________________
हिन्दू
अपना काम करे। ठीक है, किन्तु मित्र उनकी चालों में | कुंडलपुर संरक्षित स्मारक है या नहीं, पुरातत्त्व विभाग का आकर शत्रुवत् व्यवहार करें, यह पीड़ादायक था। शत्रु किसी | उस पर कितना अधिकार है, कब्जा किसका है, भू-स्वामी सीमा तक अपनी चाल में कामयाब हुए, किन्तु कुछ समय | कौन है ? इस संपूर्ण प्रसंग के परिणाम जैन समाज में, देश तक। कुछ लोगों से मैंने प्रश्न किया था - कभी देखा है | में व हिन्दू समाज में क्या होंगे ? स्थानांतरण में अतिशय में अम्बिका मठ ? 5 वर्ष पहले चोरी गई अम्बिका की मूर्ति | कमी आ गई इत्यादि। का विवाद उठाया गया। आरोप लगाया जैन समाज ने चोरी | पवित्रता स्थान से अधिक मूर्ति की है करवाई, विद्वेषपूर्ण परचे बाँटे कि विशेष समाज के द्वारा 17 वीं शती में निर्मित बड़े बाबा का पहला मंदिर न
पहँचाई गई। किस पर आरोप लगा रहे तो मूलनायक प्रतिमा का मूल प्राचीन मंदिर था। न ही मूल थे वे? मालूम है अम्बिका देवी की मूर्ति जैन मूर्ति है, युगल । गर्भगृह । महत्त्व मूर्ति की पवित्रता, प्राचीनता एवं पूजनीयता मूर्ति है, भगवान नेमीनाथ के गोमेध यक्ष व यक्षिणी की ? | का अधिक है, स्थान का नहीं। जैन समाज अपनी ही मूर्ति को चोरी क्यों करवाना चाहेगा, | मंदिरों की परिसंस्कार परम्परा और बाकी दोनों उमा-महेश्वर एवं लक्ष्मीनारायण की मूर्तियाँ | | मथुरा में चौरासी के 200 वर्ष से अधिक प्राचीन अम्बिका मठ में सुरक्षित हैं ? हनुमान मंदिर तक गये हो | जिनालय में ऊपर चौबीस वेदियाँ बनाकर नवीन चौबीसी कभी? जैन समाज ने अपने स्वामित्व की भूमि वहाँ हनुमान विराजमान की जा रही है। आमेर के भगवान् नेमीनाथ मंदिर निर्माण के लिए दी है। जानते हो रुक्मणिमठ में वर्तमान | जिनालय में बीच की वेदी पूरी हटाकर, नवीन निर्माण में पूज्य मूर्ति तीर्थंकर की खंडित पद्मासन मूर्ति है ? उनके | किया गया। भगवान महावीर जिनालय, गोपाल जी का पास कोई जवाब नहीं था। हम यह समझे थे। हमें उसने | रास्ता, जयपुर में पुरानी वेदियाँ हटाकर नया हॉल निर्मित समझाया था। हम यह सोचकर उसमें थे कि खंडित मूर्ति है | किया जा रहा है। श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र के जिनालय ? उनके पास कोई जवाब नहीं था, हम पर यह समझे थे, | में नीचे भूतल का पूर्ण रूप से जीर्णोद्धार किया गया। इसी हमें उसने समझाया था, हम यह सोचकर उसमें शामिल थे | मन्दिर में से ऊपर कुछ प्रतिमाएँ लाकर अलग से विराजमान कि आंदोलन गलत लोगों के हाथों में न चला जाए। बौद्धिक | की गईं। शान्तिवीरनगर, महावीर जी के मन्दिर का आमूलचूल दीवालियेपन की काई सीमा न थी। वर्तमान में विदिशा | परिवर्तन किया गया। भगवान् पार्श्वनाथ मन्दिर, जग्गा की संग्रहालय में रखी, चोरी गई गोमध अम्बिका की मूर्ति भी | बावड़ी का पूरा प्राचीन निर्माण हटाकर नवीन निर्माण किया वापस अम्बिका मठ में आये और हनुमान मंदिर भी बने, गया। इन सभी प्रमाणों से यह स्पष्ट है कि प्राचीन मन्दिर में यही सबकी भावना है, सकल जैन समाज की भी शासन | भी आवश्यकतानुसार परिवर्तन-परिवर्धन होते रहे हैं, होते की भी।
रहते हैं, होते रहेंगे। मीडिया ने पर्याप्त आग उगलने का कार्य किया। | बड़े काज में छोटे बाबा के भक्तों को भूमिका यदि सतर्कता न बरती जाती तो जैन-हिन्दू-दंगे हो सकते थे। जीवित मंदिरों के जीर्णोद्धार का प्रश्न हो अथवा नये शहर वातावरण तनावपूर्ण हो गया। ईश्वर की कृपा रही कि | मंदिरों के निर्माण का, इस प्रकार का कोई भी कार्य सदा से कुछ अनर्थ नहीं हुआ, सभी ने यथासंभव संयम बरता। बड़े | सर्वमान्य गुरुओं के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से ही संभव हुआ। बाबा की कृपा से, छोटे बाबा की तपस्या से सभी कार्य | कुंडलपुर में आचार्य श्री विद्यासागर जी के प्रथम चातुर्मास निर्विघ्न सम्पन्न हो गये और 19 जनवरी को अपार जन- | 1976 से लेकर 1978 में शिखर के जीर्णोद्धार, प्रथम समुदाय के बीच मंत्रोच्चारण के साथ बड़े बाबा की विधिवत् | महामस्तकाभिषेक 2001 से लेकर 19 जनवरी 2006 को नये स्थान पर आचार्य श्री के निर्देशन में प्राण प्रतिष्ठा कर दी | बड़े बाबा की नये मंदिर में पुर्नप्रतिष्ठा तक जो भी कार्य
हुआ, वह उन्हीं के निर्देश, आशीर्वाद व प्रेरणा से हुआ, किन्तु बात तो अब शुरू हुई थी, 16 जनवरी को ही | देशभर के सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज के धर्मानुरागियों ने केन्द्रीय पुरातत्त्व विभाग की ओर से केस जबलपुर स्थित | तन, मन, धन से सहभागिता दर्शायी। म.प्र. उच्च न्यायालय में चला गया, उनमें शंकाओं को जन्म इस सम्पूर्ण प्रकरण में आवश्यक है आचार्यश्री के दिया गया, भ्रामक प्रचार हुआ, सैकड़ों प्रश्न हवा में उछले, | समर्पित भक्तों का उल्लेख। कुंडलपुर क्षेत्र की प्रबंध समिति
गई।
अगस्त 2006 जिनभाषित 19
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org