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________________ पर सच्चे श्रावक के संस्कार का बीजारोपण किया गया। प्रफुल्ल आग्रेकर (जैन) कारंजा (लाड) जि- वाशिम (महा.) श्री भारतवर्षीय दिगम्बरजैन महासभा का संयुक्त प्रादेशिक अधिवेशन भोपाल में सम्पन्न श्री भारतवर्षीय दिगम्बरजैन महासभा का संयुक्त प्रादेशिक अधिवेशन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ९ सितम्बर, २००७ को वृन्दावन गार्डन में आयोजित किया गया। अपार जन समुदाय के बीच समारोह के मुख्य अतिथि माननीय श्री अखण्ड प्रताप सिंह, मंत्री - मध्यप्रदेश शासन, अल्पसंख्यक विभाग ने कहा कि जैन समाज व जैनधर्म को मैं अपने से अलग नहीं मानता। इस अवसर पर विशेषरूप से उपस्थित 'मध्यप्रदेश हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास निगम' के अध्यक्ष माननीय श्री कपूरचन्द्र जी घुवारा ने कहा कि सन् 1977 से जबसे उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ना शुरु किया है, मुझे किसी भी जैन परिवार से वोट माँगने नहीं जाना पड़ा, पर यह गर्व की बात है कि फिर भी जैनसमाज ने मेरा हमेशा साथ दिया। राजनीति में अच्छे लोगों को आना चाहिए। राजनीति आपके हाथ में रहेगी, तो आपका धर्म, संस्कृति तथा आप सुरक्षित रहेंगे। इस मौके पर नगर निगम भोपाल के महापौर श्री सुनील सूद ने कहा कि वही समाज तरक्की करता है जो संगठित होता है। जैनसमाज में एकता भी है और संगठन भी । जैनसमाज का उन्हें भरपूर आशीर्वाद मिला है । समारोह की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री निर्मलकुमार जी सेठी ने कहा कि राजनीति के अस्तित्व के बिना हम सुरक्षित नहीं हो सकते। मध्यप्रदेश में जैन समाज को अल्पसंख्यक होने के बाद भी कोई सुविधा व प्रतिनिधित्व नहीं है। धर्म संरक्षिणी महासभा के प्रांतीय अध्यक्ष श्री अजितकुमार पाटनी ने अधिवेशन में प्रदेश एवं देश के विभिन्न स्थलों से पधारे सभी सम्मानीय प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए महासभा के लक्ष्य एवं कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी दी। कार्यक्रम को संचालित कर रहे धर्म संरक्षिणीमहासभा के प्रांतीय महामंत्री श्री सुभाष काला ने कहा कि हमें संगठित होना पड़ेगा, नहीं तो हमें प्रतिनिधित्व व अधिकार नहीं मिलेंगे । समारोह के मध्य राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सेठी जी ने श्री विनीत गोधा, एडवोकेट एवं श्री अशोक जैन 'भाभा ' को नवगठित राजनैतिक मंच की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य एवं श्री पुनीत गोधा को तीर्थ संरक्षिणी - महासभा का उपाध्यक्ष मनोनीत किया। श्री शिखरचन्द्र जी गोधा एडवोकेट, श्री शिखरचन्द्र जी दाल मिल एवं श्री मनोहरलाल जी टोंग्या को भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा ट्रस्ट का ट्रस्टी घोषित किया गया। Jain Education International भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीक्षक डॉ० के.के. मोहम्मद ने भी प्रदेश में उपलब्ध अपार जैन पुरातत्व के मौजूद होने की जानकारी दी तथा उसके संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया । अजितकुमार पाटनी, भोपाल षड्दोषा पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता । निद्रा तन्द्रा भयं क्रोधं आलस्यं दीर्घसूत्रता ॥ नींद, सुस्ती, भय, क्रोध, आलस्य और देरी से काम करना, ये छह दोष सफलता चाहनेवाले पुरुषों को छोड़ देना चाहिए । षडेव तु गुणाः पुंसा न हातव्याः कदाचन । सत्यं दानमनालस्यमनसूया क्षमा धृतिः ॥ सत्य, दान, आलस्यहीनता, दूसरे में दोषारोपण नहीं करना, क्षमा और धैर्य, ये छह गुण उन्नति चाहनेवाले पुरुष को कदापि नहीं छोड़ना चाहिये । For Private & Personal Use Only नवम्बर 2007 जिनभाषित 31 www.jainelibrary.org
SR No.524322
Book TitleJinabhashita 2007 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2007
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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