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________________ समाचार कुम्भोज - बाहुबली में सम्यग्दर्शन संस्कार शिविर सम्पन्न प.पू. आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के पावन आशीर्वाद से एवं उनके सुयोग्य शिष्य प.पू. नियमसागर जी महाराज और प.पू. अक्षयसागर जी महाराज तथा आचार्य श्री सन्मतिसागर जी महाराज (दक्षिण) शिष्यों के पावन सान्निध्य में श्री अतिशय क्षेत्र बाहुबली में सम्यग्दर्शन संस्कार शिविर सानंद संपन्न हुआ । यह शिविर दिनांक २१ मई २००८ को महिलाओं का और २३ मई से १ जून २००८ तक पुरुषों का ऐसे दो विभागों में संपन्न हुआ। शिविर में लगभग ५००० महिलाओं एवं पुरुषों ने भाग लेकर धर्मज्ञान का लाभ उठाया । शिविर में एक साथ ३८ क्लासें चलती थीं। शिविर में मुनियों के साथ ब्र. वसंतदादा पाटील (कोथली), पं. रतनलाल जी बेनाड़ा (आगरा) पं. मूलचंदजी लुहाडिया (किशनगढ़), अॅड. रावसाहेब चौगुले, श्रीमती प्रभावती पाटील, श्रमण संस्कृति संस्थान (सांगानेर) के अनेक विद्वद्गण एवं इंदौर आश्रम की ब्रह्मचारिणीयों एवं ब्रह्मचारियों का मार्गदर्शन मिला। 46 जून - जुलाई 2008 जिनभाषित Jain Education International की गई थी। पं. रतनलाल बैनाड़ा जी ने अपने मनोगत में कहा कि दक्षिण में ये जो शिविर की परम्परा शुरू हो गई है, इस से बहुत बड़ा कार्य होनेवाला है । यदि ऐसा ही यह कार्य आगे चलता रहे, तो गुरुवर्य आचार्य विद्यासागरजी महाराज संघसहित दक्षिण में अवश्य पधारेंगे। बाहुबली ब्रह्मचारी आश्रम विद्यापीठ के विद्यमान संचालक आ.ध. बी. टी. बेडगे (गुरुजी) ने अपने मनोगत में कहा कि इस क्षेत्र पर मैं ६० साल में यह पहली बार देख रहा हूँ कि इतने विशाल मुनिसंघ के सान्निध्य में इतना विशाल महाशिविर प्रथम बार हो रहा है । और उन्होंने भावना व्यक्त की, कि यह शिविर हर साल इस क्षेत्र पर लगना चाहिये । शिविर संपन्न होने बा.ब्र. तात्या भैया की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। उन्हीं के निर्देशन में सभी बालब्रह्मचारी एवं स्वयंसेवकों ने अपनी सेवाएँ प्रदान कीं । शिविर का संयोजन शांतिविद्य ज्ञानसंवर्धन समिति के अध्यक्ष अभयकुमार बरगाले (इचलकरंजी), उपाध्यक्ष अॅड. रामगोंडा चौगुले (सांगली), मुख्य संयोजक अॅड. आप्पासो पाटील (क. डीग्रज), महिला संयोजिका सौ. भारती पाटील (जयसिंगपुर ), सहसंयोजक श्री सा.बा. पाटिल ( यळगुड), श्री महावीर खुरपे (जुगुळ), ॲड. धन्यकुमार बेले (सांगली), चेतन पाटिल ( जैनापुर), श्री कुमार संभोजे (सदलगा), अॅड. जयंत नवले (सांगली), श्री विजय कुमार वडगावे (पेठ बडगाँव), सौ. अरुणा पाटिल ( कुंभोज), सौ. सन्मती उगारे (कुरुंदवाड), सौ. विमल पाटील (इ. धामणी), सौ. सुरेखा चौगुले (चिंचवाड) एवं सौ. सरोजनी पाटिल (सांगली) ने किया । अभयकुमार वरगाले, इचलकरंजी जर्मनी के दो प्राकृत मनीषियों को प्राकृत ज्ञानभारती इन्टरनेशनल अवार्ड प्रातः काल में योगज्ञ फूलचंद जैन (छतरपुर) द्वारा योग का अभ्यास कराया गया। शिविर में बालबोध १ व २ छहढाला, तत्त्वार्थसूत्र, सम्यग्ज्ञान, द्रव्यसंग्रह, रत्नकरंडश्रावकाचार का अध्ययन कराया गया। प.पू. १०८ नियमसागर जी महाराज द्वारा सम्यग्ज्ञान विषय पर अत्यंत सुलभ एवं सुंदर शैली में धर्म का प्ररूपण किया गया, उससे बहुत से लोग प्रभावित हुए। प. पू. १०८ अक्षयसागर जी महाराज जी के द्वारा रत्न - करंडक - श्रावकाचार के माध्यम से सम्यग्दर्शन का महत्त्व बताते हुए सच्चे देव - शास्त्र - गुरु का विवेचन किया गया। दोनों महाराज जी के प्रवचन बहुत ही सरल, सहज एवं अति उत्तम थे । उनका प्रभाव शिविरार्थियों के ऊपर बहुत पड़ा। पं. रतनलाल जी बेनाड़ा ने भी तत्त्वार्थसूत्र का अत्यंत मधुर वचनों के माध्यम से ज्ञान कराया, उससे बहुत से लोग प्रभावित हुए । शिविरार्थियों के निवास एवं भोजन की व्यवस्था निःशुल्क । वर्ष २५ मई २००८ को जर्मनी के बर्लिन नगर में समायोजित बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ, श्रवणबेलगोला द्वारा संचालित राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं संशोधन संस्थान द्वारा प्रवर्तित प्राकृत ज्ञानभारती इन्टरनेशनल अवार्ड इस For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524329
Book TitleJinabhashita 2008 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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