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________________ यथासंभव आगमप्रमाण सहित या स्व-अनुभव से उत्तर देकर महान् अनुग्रह करें, इतनी करबद्ध प्रार्थना है। समाधान विभिन्न समाधान- (अ) १. पूज्य विशुद्धमति जी माताजी (तिलोय पण्णती टीकाकार) कहती हैं कि अंगुरवाला की उत्पत्ति पर आदेश्वरलाल को १० दिनों का सूतक लगेगा। इनके मतानुसार जिनके घर सन्तान हुई है उसकी पीढ़ियाँ नहीं गिनकर, जिनको सूतक पालना है वह अपनी पीढ़ियाँ गिने। यानी आदेश्वर आदेश्वर की पीढ़ियाँ गिने, तो गोकुल १, गणेशलाल २ तथा आदेश्वर ३ इस तरह आदेश्वर तीसरी पीढ़ी में है । अतः तीन पीढ़ीवालों को १० दिन का सूतक लगेगा। इस तरह माताजी पीढ़ियाँ 'गोकुल' से गिनती हैं तथा जिस घर में सन्तान हुई हो उस तरफ की पीढ़ियाँ नहीं गिनकर, सामनेवाले की पीढ़ियाँ गिनकर सूतककाल का विचार करती हैं। (ब) पूज्य ब्र. सर्वोपरि प्रतिष्ठाचार्य बाबाजी सूरजमलजी निवाई (टोंक) राज० का भी यही मत है कि श्री आदेश्वरलाल सिंघवी को दस दिन का सूतक पालना पड़ेगा। इतनी विशेषता है कि वह कहते है कि पीढ़ियाँ हेमराज से गिननी चाहिए। यही बात स्व० आचार्य वीरसागरजी जी कहते थे तथा चा०चा० स्व० शान्तिसागर महाराज भी केवला (महाराष्ट्र) प्रवास के समय कहते थे, अतः आदेश्वर चौथी पीढ़ी में है । और चौथी पीढ़ी का १० दिन का सूतक उसे पालना होगा । यथा हेमराज १, गोकुल २, गणेश ३, आदेश्वर ४, इस तरह चौथी पीढ़ी हुई। इस प्रकार १०५ विशुद्धमतिजी तथा बाबा सूरजमल जी दोनों समान रूप से आदेश्वर के लिए १० दिनों का सूतक बताते हैं । । अंगुरबाला तक इसलिए गिनी जाएँगी, क्योंकि प्रत्येक पीढ़ी में खून बदलता जाता है, दायित्व बदल जाते है तथा मोह भिन्न होता जाता है। Jain Education International नोट- वयोवृद्ध प्रतिष्ठाचार्य श्रद्धेयतम पं० नाथूलाल जी शास्त्री साहब इन्दौर का भी यही मत है । वे लिखते है कि हेमराज से अंगुरवाला छठी पीढ़ी होने से आदेश्वर को छठी पीढ़ी का ४ दिन प्रमाण ही सूतक लगेगा | हाँ, यदि मिश्रीलाल जी तथा आदेश्वर जी का परिवार संयुक्त परिवार के रूप से रहते हैं- साथ-साथ रहते हैं, तो आदेश्वर को १० दिनों का सूतक लगेगा । विशेष- किशनदास कृत क्रियाकोष के अनुसार कुटुम्बी आदेश्वर को ५ दिन का सूतक लगेगा। यह भिन्न मत है। इस प्रकार आ. कुंथूसागर जी ब्र० जगन्मोहनलाल जी तथा प्रतिष्ठाचार्य नाथूलाल जी शास्त्री । इन तीनों का लगभग एक समान मत है। समाधान (३) स्व० आ० महावीरकीर्ति जी महाराज आ० १०८ विमलसागर जी महाराज ( उनका सम्पूर्ण संघ ) तथा आ० सुमति सागर महाराज ( तथा उनका सकल संघ ) मधुबन - शिखरजी तथा आ० १०८ संभवसागर महाराज ( त्रियोग आश्रम) : इन सब आचार्यों का मत भी समाधान नं. २ से मिलता जुलता ही है। अन्तर मात्र इतना ही है कि ये चारों आचार्यश्री पीढ़ियाँ हेमाराज से न गिनकर जीतमल से गिनते हैं। इस तरह इन चार आचार्यों (पूज्य महावीरकीर्ति, विमलसागर, सुमतिसागर, संभवसागर चतुष्टय) के मतानुसार अंगुरवाला की उत्पत्ति पर आदेश्वर को, ६ दिन का सूतक लगेगा। क्योंकि जीतमल से अंगुरवाला पाँचवी पीढ़ी में आती है । अतः पाँचवीं पीढ़ीवालों को ६ दिन का सूतक पालना है पाँच पीढ़ी इस तरह हैं- जीतमल १, मिश्रीलाल २, भंवरलाल ३, ऋषभकुमार ४, अंगुरवाला ५ । इन आचार्यों के मत से भी जिनके यहाँ प्रसूति हुई हो उसी के घर की पीढ़ियाँ (जीतमल से अंगुरवाला तक) गिनी जाती हैं। चाहे बुजुर्ग जीवित हों, पीढ़ियाँ तो नवजात शिशु तक ही गिनी जाएँगी, और तदनुसार ही सूतक का निर्णय होगा। यह इन आचार्यचतुष्टय का मत है । समाधान- (२) १०८ गणधराचार्य कुन्थुसागर तथा ब्र० पं० जगन्मोहनलालजी सिं० शास्त्री कटनी (जबलपुर) का कहना है कि पीढ़ियाँ हेमराज से ही गिनी जानी चाहिए। दूसरी बात वे यह कहते हैं कि पीढ़ियाँ उसी की गिननी चाहिए जिसके घर प्रसूति ( सन्तानोत्पत्ति) हुई है। इसतरह हेमराज से अंगुरबाला छठी पीढ़ी होती । तथा छठी पीढ़ी का सूतक चार दिनों प्रमाण ही होने से आदेश्वर को ४ दिन का सूतक ही लगेगा । इनका यह भी कहना है कि चाहे मिश्रीलाल जीवित हो, परन्तु पीढ़ियाँ अंगुरवाला तक गिनी ही जाएँगी। ये बड़े वैज्ञानिक तर्कों से सिद्ध करते हैं कि पीढ़ियाँ । इस समाधान से लाभान्वित होंगे। 26 अक्टूबर 2008 जिनभाषित जवाहरीय नोट- मैंने सूतक पातक सम्बन्धी उक्त विविध विद्वानों के समाधान प्राप्त करने में वचनातीत परिश्रम किया है। इन सब समाधानों को प्राप्त करने में मुझे लगभग वर्ष भर लगा है। आशा है पाठक, श्रावक For Private & Personal Use Only : www.jainelibrary.org
SR No.524332
Book TitleJinabhashita 2008 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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