________________ 2 . AO रजि नं. UPHIN/2006/16750 AOS OGYGOOGOD9 Mor OCOGNO.4 हरदा (म.प्र.) ने नया इतिहास रचा गजरथ के बदले मानवरथ चला संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी के पावन आशीर्वाद से, उनके ही यशस्वी शिष्य मुनिद्वय श्री प्रशांतसागर जी एवं निर्भयसागर जी के सान्निध्य में एवं प्रतिष्ठाचार्य ब्र. श्री विनय भैया जी बंडावालों के कुशलनिर्देशन में गत 11 से 17 फरवरी 2008तक हरदा के इतिहास में पहली बार 1008 श्री पार्श्वनाथ जिनालय (हरसूद से विस्थापित) में निर्मित नवीन वेदी, मानस्तभ एवं कलश की स्थापना एवं प्रतिष्ठा हेतु पंचकल्याणक एवं मानवरथ-महोत्सव सानंद सम्पन्न हुआ। संगीतकार दिल्ली निवासी श्री पारस जैन एवं साथियों ने सस्वर पूजनपाठ एवं भक्ति संपन्न करायी। सत्तर जोड़ों ने पूजा में भाग लेकर विधि विधान से प्रतिष्ठा में सहयोग किया। महोत्सव में घटयात्रा के लिये विशाल जलूस आयोजित किया गया, रथयात्रा के दिन हरदा में नया इतिहास रचा गया। हाथी पर लकी ड्रा में विजयी भाग्यशाली तीन दानदाता बैठे और गजरथ के स्थान पर मानवरथ चलाया गया, जिसे जैन युवासंघ के उत्साही सदस्यों और बच्चों से लेकर वृद्धों तक ने खींचकर नया इतिहास रचा। संपूर्ण धार्मिक आयोजन निश्चित समय पर संपन्न कराये गये और पांडाल की पवित्रता को अक्षुण्ण रखते हुये पूर्ण अनुशासन में सभी कार्यक्रम प्रतिष्ठाचार्य श्री विनय भैया जी के आदेशानुसार सम्पन्न कराये गये। ___ मंचीय कार्यक्रमों में स्थानीय महिलामंडल व बालिकामंडल के सदस्यों ने रोचक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इसके अतिरिक्त मंच पर पात्रों के अलावा अन्य व्यवसायिक कलाकारों के कार्यक्रमों को शामिल न कर पंचकल्याणक संस्कृति में नया अध्याय जोड़ा गया। संगीतकार की स्वरलहरियों पर इन्द्रइन्द्रानियों और पात्रों ने भावपूर्ण भक्ति का प्रदर्शन किया। पंचकल्याणक कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में देवास, होशंगाबाद, खण्डवा और इंदौर आदि जिलों के धर्मानुरागियों ने शामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाया और भूरि-भूरि प्रशंसा की। अंत में संयोजक कमलचंद जैन, पाटनी, एडवोकेट ने पंचकल्याणक को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिये सभी का आभार माना। NOLOC4OOG कमलचंद जैन GOOOOOOOOOGNOD COOOOOOD स्वामी, प्रकाशक एवं मुद्रक : रतनलाल बैनाड़ा द्वारा एकलव्य ऑफसेट सहकारी मुद्रणालय संस्था मर्यादित, 210, जोन-1, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) से मुद्रित एवं 1/205 प्रोफेसर कॉलोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) से प्रकाशित / संपादक : रतनचन्द्र जैन। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org