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________________ समाचार 'मूकमाटी-मीमांसा' समालोचना-संग्रह-ग्रन्थ का लोकार्पण सम्पन्न __अंधकार दूर करेगी मूकमाटी : जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रामटेक (नागपुर । के करकमलों में समर्पित की। महाराष्ट्र), वर्षायोग हेतु चातुर्मासरत जैनाचार्य श्री आतंकवाद, आरक्षण एवं दलित समस्याओं के विद्यासागर जी महाराज के ओजस्वी प्रवचनों से विगत | समाधान तथा दहेजप्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के दिवस गुंजायमान हो गया। आचार्यप्रवर के साप्ताहिक | निर्मूलन एवं व्यक्तित्व-विकास की प्रक्रिया के निर्धारण प्रवचन से पहले एक गरिमामय एवं भावपूर्ण समारोह | हेतु आचार्यप्रवर विद्यासागर जी ने 'मूकमाटी' महाकाव्य में आचार्यश्री द्वारा लिखित कालजयी कृति 'मूकमाटी' | सृजित किया था। राष्ट्रभाषा में लिखित एवं सन् १९८८ महाकाव्य पर लिखित समालोचनात्मक आलेखों के संग्रह- | में भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली से प्रकाशित कालजयी ग्रन्थ 'मूकमाटी-मीमांसा' का लोकार्पण भव्यता के साथ कृति 'मूकमाटी' पर देश-विदेश के विख्यात समीक्षकों सम्पन्न हुआ। ने कृतिकार की मान्यताओं एवं काव्य के वैशिष्ट्य का आचार्यप्रवर एवं उनके संघस्थ ३७ तपस्वी मुनिजनों | अपने वैचारिक आलोक में आलोडन-विलोडन कर, उसे के सान्निध्य में रविवार, ५ अक्टूबर ०८ को सम्पन्न | आधुनिक भारतीय एवं हिन्दी काव्य साहित्य की अपूर्व हुए इस विमोचनसमारोह में देश भर से बड़ी संख्या में उपस्थित हुए समालोचकों, मनीषी विद्वानों एवं श्रद्धालुजनों प्रकाशित 'मूकमाटी महाकाव्य' के मराठी, अंग्रेजी, बाँग्ला, ने भी अपनी सहभागिता दर्ज कराई।। कन्नड़ तथा गुजराती में भी अनुवाद स्वरूप पाकर धर्म, मूकमाटी-मीमांसा के लोकार्पण समारोह के अवसर | दर्शन और अध्यात्म के सार के साथ ही साथ सामाजिक पर पहुँचे अनेक शुभकामना सन्देशों में राष्ट्रपति श्रीमती | परिप्रेक्ष्य में सम-सामयिक समस्याओं के निवारण हेतु प्रतिभा पाटिल, पूर्व उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावत, जनमानस दिशाबोध भी प्राप्त कर रहा है। गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष । कार्यक्रम की प्रस्तावना में 'मूकमाटी-मीमांसा' ग्रन्थ श्री राजनाथसिंह के सन्देश प्रमख थे। राष्ट्रपति श्रीमती के सम्पादक आचार्य राममर्ति त्रिपाठी । प्रतिभा पाटिल ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कि 'मकमाटी' महाकाव्य संभवतः देश को धार्मिक सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि | ग्रन्थ होगा, जिस पर लगभग ३०० समीक्षकों के द्वारा उनकी धर्मसभाओं में धार्मिक मल्यों के साथ-साथ राष्टहित | समालोचनात्मक निबन्ध लिखे गए 3 का भी सन्देश होता है। इस अवसर पर प्राप्त शभकामना | साहित्यजगत को इन तीन खण्डों में समपलब सन्देशों का वाचन पत्रकार अभिनन्दन साँधेलीय पाटन | हैं। भारतीय ज्ञानपीठ (१८ इन्स्टीट्यूशनल एरिया लोदी ने किया। रोड, नई दिल्ली-११०००३) से तीन खण्डों में प्रकाशित समारोह के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री | (प्रत्येक खण्ड में ६३७ पृष्ठीय सामग्री) हुए। इस ग्रन्थ ओमप्रकाश जैन (सूरत), विशिष्ट अतिथि श्री प्रमोद सिंघई | के सम्पादन के लिए पहले साहित्य अकादमी, नई दिल्ली (कोयलावाले, नई दिल्ली) एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष | के सचिव डॉ. प्रभाकर माचवे, नई दिल्ली का चयन प्रभात जैन (कन्नौजवाले, मुंबई) से 'मूकमाटी मीमांसा' हुआ था। सम्पादन कार्य के ही दौरान अचानक उनके के तीनों खण्डों का क्रमशः विमोचन कराकर अतिथियों कालकवलित हो जाने पर इस कार्य हेतु मेरा चयन किया के साथ ही ग्रन्थ के संपादक आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी | जाना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है। आचार्यश्री एवं प्रबन्ध संपादकों सुरेश सरल (जबलपुर), सन्तोष | के 'मूकमाटी' सहित विपुल साहित्य पर देश के विभिन्न सिंघई (दमोह), नरेश दिवाकर, विधायक (सिवनी), विश्वविद्यालयों के अन्तर्गत अब तक ४ डी.लिट्, २२ सुभाष जैन (सागर) ने समुपस्थित समालोचकों के साथ | पी.एच.डी., ७ एम.फिल., २ एम.एड. तथा ६ एम.ए. लोकार्पित तीनों खण्डों की एक-एक प्रति आचार्यप्रवर | के शोध प्रबन्धों का लिखा जाना उसके लोकव्यापीकरण 26 नवम्बर 2008 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524333
Book TitleJinabhashita 2008 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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