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________________ नत्वा परीत्य निज-नेत्र-ललाटयोश्च सिद्धक्षेत्र में जाने की इच्छा से ही मस्तक (ललाट) व्यातुक्षणेन हरतादध संचयं मे। पर गन्धोदक लगाया जाता है तथा दृष्टि एवं ज्ञान की शुद्धोदकं जिनपते तव पादयोगाद् विशुद्धि के लिए (अर्थात् ज्ञानावरण एवं दर्शनावरण कर्मों भयाद भवातपहरं धतमादरेण॥ के क्षय के लिए) दोनों नेत्रों (के ऊपरी भाग) पर गन्धोदक जिनेन्द्र भगवान् को नमस्कार और परिक्रमा करके लगाया जाता है। नेत्र और ललाट पर लगाया हआ गन्धोदक मेरे संचित उपर्युक्त कथनों से स्पष्ट है कि गन्धोदक मस्तक पापों का शीघ्र विनाश करे। हे जिनेन्द्र! तुम्हारे चरणों एवं नेत्रयुगल के ऊपर लगाना चाहिये। कभी भी पीठ, के सम्पर्क से निर्मल जल आदर से धारण करने पर | नाभि आदि शरीर के किसी भी निम्न भाग में गन्धोदक संसार के कष्टों को दूर करे। न लगाया जाए, क्योंकि शरीर के अधोभाग में गन्धोदक यह कथन गन्धोदक का माहात्म्य स्पष्ट बता रहा जैसी पवित्र वस्तु का संस्पर्श दोषपूर्ण हुआ करता है। है। जिनेन्द्र शरीर संस्पर्शित जलमुक्ति का भी साधन कहा गन्धोदक को पीना नहीं चाहिए। यह अधर्म है इस कार्य गया है से बचना चाहिए और गन्धोदक की पवित्रता बनाये रखना सिद्धक्षेत्रगतीच्छयैव निटले गन्धोऽर्चितो लिप्यते। चाहिये। दृष्टि-ज्ञान-विशुद्धयेऽर्चित-जलं दृष्टिद्वये षिच्यते॥ । 24 / 32, गाँधी रोड, बड़ौत (उ.प्र.) - 250611 डॉ० पंकज जैन, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित विदिशा। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता, विदिशा जैन समाज एवं श्री दिगम्बर जैन शीतल बिहार न्यास, विदिशा के मंत्री डॉ० पंकज जैन का चयन मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा किया गया है। चयन के उपरांत डॉ० जैन की पदस्थापना प्रथमश्रेणी अधिकारी के रूप में विभागाध्यक्ष, शासकीय महिला पॉलीटेक्निक महाविद्यालय सीहोर में की गई है। डॉ० पंकज, जैन विद्वान् पं० सागरमल जैन, विदिशा के पुत्र हैं, जो प्रारंभ से ही एक मेघावी छात्र रहे हैं, मंच-संचालन इनकी विधा है। समय-समय पर व्यक्तित्वविकास पर आपके व्याख्यान विभिन्न संस्थाओं में होते रहते हैं। गत वर्ष मध्यप्रदेश-शासन द्वारा आपके द्वारा लिखित पुस्तक 'व्यावसायिक अर्थशास्त्र कक्षा 11' का चयन कर इसे प्रकाशित किया गया था, जिसके द्वारा संपूर्ण मध्यप्रदेश के कक्षा 11 के छात्रों को अध्ययन कराया जा रहा है। डॉ. पंकज, अपनी इस सफलता का श्रेय परम पूज्य आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज द्वारा समय-समय पर प्रदत्त आशीर्वाद को देते हैं। अनिल जैन पं० सागरमल जैन विदिशा का पता परिवर्तित विदिशा। जैन विद्वान् एवं अ.भा.दि. जैन-शास्त्री- परिषद के पूर्व अध्यक्ष पं० सागरमल जैन विदिशावालों का पता परिवर्तित हो गया है, वे अब विदिशा के स्थान पर सीहोर (म.प्र.) में अपने पुत्र के साथ निवासरत हैं। उनका नवीन पता निम्न है द्वारा- डॉ० पंकज जैन, विभागाध्यक्ष, शास. महिला, पॉलोटेक्निक महाविद्यालय, भोपाल नाका, सीहोर, (म.प्र.) 466 001 मो. 98270-46409 कृपया सभी प्रकार का पत्र व्यवहार उपर्युक्त पते पर ही करें। डॉ० पंकज जैन दिसम्बर 2008 जिनभाषित 15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524334
Book TitleJinabhashita 2008 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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