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________________ वृद्धों के भरण-पोषण पर हुई कार्यशाला प्रस्तुति- जसवीर राणा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर । वे अपने को भाग्य के सहारे छोड़ देते हैं। से वृद्धों के भरणपोषण अधिनियम पर एक कार्यशाला | ५. बच्चों युवाओं की बदलती मानसिकता पर का आयोजन प्रीतम मेमोरियल पब्लिक स्कूल खतौली, | भी चर्चा हुई। जब बच्चों से पूछा गया कि कितने बच्चे या गया। सेमिनार की अध्यक्षता| अपने दादा-दादी या नाना-नानी के साथ रहते हैं. तो करते हुए मंत्रालय की सीनियर रिचर्स आफीसर माननीया बहुत ही कम बच्चे हाथ उठा पाये। तब लगा कि नयी पूनम रानी ने वृद्धों के भरण-पोषण अधिनियम के बारे | पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी में दूरी बढ़ती जा रही है। में चर्चा की। वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष माननीय | ६. बच्चों में बड़ों के प्रति सम्मान का भाव बने मौ. आरिफ ने कहा कि सरकार द्वारा लाये गये इस | यह संस्कार अवश्य होना चाहिये। घर का वातावरण अधिनियम से वृद्ध माता-पिता का भरण पोषण अब | संस्कारों की नींव डालता है, यदि माता-पिता अपने माताबच्चों को करना होगा। कार्यशाला में स्कूल के युवा पिता का सम्मान करते हैं तो बच्चों में भी यह भावना बच्चों ने भी हिस्सा लिया, साथ ही सामाजिक संस्थाओं| आती है। से जुडे अनेक कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे। ७. बच्चों की बड़ों के प्रति संवेदनायें बनी रहें, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ० ज्योति जैन ने विशेष | तो पहल अपने को ही करनी पड़ेगी। किसी वृद्ध व्यक्ति रूप से निम्न बिन्दु विचारार्थ प्रस्तुत किये- को सड़क पार कराना, किसी जरूरतमंद का कागज पढ़ १. भारतीय संस्कृति 'मातृदेवो भव, पितृदेवो भव' | देना, सामान उठाकर रख देना, यदि उन्हें कोई तंग कर पर आधारित थी। आज स्थिति यह है कि वृद्धों के रहा है तो विरोध करना आदि छोटी-छोटी बातें उनके भरणपोषण पर कानून बनाने पड़ रहे हैं। प्रति संवेदनायें बनाये रखने में सहायक होंगी। २. संयुक्त परिवार के विघटन ने परिवार, संस्था ८. भारतीय समाज में प्रचलित कथानकों पर भी एवं आपसी रिश्तों नातों पर असर डाला है। यही कारण | लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया। साहित्यकार प्रेमचंद है कि पारिवारिक सुदृढ़ व्यवस्था आज छिन्न-भिन्न हो | की लिखी कहानी 'बूढ़ी काकी' या दादा जी का टूटा गयी है और बड़े-बूढ़े अलग-थलग पड़ गये हैं, वे | फूटा कटोरा देने वाली माँ की कहानी आदि सुनाकर अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। वृद्धों के प्रति होनेवाले अन्यायों की ओर ध्यान आकर्षित ३. फिजिकल फिटनेस पर पर्याप्त ध्यान न देने | किया। इसके साथ ही सिक्के के दूसरे पहलू, जहाँ वयोवृद्ध कारण वद्ध व्यक्ति अनेक रोगों से घिर जाते हैं, जो अंततः | जनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, उस पर चर्चा हुई। आज स्वयं की एवं परिवार की परेशानी का कारण बनते हैं। | भी अनेक घरों में महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में बड़ों की अत: व्यक्ति को समय रहते अपने स्वास्थ्य एवं आहारचर्या | प्रभावशाली भूमिका रहती है। घर के सुख-दुख प्यारपर पर्याप्त ध्यान देना आवश्यक है। दुलार सभी में उनकी सहभागिता रहती है। किसी ने ४. सरकार की तरफ से वरिष्ठ नागरिकों को | अपनी ताऊ जी को, तो किसी ने अपनी माँ को, तो अनेक सुविधायें प्रदान की जाती हैं, पर जानकारी के किसी ने अपने चाचा को स्मरण किया एवं आभार व्यक्त अभाव में इनका उपयोग नहीं हो पाता है, वृद्धजन वृद्धा- किया कि उनके कारण आज वो अपने जीवन में सफल वस्था पेंशन का भी लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। लेकिन | हैं। तथ्य यह भी है कि देश समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार ९. बढ़ती हुई पीढ़ी के अंतराल ने भी अनेक ने जनता को सुविधाओं से वंचित कर दिया है, वृद्ध पारिवारिक समस्याओं को जन्म दिया है। एक-दूसरे के व्यक्ति वैसे भी असहाय होते है। फिर सरकारी कार्यालयों | कार्यों मे अनावश्यक हस्तक्षेप को यदि कम कर दिया में चक्कर लगाते-लगाते इतने परेशान हो जाते हैं कि | जाये, तो बहुत सी समस्यायें सुलझ सकती हैं। 24 अप्रैल 2009 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524338
Book TitleJinabhashita 2009 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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