कार प्राप्त करनेवाले वैज्ञानिक जार्ज वाल्ड ने एक लेख में यह स्पष्ट बताया है “ The smallest estimate we would consider of the fraction of stars in the milky way that should have a planet that could support life is one percent. That means a billion such places in our own home galaxy, and with a billion such galaxies within reach of our telescopes, the already observed universe should contain at least a billion billion-10 places that can support life." तात्पर्य यह है कि जार्ज वाल्ड के अनुसार 14 सितम्बर 2009 जिनभाषित Jain Education International (२) आज मोटापा एवं कोलेस्टरल की समस्या अमरीका में इतनी बढ़ गई है कि लगभग प्रत्येक पत्रपत्रिका में खानपान के सम्बन्ध में लेख प्रकाशित होते रहते हैं व एक स्वर से लगभग सभी लेख अण्डे एवं मांस का प्रयोग हानिकारक बताते हैं । अण्डा अब अमरीका में खलनायक हो गया है। अण्डे में कोलेस्टरल की मात्रा सबसे ज्यादा होती है । (३) अमरीका में सिगरेट का प्रचलन बहुत तेजी से कम हो रहा है। अमरीका में मैं जिस विश्वविद्यालय में था, वहाँ किसी भी भवन में कोई भी सिगरेट नहीं पी सकता है। पहले मैंने १९७९-८० में जिस विश्वविद्यालय में सिक्के डाल कर सिगरेट खरीदनेवाली मशीनें देखी थीं, वे अब १९८६-८९ में देखने को नहीं मिलीं। 4 (४) अमरीका में सिगरेट का इतना विरोध होने के पहले बहुत वर्षों तक सिगरेट के पेकेट पर धूम्रपान हानिकारक है' ऐसी चेतावनी छापी गई थी। इसी तरह १९८९ में अमरीकी सरकार ने शराब की बोतल पर भी अब यह चेतावनी छापने का कानून बनाया है कि 'गर्भवती महिलाओं के लिए शराब हानिकारक है।' शराब उद्योग को यह पहला झटका लगा है। (५) एड्स रोग के प्रचलन के बाद अमरीकी जनता को यह एहसास हो गया है कि न केवल जुआ, मांस, मद्य एवं चोरी बुरे हैं, अपितु वेश्यावृत्ति एवं कुशील भी इसी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524343
Book TitleJinabhashita 2009 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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