SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साध्याविनाभावित्वेन निश्चितो हेतुः॥ ११॥ | देनेवाले वक्ता, दोनों अप्रमाण हैं। नि:शंकित अंग का अर्थ- जिसका साध्य के साथ अविनाभाव निश्चित | पालन करते हुए अपना कल्याण करें, यही मंगल भावना होता है अर्थात् जो साध्य के बिना नहीं हो सकता, उसे | है। हेतु कहते है। आचार्य कुन्दकुन्द जी, समन्तभद्र जी, अकलंकजी सहक्रमभवनियमोऽविनाभावः।। १२॥ आदि हजारों आचार्यों ने अन्य दर्शनों के सामने सत्य अर्थ-साध्य और साधन का एक साथ, एक समय | का प्रकाशन कर जिनशासन की महान् प्रभावना की है। होने का नियम सहभाव नियम अविनाभाव है और काल | आज मेरे सामने सबसे बड़ा विकल्प मन में यही है के भेद से साध्य और साधन का क्रम से होने का नियम | की वीर प्रभु के भक्तों की आगम-विपरीत-मान्यता का क्रमभावनियम अविनाभाव कहलाता है। खण्डन हमको करना पड़ रहा है। यह कितनी विचित्र इन दोनों हेतुओं से रहित आपका हेतु है। इसलिए | और अफसोस की बात है। वीर प्रभु का स्मरण करते न्यायग्रन्थ से यही प्रमाणित हुआ कि अनन्तानुबन्धी के | हुए केवली-श्रुतकेवली और पूर्वाचार्यों के प्रति ईमानदारी अभाव में कोई भी चारित्र प्रगट नहीं हो सकता और | रखने के लिए यह कर्त्तव्य करना पड़ेगा और करना यदि कोई मानता है, तो वह असत्य और अप्रमाण है, | भी चाहिए। इसलिए नहीं चाहते हुए भी लिखना पड़ आगमबाह्य है और न्याय से असिद्ध है। असंयत अवस्था रहा है। में चारित्र का वर्णन करनेवाले ग्रन्थ और उसका उपदेश सबका श्रद्धान निर्मल बने, यही मंगल भावना है। शीतकालीन अवकाश में विभिन्न आयोजन आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के । कार्यक्रमों में आवश्यक मुहूर्त सम्बन्धी प्रशिक्षण एवं पावन आशीर्वाद एवं पूज्य मुनिपुंगव श्री १०८ सुधासागर | पं० पुलक गोयल 'प्राकृताचार्य' सांगानेर द्वारा उपाध्यायवर्ग जी महाराज की पुनीत प्रेरणा से स्थापित श्री दिगम्बर | के छात्रों के लिए प्राकृत प्रशिक्षण शिविर के माध्यम जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर में धार्मिक एवं | से प्राकृत भाषा के व्याकरण का प्रशिक्षण दिया गया। लौकिक अध्ययन कर रहे छात्रों के सर्वांगीण विकास डॉ० अनिल मेहता, जयपुर द्वारा दिनांक २७.१२.०८ हेतु शीतकालीन अवकाश में दिनांक २५ से ३१ दिसम्बर | को सायं ८.३० से समयप्रबन्धन विषय पर प्रभावी ०८ तक योग-ध्यान, विधि-विधान, मूहुर्त ज्ञान, प्राकृत व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। डॉ० राधेश्याम राठौड़, प्रशिक्षण शिविर एवं विभिन्न खेलकद प्रतियोगितायें सवाईमाधोपुर द्वारा छात्रों के लिए दिनांक ३०-३१ आयोजित हुयीं। दिसम्बर २००८ को होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा रोगोपचार डॉ० फूलचन्द जैन 'योगिराज' एवं सहयोगी श्री | हेतु परामर्श प्रदान किया गया। राकेश जैन, खमरिया (संस्थान के स्नातक) द्वारा प्रातः इस अवसर पर संस्थान के खेल प्रांगण में दोपहर ५.३० से योग एवं ध्यान प्रशिक्षण शिविर में संस्थान | १२.०० से ४.०० एवं रात्रि ९.०० के छात्रों शीर्षासन, मयूरासन, अर्द्धमत्स्यासन सूर्यनमस्कार, | क्रिकेट, वॉलीबाल, बेडमिंटन, चैस, कैरम, एथलैटिक्स शंखप्रक्षालन, जलनेति एवं प्राणायम का अभ्यास कराया | प्रतियोगितायें अध्यापक एवं अधीक्षकगण के सहयोग गया। युवा प्रतिष्ठाचार्य पं० मनोज जैन 'शास्त्री' दिल्ली | से सम्पन्न हुयीं। रविवार दिनांक ४.१.०९ को उपर्युक्त (संस्थान के स्तानतक) द्वारा संस्थान के छात्रों को प्रातः | कार्यक्रमों का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह ८.३० से विधि-विधान प्रशिक्षण शिविर में विधान, | संस्थान के निदेशक डॉ० शीतलचन्द्र जैन, उपगृह-प्रवेश, शिलान्यास, ध्वजारोहण, वेदीप्रतिष्ठा, आदि अधिष्ठाता श्री राजमल बैगस्या, अध्यक्ष श्री गणेश राणा, का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। डॉ. निर्मला सांघी, मंत्री श्री निर्मल कासलीवाल एवं प्रबन्धकार्यकारिणी जयपुर द्वारा सायं ७.०० से शास्त्री वर्ग के छात्रों को | समिति के सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न मुहूर्त ज्ञान प्रशिक्षण शिविर में धार्मिक एवं सामाजिक | हुआ। - फरवरी 2009 जिनभाषित 11 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524336
Book TitleJinabhashita 2009 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy