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________________ अष्टपाहुड में बिम्बविधान प्रो. रतनचन्द्र जैन अष्टपाहुड़ नाम से प्रसिद्ध आठ पाहुड़ आचार्य | वर्ण की पूर्वानुभूति स्मृति में आविर्भूत होती है, वह कुन्दकुन्द की ऐसी कृतियाँ हैं, जिन्हें शैलीविज्ञान की | चक्षपरक बिम्ब है. एक विशेष सगन्ध का जो अनभव कसौटी पर कसा जा सकता है। आचार्य ने उनमें भाषा | मानस पटल पर उभरता है वह घ्राणपरक बिम्ब है, तथा को काव्यात्मक बनानेवाले अनेक शैलीय तत्त्वों का प्रयोग | जो मृदु स्पर्श का अहसास स्मरण में आता है, वह स्पर्शपरक किया है। शैलीवैज्ञानिक भाषा में उन्हें चयन, विचलन, | बिम्ब है। इसी प्रकार 'कोयल' शब्द से जो 'कुहू कुहू' समानान्तरता, प्रतीकविधान, बिम्बविधान अप्रस्तुतविधान | की मधुर ध्वनि का पूर्वानुभव ताजा हो जाता है, उसे आदि नामों से संकेतित किया जाता है। कुन्दकुन्द ने | श्रवणपरक बिम्ब कहेंगे तथा 'इमली' शब्द सुनने से जो अष्टपाहुड़ में बिम्बों के प्रचुर प्रयोग द्वारा अमूर्त और | खटास की अनुभूति स्मृति में जागती है उसका नाम अप्रत्यक्ष आध्यात्मिक भावों को मूर्तरूप से प्रस्तुत कर | स्वादपरक बिम्ब है। अनुभूतिगम्य बनाया है। बिम्बसृजन का मार्ग बिम्ब का लक्षण जब किसी वस्तु, गुण, क्रिया, स्थिति या मनोभाव किसी पूर्वानुभूत इन्द्रिगम्य वस्तु का नाम सुनकर का स्वरूप (विशेषता) बतलाने के लिए किसी अन्य उसके स्वरूप का जो दृश्य मन या स्मृति में उपस्थित | मूर्त पदार्थ से उसका साद्दश्य दिखलाया जाता है, अथवा होता है उसे बिम्ब कहते हैं। उदाहरणार्थ गुलाब शब्द | अन्य मूर्त पदार्थ या अन्य मूर्त पदार्थ के धर्म का उस के श्रवण से एक विकसित पंखुडियोंवाले सुन्दर आकार, | पर आरोप किया जाता है अथवा उसके स्थान में अन्य लाल या गुलाबी रंग, एक मधुर गन्ध एवं मृदुल स्पर्श | मूर्त पदार्थ का ही प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता की पूर्वानुभूतियाँ स्मृति में उतर आती हैं। स्मृति में उभरी | है, तब पाठक या श्रोता के मन में उस अन्य मूर्त पदार्थ इन्हीं पूर्वानुभूतियों का नाम बिम्ब है। | का बिम्ब निर्मित होता है और उसके द्वारा वर्ण्य वस्तु, 'न्यू इण्टरनेशनल डिक्शनरी आफ् इंग्लिश लैंग्वेज' | गुण, क्रिया, स्थिति (दशा) या मनोभाव का स्वरूप पाठक में बिम्ब (Image) की परिभाषा इस प्रकार दी गई है- | की अनुभूति में उतरता है। मनोभावों और प्रवृत्तियों को __Image is a mental representation of Some- | मखमद्राओं, आंगिक चेष्टाओं तथा शरीरिक स्थितियों thing not aclually present to the senses, a revival (अनुभावों) के वर्णन द्वारा व्यक्त करने से भी बिम्बों or imitation of sensible experience or of sensible experience together with accompanying feelings, | की सृष्टि होती है। तात्पर्य यह कि बिम्ब की रचना the reproduction in memory or imagination of | साद्दश्यमूलक अलंकारों, लाक्षणिक शब्दों. प्रतीकों. महावरों sensations of sight, touch, hearing etc. as visual, | एवं लोकोक्तियों के प्रयोग तथा अनुभावादि के वर्णन tecticle, auditory images" से होता है। ऍनसाइक्लोपीडिया आफ ब्रिटेनिका (Vol. 12, बिम्ब के व्यापार page 103) में बिम्ब का स्वरूप नीचे लिखे शब्दों में बिम्ब में अमूर्त और अप्रत्यक्ष भाव मूर्त होकर बतलाया गया है अनुभूतिगम्य बन जाते हैं। वे मन को अमूर्त भावों के "Images are conscious memories which reproduce a previous perception in whole or in स्वरूप की प्रतीति करा देते हैं। जैसे कोधाग्नि कहने part, in the absence of the original stimulus to से अग्नि के बिम्ब द्वारा हृदय को क्रोध की उग्रता के the perception." दर्शन हो जाते हैं। किसी भाव के स्वरूप की प्रतीति बिम्बप्रकार उसका नामोल्लेख करके नहीं करायी जा सकती। सुन्दर - ऐन्द्रिय संवेदना के आधार पर बिम्ब पाँच प्रकार वस्तु को सुन्दर कहने से उसके सौन्दर्य की अनुभूति के होते हैं- चक्षुपरक, श्रवणपरक, घ्राणपरक, स्वादपरक नहीं होती। सुन्दर शब्द सुन्दरता की सूचना देता है, अनुभूति और स्पर्शपरक। गलाब शब्द के श्रवण से जो विकसित नहीं कराता। सुन्दरता का अनुभव सुन्दरता का बिम्ब पखडियावाले एक सुन्दर आकार तथा लाल या गुलाबी । अर्थात दश्य उपस्थित करके कराया जा सकता है। क्रोध अक्टूबर 2008 जिनभाषित 19 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524332
Book TitleJinabhashita 2008 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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