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रजि. नं. UPHIN/2006/16750
जून 2009
सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन
कार्यालय
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पं. रतनलाल बैनाड़ा, आगरा
डॉ. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती', बुरहानपुर
शिरोमणि संरक्षक
श्री रतनलाल कँवरलाल पाटनी (मे. आर. के. मार्बल) किशनगढ़ (राज.)
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प्रकाशक
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मासिक
जिनभाषित
अन्तस्तत्त्व
काव्य : शान्तरस का संवेदन सानंद एकान्त में
: आचार्य श्री विद्यासागर जी
● मुनि श्री क्षमासागर जी की कविताएँ
● मुनि श्री योगसागर जी की कविताएँ ● सम्पादकीय
वर्ष 8,
दृष्टिवाद' में वर्णित लौकिकशास्त्र परसमय (अजैनशास्त्र) हैं
• प्रवचन कालद्रव्य प्रभावक नहीं (तृतीय अंश)
• स्थान बदलती पुस्तकें • आशावादिता • कविता मैं हूँ वो नहीं
• जिज्ञासा समाधान
समाचार
: आचार्य श्री विद्यासागर जी
लेख
• एकमात्र जिनेन्द्रदेव ही सच्चे देव हैं
: स्व० पं० कैलाशचन्द्र जी शास्त्री • तत्त्वार्थसूत्र में प्रयुक्त 'च' शब्द का विश्लेषणात्मक विवेचन (पंचम अंश) पं० महेशकुमार जैन, व्याख्याता • जैनधर्म में सरस्वती-उपासना
• निगोदिया जीव एवं आधुनिक विज्ञान
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: प्रो० सागरमल जैन
:
डॉ० कपूरचन्द्र जैन
: डॉ० सुरेन्द्रकुमार जैन 'भारती'
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
: पं. रतनलाल बैनाड़ा
अङ्क 6
आ. पृ. 2
आ. पृ. 3
आ.पू. 4
लेखक के विचारों से सम्पादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। 'जिनभाषित' से सम्बन्धित समस्त विवादों के लिये न्यायक्षेत्र भोपाल ही मान्य होगा ।
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: डॉ० अशोककुमार जैन, ग्वालियर 24
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