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________________ इन सभी शरीरों में से एक कार्मण शरीर ही ऐसा | रहता है। कर्मों का बंध इस जीव के किस तरह हो है, जिसके सहयोग से यह जीव अनेक योनियों में जन्म | जाता है। इसके लिये शास्त्र वाक्य ऐसा हैले-लेकर नाना प्रकार की चेष्टायें करता रहता है। यही जीवकृतं परिणामं निमित्तमात्रं प्रपद्य पुनरन्ये। वह कर्म पिण्ड है, जो इस जीव के लिए संसार का स्वयमेव परिणमंतेऽत्र पुदगलाः कर्मभावेन॥ बीजभूत है और विविध अनर्थ परम्पराओं का कारण अर्थ- जीव के किये हुए परिणामों को निमित्त बना हुआ है। जैसे रेशम का कीट अपने ही मुंह से | बना कर पुद्गल की वर्गणायें स्वयं ही कर्मरूप से परिणम रेशम के तार निकाल-निकाल कर आप ही उनसे लिपटता | जाती हैं। रहता है, इसी तरह यह जीव स्वयं ही राग-द्वेषादि कलुषित (शेष अगले अंक में) भाव कर-करके आप ही इन दुखदायी कर्मों से बँधता 'जैन निबन्धरत्नावली' (भाग २) से साभार भाग्योदयतीर्थ प्राकृतिक चिकित्सालय सागर (म०प्र०) द्वारा अमरकंटक में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन, दिनांक २ एवं ३ अक्टूबर २००९ परम पूज्य १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का संसघ चातुर्मास अमरकंटक जिला अनुपपुर म० प्र० में हो रहा है। भाग्योदय तीर्थ धर्मार्थ ट्रस्ट, सागर म० प्र० में १६ एकड़ की जमीन पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से संचालित है। उसमें २०० बिस्तरों का ऐलोपैथी, ५० बिस्तरों का नेचरोपैथी एवं आयुर्वेदिक रसशाला संचालित है। सर्वसाधनों से युक्त है। प्राकृतिक चिकित्सालय की ओर से इस वर्ष २ एवं ३ अक्टूबर को अमरकंटक में आचार्य श्री के मंगल सान्निध्य में एक राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है। सेमीनार का विषय है- डायबिटीज, मोटापा एवं हाई ब्लडप्रेशर का इलाज, योग, आहार एवं प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से। शिविर में मुख्य अतिथि डॉ० चिदानंद मूर्ति- निर्देशक, केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद्, दिल्ली, कार्यक्रम-अध्यक्ष श्री रावलमल मणि, चेयरपर्सन, महावीर नेचरोपैथी एवं यौगिक साइंस, नगपुरा, छत्तीसगढ़, विशिष्ट अतिथि-डॉ० साधना दौनेरिया, योग विभागाध्यक्ष, बरकतउल्ला वि० वि० भोपाल होंगी। शिविर के प्रायोजक केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद्, दिल्ली है। शिविर में डायबिटीज, मोटापा एवं हाई ब्लडप्रेशर का इलाज जो योग, आहार एवं प्राकृतिक चिकित्सा (रजिस्टर्ड डॉक्टरऐलोपैथी, आयुर्वेदिक, प्राकृतिक, होम्योपैथिक एवं यूनानी चिकित्सक) के माध्यम से करते हैं, वे शिविर में अपना पेपर प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित हैं। जिन्होंने उपर्युक्त बीमारियों पर रिसर्च वर्क किया है वे भी सादर आमंत्रित है। ऐसे वक्ताओं को आने-जाने का यात्राव्यय एवं आवास व्यवस्था निःशुल्क की जायेगी। कृपया शीघ्र ही हमारे मो० नं०- ०९४२५१-७१६७१ पर सूचित करें, ताकि आपके ठहरने और भोजन संबंधी व्यवस्था की जा सके। फोन पर चर्चा के उपरान्त आप अपने यात्रा का टिकट (सेकेण्ड क्लास स्लीपर) रिर्जव करा लेवें। आपके अमरकंटक आगमन पर आपको भुगतान कर दिया जावेगा। शिविर का मुख्य आकर्षण होगा परम पूज्य गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज और उनका संघ, क्योंकि जिन्होंने प्राकृतिक जीवन जिया है, जो दिन में मात्र एक बार आहारचर्या करते हैं, उनकी उपस्थिति में इस सेमीनार में वक्ताओं के द्वारा अपना अनुभव सुनाया जायेगा एवं प्रतिदिन आचार्यश्री जी के मांगलिक प्रवचन इन बीमारियों एवं आहार और योग चिकित्सा पर मिलेंगे। समस्त धर्मप्रेमी बन्धुओं और इन बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों से भाग्योदय तीर्थ परिवार २ एवं ३ अक्टूबर २००९ को अमरकंटक पहुँचने की अपील करता है। अधिक से अधिक संख्या में शामिल होवें। डॉ० रेखा जैन मुख्य चिकित्सा प्रभारी, सागर अगस्त 2009 जिनभाषित 14 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524342
Book TitleJinabhashita 2009 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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