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बिठा कर छावनी बना देंगे और सदा के लिए निर्माण कार्य | एक्सप्रेस से चलकर सुबह 8 बजे 16 तारीख को दमोह आ रूक जायेगा। सब कार्य अधूरे पड़े रहेंगे। जिलाधीश के गई। आते ही मैंने वीरेश से बात की। उन्होंने मुझे बताया जाने के दो-एक घंटे बाद वीरेश सेठ ने मुझे फोन किया
गुरूओं के निर्देश से बड़े बाबा की मूर्ति हटाने का कार्य और कहा कि कलेक्टर के जाने के बाद स्थिति नियंत्रण के
जिसे 'आपेशन मोक्ष' का नाम दिया गया। शुरू कर दिया बाहर जा रही है और काफी लोग एकत्र हो गए हैं। समाज
गया है। इसे रोकना संभव नहीं रहा था। जिलाधीश कल उत्तेजित हैं, सँभालना कठिन है। मैंने बात संभालने की
यहां पुलिस फोर्स ले आयेंगे। अब कोई और चारा नहीं था। कोशिश की और कहा बिल्कुल भी ऐसा कोई काम न करें
मैंने उन्हें केवल इतना ही कहा कि कपया सभी कछ जिससे कि उद्देश्य भी पूरा हो और कानून का उल्लंघन हो जाये। मैं रात्रि दस बजे उज्जैन से भोपाल पहुँची और मलैया
शांतिपूर्ण व अहिंसात्मक ढंग से करें। जैन समाज का कोई जी श्री जयंत मलैया मंत्री - स्थानीय विभाग, मध्यप्रदेश
भी व्यक्ति प्रशासन से न टकराये, न संघर्ष करे। पुलिस शासन ग्वालियर में थे, उन्हें मैंने भी अवगत कराया। उन्होंने
यदि बलप्रयोग करती भी है और संघर्षपूर्ण स्थिति बनती जिलाधीश दमोह को एक फेक्स किया तथा मुझे मुख्यमंत्री
भी है, तो जैन समाज को यह अवसर है कि यह सिद्ध करे से मिलने को कहा। मैंने मुख्यमंत्रीजी को संपर्क की तुरंत कि वह अहिंसक है। गोलियाँ भी खानी पड़ें तो वह खाये। चेष्टा की। रात्रि 11 बजे उनसे मिल पाई। पूरी स्थिति की चर्चानुसार जैन साधु व साध्वी, बच्चे, औरतें आगे आकर गंभीरता बताकर त्वरित कार्यवाही की आवश्यकता जताई।
क्षेत्र के मुख्य दरवाजे के बाहर आकर सड़क पर बैठ गये उन्होंने तुरंत अपने कार्यालय से फेक्स जिलाधीश के पास
थे। मूर्ति स्थानांतरण हेतु तथा जर्जरित मंदिर की दीवारें व भिजवाया कि वे कुंडलपुर जाकर आचार्य श्री के चरणों में
शिखर तोडने के लिए निर्माणकार्य में लगी क्रेनें वहाँ पहले निवेदन करें कि ऐसा कोई भी कार्य न किया जावे, जिससे
से ही मौजूद थीं। जैन युवकों को किसी भी अप्रिय स्थिति कानून का उल्लंघन हो, राज्य सरकार, केन्द्र सरकार के
से शांतिपूर्ण ढंग से निपटने के लिए सतर्क कर दिया गया साथ बातचीत करके इस समस्या का समाधान तलाशने में जैन समाज का सहयोगी करेगी, आवश्यकता होगी तो मुख्यमंत्री स्वयं प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली जायेंगे।
___ मैंने निश्चय किया कि मैं दमोह तो आ गई हूँ, जिलाधीश को यह फैक्स रात में ही मिल गया।
लेकिन कुंडलपुर नहीं जाऊँगी। मैं कोशिश करूँगी कि मैं निश्चित हो गयी थी कि अचानक 12 बजे मुझे
दमोह में रहकर ही यथासंभव शासन और समाज के बीच मुख्यमंत्री जी का फोन आया कि आप वहाँ जाएँ और समाज
में टकराव की स्थिति को रोकूँ, जैसा कि मुख्यमंत्रीजी का
निर्देश था। को समझाने की कोशिश करें, मैंने मुख्यमंत्री को निवेदन
प्रशासन के सम्मुख कुंडलपुर के मंदिरों व मूर्ति के किया कि मेरा वहाँ जाना शायद उचित न होगा. किन्त संवेदनशील मुख्यमंत्री ने आग्रहपूर्वक कहा, 'मैं आपको
बारे में भ्रमपूर्ण स्थिति थी। कुंडलपुर क्षेत्रसमिति कहती
रही थी कि 300 वर्षों से कुंण्डलपर के मंदिर जैन समाज कह रहा हूँ, आप वहाँ जाएँ, कोई एक समझदार व्यक्ति तो वहाँ हो जिससे हम बात कर सकें और स्थितियाँ संतलन में
के आधिपत्य में हैं और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा रहें, कोई भी अप्रिय स्थिति को आप टाल सकेंगी। हमारी
संरक्षित प्राचीन स्मारक नहीं है, केवल अम्बिका मठ संरक्षित मंशा साफ है कि हम जैन समाज की भावनाओं का सम्मान
है और उधर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग कहता रहा करते हैं, लेकिन निश्चित रूप से कानून की सीमाओं में।'
कि वह संरक्षित स्मारक है और वहाँ से मूर्ति हटाकर मैं समझ गई कि यह प्रेरणा श्री हृदय मोहन जैन, विदिशा
कानून का उल्लंघन किया जा रहा है। स्थिति नाजुक थी। द्वारा मुख्यमंत्रीजी को दी गई है। वे रात्रि में ही कुंण्लपर जा
प्रशासन को कानूनन बाध्यता थी कि वह इसे रोकने का रहे थे और मुझसे चलने की कह रहे थे। मैंने मना कर दिया
अपना कार्य करे और रोक पाने की स्थिति में वह था नहीं।
मैंने जिलाधीश से सम्पर्क किया, वह उपलब्ध नहीं था। तब उन्होंने ब्रह्मास्त्र चलाया।
हुए तो मैंने मुख्यमंत्री जी से सम्पर्क करने की कोशिश की। बड़े बाबा का काज 16-17 जनवरी 2006
मुख्यमंत्री भाग्यवशात् 16 जनवरी को मुख्य सचिव के मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैं रात दो बजे कामायनी
था।
अगस्त 2006 जिनभाषित 15
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