SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साथ जबलपुर दौरे में थे और कार्यक्रम में थे। मलैया जी के | स्थिति नियंत्रण में करने का आदेश दे दिया गया था। पूरे निर्देशों के कारण मैं कुँण्डलपुर नहीं जा सकती थी। पर मैं | कार्यक्रम में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय यही सतत् सम्पर्क में थी, क्योंकि मुझे पल-पल की जानकारी | था। संदेश मुझे मिल गया। दोनों दो-ढाई बजे के करीब : देने के निर्देश थे। मुझे जानकारी मिली कि कलेक्टर ने दमोह सर्किट हाउस में पहुँचे। शासन के निर्देश पर मैं उनसे अतिरिक्त मुख्य सचिव से बात करके सागर से एस. ए. मिलने वहाँ पहुँची। पूर्ण स्थिति से अवगत कराया। एफ. बटालियन बुलवायी है, बल-प्रयोग से मूर्ति का | परिस्थितियों को देखते हुए और मुख्यमंत्री से हुई बातचीत स्थानंतरण रोकने के लिए, मेरी नजरों के सामने निहत्थे । | के आधार पर मलैया जी मुझे आई. जी. और कमिश्नर के साधु-साध्वियों पर अश्रुगैस, लाठीचार्ज और गोलीचालन साथ कुंडलपुर जाने को कहा, जिससे जैन समाज व प्रशासन का दृश्य घूम गया। क्यों ? मेरी आँखों से बेबसी, आक्रोश, | के बीच किसी भी तनावपूर्ण स्थिति को टाला जा सके और पीड़ा के आँसू बहने लगे। हमें अपने ही देश में इतनी प्रशासन को कोई अप्रिय निर्णय न लेना पड़े। आई.जी., बेवकूफियों से क्यों गुजरना पड़ता है। मेरे स्वतंत्र देश में ये कमिश्नर के साथ में साढ़े तीन-चार बजे के करीब कुंडलपुर कैसे कानून हैं? 30 अक्टूबर 1990 को निहत्थे कारसेवकों | पहुँची। 1000 से अधिक पुलिस फोर्स वहाँ खड़ी थी। क्षेत्र पर गोलियां चली थीं, क्या यहाँ पर निहत्थे जैन तपस्वियों / के मुख्य द्वार के बाहर ही सड़क पर, जैन मुनियों और जैन पर चलेंगी ? न यहाँ दो सम्प्रदाय के बीच का झगड़ा है, न | साध्वियों का दल समाज के एक हजार से अधिक लोगों के भू-स्वामित्व का। वास्तव में कोई झगड़ा तो था ही नहीं, मैं | साथ बैठा था, शांतिपूर्वक, बड़े बाबा का मंत्र जाप करते काँप गई। एसएएफ आने की बात से दमोह में आतंक और | हुए। अद्भुत नाकेबंदी थी वहाँ। जो जैन साधु व साध्वी भय का माहौल व्याप्त हो गया। मुझे दोनों की चिंता थी, | किसी सामाजिक कार्यक्रम में भी भाग नहीं लेते, वे आज सरकार को कोई आँच न आये, बड़े बाबा को कोई छू न | इस प्रकार बीच सड़क पर धरने पर बैठे थे, छोटे बाबा की । पावे, साधुसंतों की अवमानना न हो पाये, जैन समाज का व | आज्ञा से बड़े बाबा के काज के लिए। आई. जी. और प्रशासन का संघर्ष न हो। ऐसा हुआ तो बहुत खतरनाक | कमिश्नर ने निर्णय किया कि इन हालातों में कुछ नहीं होगा, दोनों ओर मरण होता। किया जा सकता। मैंने मलैया जी को संपर्क करके कहा, जिलाधीश लेकिन तनातनी बढ़ रही थी। सड़कमार्ग अवरुद्ध गोली चलाकर भी इस कार्य को रोकने के पक्ष में है, उसने | था और वे भोले-भाले ग्रामीण, जो बड़े बाबा को उतना ही एस.ए.एफ. सागर से बुलाई है, उसे रोकें, वरना अनर्थ हो | अपना आराध्य मानते थे, जितना कोई भी जैन, वहाँ देर से जाएगा। यहाँ कुछ हुआ, तो आगे देश भर में फैलेगी। जयंत | रुके हुए उत्तेजित हो रहे थे। उनको लग रहा था कैसे गाँव मलैया जी ने तुरंत मुख्यमंत्री जी व उनके साथ में उपस्थित | पहुँचे। एस.पी. ने स्थिति को भांपा और ग्रामीणों की परेशानी स्वास्थ्य मंत्री मा. अजय विश्नोई जी से बात की। उन्होंने | समझ मुझसे निवेदन किया “मैडम, कृपया आप मुनियों से मुख्यमंत्री जी को स्थिति की गंभीरता समझाकर जिलाधीश | निवेदन करें कि वे ग्रामीणों के जाने के लिए रास्ता छोड़ के हाथ से नियंत्रण लेने की बात की. विवेकशील मुख्यमंत्री | दें।" मैंने मुनि महाराज से निवेदन किया कि रास्ता बना दें जी समझ गये। मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री से कार्य रोकने के | और केवल इनके ट्रेक्टर, ट्राली गुजरने दें, गाँव को जाने लिए बलप्रयोग की आज्ञा माँगी, लेकिन मुख्यमंत्री ने पूछा | वाली बसों को जाने दें। इस कानून के उल्लंघन की सजा क्या है ? बताया गया रुपये इस बीच में कुछ अराजक तत्त्व सक्रिय हो गये थे 3000/- तथा तीन महीने की सजा। अब उन्होंने स्पष्ट निर्देश | और उत्तेजना फैलाने के मूड में थे। किन्तु मैंने केवल जैन दिया, यदि मेरी कुर्सी जाती है, तो जाए लेकिन गोली चलाने । | युवकों को समझाया, वे प्रतिक्रिया व्यक्त न करें। जो कार्य का आदेश निर्देषों और साधुओं पर नहीं दूंगा। बलप्रयोग प्रारंभ हुआ है उस कार्य को शांति से सम्पन्न हो जाने दें और नहीं होगा। न अश्रु गोले चलेंगे, न लाठी चार्ज होगा। उनको कोई विरोध बाहर से आवे भी, तो उसे भी सहर्ष स्वीकारें।। समझाने की कोशिश करें, मलैया जी वहीं जाकर उन्हें इस बात का परिचय दें कि आप अहिंसा के प्रतिपादक समझायेंगे, वे मेरा संदेश उनके पास लेकर जा रहे हैं। महावीर के अनुयायी हैं। स्थिति को बिगाडे नहीं, नियंत्रण में सागर से आई. जी. व कमिश्नर को दमोह पहुँचकर | रखें। प्रभाव हुआ, वे स्थिति की गंभीरता को समझे, रास्ता 16 अगस्त 2006 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524308
Book TitleJinabhashita 2006 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy