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सम्पादकीय
सम्मेदशिखर में सेवायतन
यह परम पावन सिद्ध क्षेत्र सम्मेदशिखर, कि जहाँ से अनंत तीर्थंकर एवं अनंतानंत मुनिराजों ने मोक्ष पद प्राप्त किया है, जैन धर्मावलम्बियों का सर्वोच्च तीर्थ है। गत कुछ वर्षों से मधुवन में, पहाड़ के रास्ते में तथा पहाड़ के ऊपर सर्वत्र प्रदूषण एवं गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है। मधुवन में मेन रोड में अतिक्रमियों के द्वारा रोड की चौड़ाई सिकुड़ा दी गई, साथ ही गंदगी तो है ही ।
समस्याओं के दो रूप हैं। एक प्रकार की समस्याएँ वे हैं, जो क्षेत्र के विकास से संबंध रखती हैं। दूसरी समस्याएँ क्षेत्र के निवासी आदिवासी लोगों के असंतोष, बेकारी अभावग्रस्तता एवं असहयोग के कारण उत्पन्न हो रही हैं।
इन समस्याओं की ओर प. पू. मुनिराज श्री प्रमाण सागर जी महाराज का ध्यान गया और उन्होंने इनके कारण एवं निवारण पर गंभीर चिंतन किया। जो समस्यायें क्षेत्र के विकास से संबंध रखती हैं, उनका समाधान राज्य सरकार एवं समाज के संयुक्त प्रयत्नों से ही संभव है। किंतु जो समस्यायें वहाँ के मूल निवासी आदिवासियों द्वारा उत्पन्न की गई हैं, उनके समाधान के लिए उन आदिवासियों का विश्वास जीतने के लिए उनकी आर्थिक दशा सुधारने के कार्यक्रम संचालित करने होंगे। जो समस्याएँ आदिवासियों के द्वारा उत्पन्न की गई हैं, वे मुख्यतः उनकी दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण, उनकी बेकारी के कारण एवं उनके मद्यसेवन आदि व्यसनों के कारण उत्पन्न हुई हैं। आर्थिक विपन्नता, और बेकारी से त्रस्त होकर उन्होंने पहाड़ पर अनेक जगह चाय, पान, नाश्ता आदि की दुकानें लगा ली हैं। इन दुकानों का अस्तित्व विभिन्न यात्रियों को खाने-पीने के लिए प्रेरित करता है और परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुई गंदगी से सम्पूर्ण वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
प्रसन्नता का विषय है कि पू० मुनिराज श्री की प्रेरणा से उत्साही कार्यकत्ताओं ने 'सेवायतन' के सुंदर नाम से तीर्थराज की पावनता को अक्षुण्ण बनाए रखने के पवित्र उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं पर कार्य प्रारंभ कर दिया है । कर्मठ कार्यकत्ताओं ने तीर्थराज के आस-पास बसे 14 गाँवों में सफाई, शिक्षा, चिकित्सा के साधन उपलब्ध कराने एवं मुख्य स्थानों पर आजीविका के लिए उद्योग चालू करने की योजनाएँ बनाई हैं। उन योजनाओं को क्रियान्वित किए जाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं । इन सेवाकार्यों के परिणाम स्वरूप इस क्षेत्र के आदिवासियों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आयेगा और वे अवश्य मधुवन और पहाड़ के वातावरण को प्रदूषणमुक्त बनाने में सहयोगी बनेंगे। केवल वातावरण ही प्रदूषणमुक्त नहीं होगा, किंतु आदिवासियों के हृदय भी प्रदूषणमुक्त बन पायेंगे। उनके मन में यात्रियों के प्रति एवं क्षेत्र प्रबंधकों के प्रति प्रेम व स्नेह के भाव जागेंगे और उनमें घृणा एवं ईर्ष्या के आधार पर आर्थिक लाभ प्राप्त करने के प्रदूषित भाव उत्पन्न नहीं होंगे।
सेवायतन के संस्थापक-अध्यक्ष श्री एम० पी० अजमेरा के सक्षम नेतृत्व में अनेक उपयोगी योजनाओं के द्रुत क्रियान्वयन में कोई संदेह नहीं रहा गया है।
हमें यह देखकर प्रसन्नता है कि सेवायतन की बहुउद्देश्यीय एवं बहु उपयोगी योजनाओं को सभी ओर से सराहना प्राप्त हो रही है और आश्चर्यजनक रूप से स्व-प्रेरित पर्याप्त आर्थिक सहयोग प्राप्त हो रहा है।
हमें विश्वास है कि नवोदित संस्था सेवायतन अपने नाम को सार्थक करते हुए तीर्थराज को शीघ्र ही प्रदूषणमुक्त एवं वहाँ के मूल निवासियों को व्यसनमुक्त कर पाने में तथा उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में आशातीत प्रशंसनीय परिणाम प्राप्त करने में सफल होगी।
मूलचंद लुहाड़िया
अक्टूबर 2008 जिनभाषित
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