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________________ समाचार बैग और रसीद बुक ट्रेन में गुम । प्रतिष्ठाचार्य पंडित कान्तिलाल जी पगारिया नहीं रहे । श्रमण जान भारती सिद्ध क्षेत्र जैन | जैन जगत के ख्यातनाम प्रतिष्ठाचार्य, मंदिरशिल्पचौरासी, मथुरा से छात्र विद्वान् पर्दूषण पर्व में दलपतपुर- | वास्तुशास्त्री, प्रकाण्ड ज्योतिषाचार्य, शीर्षस्थ विद्वान् पंडित सागर (म.प्र.) प्रवचन हेतु गये। रास्ते में ट्रेन में से बैग श्रीमान् कान्तिलाल जी पगारिया निवासी सागवाडा जिलागुम हो गया था। जिसमें संस्थान की डूंगरपुर (राज.) का उनके स्वनगर सागवाड़ा में गुरुवार रसीद नं. 251-300 27 सितम्बर 2007 को 55 वर्ष की आयु में मध्याह्न में कूपन नं. राशि 2 बजकर 45 मिनट पर सागवाड़ा जैनसमाज के प्रबुद्धजनों 301-350 100/- रुपये वाला एवं परिजनों की उपस्थिति में णमोकार महामंत्र का श्रवण 251-300 200/- रुपये वाला करते हुए हृदयगति रुक जाने से आकस्मिक निधन हो 601-650 500/- रुपये वाला गया। आदि थे। यदि कोई इस नाम के रसीद या कूपन महावीर जैन, सागवाड़ा लेकर दान हेतु आपके समाज में आये तो रसीद व कूपन जिला- डूंगरपुर (राजस्थान) 314025 न कटाए एवं निम्न पते पर हमें सूचित करें २१वीं जैन कैरियर काउंसलिंग सम्पन्न जिनेन्द्र शास्त्री, अधीक्षक परम पूज्य सराकोद्धारक उपाध्यायरत्न श्री १०८ द्वारा श्रमण ज्ञान भारती छात्रावास ज्ञानसागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में ८ सितम्बर दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र, चौरासी, कृष्णा नगर, मथुरा। २००७ को २१ वीं जैन कैरियर काउंसलिंग का आयोजन फोन नं. 0565-2420323, मो नं. 9412626524 जूड़ी तलैया, फूटा ताल-जबलपुर (म.प्र.) में सफलता जिनेन्द्र शास्त्री, अधीक्षक | पूर्वक सम्पन्न हुआ। दो दिवसीय इस कैरियर काउंसलिंग पं० नाथराम जी प्रेमीकत 'जैन साहित्य और | का शुभारंभ श्री ए. एस. मेहता (मार्केटिंग डायरेक्टर, जे.के. इतिहास' का ततीय संस्करण प्रकाशनाधीन | इण्डस्ट्रीज आफ वर्ल्ड), श्री बी.के. शर्मा, श्री रीतेश शर्मा जैन साहित्य और संस्कृति के अद्वितीय विद्वान् स्व० | (टाइम्स डायरेक्टर), श्री संजय जैन, दिल्ली के कर कमलों पं० नाथूराम जी प्रेमी द्वारा रचित सुप्रसिद्ध महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ द्वारा दीपप्रज्ज्वलन से हुआ। 'जैन साहित्य और इतिहास' का तृतीय संस्करण सन्मति . सुनील जैन 'संचय', शास्त्री ट्रस्ट मुम्बई द्वारा शीघ्र प्रकाशित किया जा रहा है। प्रकाशित कारंजा (महाराष्ट्र) में संस्कार-शिविर सम्पन्न होने पर त्यागियों, शोध-छात्रों और पुस्तकालयों को भेजने समाज के युवाओं, युवतियों, बालकों एवं बालिकाओं की योजना है। तथा वृद्धों में श्रावक के संस्कार डालने का प्रयास प.पू. देवेन्द्र जैन मुनि १०८ श्री समतासागर जी एवं ऐलक श्री निश्चयसागरजी चारित्र-चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी द्वारा पर्युषण पर्व के पावन प्रसंग पर एक सराहनीय कदम महाराज का समाधिदिवस समारोह श्री नाभिनंदन दिगम्बर जैन मंदिर, इटावा (बीना आधुनिकता की होड में आज समाज के अधिकांश म.प्र.) में संत शिरोमणि आ. श्री विद्यासागर जी महाराज | नर-नारी में जैनत्व एवं जैनश्रावक के संस्कार लुप्तप्रायः होते जा रहे हैं। की विदुषी शिष्या आर्यिका श्री १०५ मृदुमति माताजी के ससंघ सान्निध्य में दिनांक १३/०९/२००७ को बीसवीं शिविर का आयोजन कर मुनिश्री एवं ऐलक श्री ने शताब्दी के प्रथमाचार्य चारित्रचक्रवर्ती आ. श्री १०८ शांतिसागर अपने मार्मिक प्रवचनों द्वारा जन-जन में श्रद्धा जाग्रत कराई, जी महाराज का ५२वाँ समाधिदिवस अति उत्साह के साथ | धर्म का श्रद्धान कराया एवं धार्मिक ज्ञान को सुदृढ़ बनाया तथा प्रेक्टिकल द्वारा विभिन्न क्रियायें करवाकर क्रियावान् मनाया गया। श्रेयांस जैन शास्त्री, बीना | बनाया। इस प्रकार पर्वराज पर्युषण के पावन पुनीत प्रसंग था। 30 नवम्बर 2007 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524322
Book TitleJinabhashita 2007 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2007
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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