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________________ बड़े बाबा की प्रतिमा का संस्थापन सुरेश जैन, आई.ए.एस. (से.नि.) पूज्य आचार्य विद्यासागरजी महाराज के आध्यात्मिक | सहस्रों वर्षों तक सफलतापूर्वक झेल सकेगी और हमारी नेतृत्व में उनके संघ की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं कुण्डलपुर क्षेत्र | शताधिक पीढ़ियों को अक्षुण्ण रूप से उपलब्ध रह सकेगी। के पदाधिकारियों के सतत परिश्रम के परिणामस्वरूप एनशियेन्ट मान्यूमेंट एक्ट 1904 के जनक वायसराय कुण्डलपुर में भगवान आदिनाथ (बड़े बाबा) की प्रतिमा | लार्ड कर्जन ने बीसवीं शताब्दी के प्रवेश पर हमारे देश की निर्माणाधीन विशाल मंदिर में स्थापित की जा चुकी है। छोटे | पुरातत्त्व संपदा के वैज्ञानिक संरक्षण की प्रक्रिया का श्रीगणेश बाबा ने इस विशाल मूर्ति को नया जीवन प्रदान किया है। करते हुए कहा था कि "सुन्दरता के मंदिरों के दर्शनार्थियों मंदिर का निर्माण पूर्ण होने पर यह मूर्ति अद्भुत आनंद | की हैसियत से मैं उनमें गया हूँ।" साथ ही उन्होंने यह प्रश्न प्रदान करेगी किन्तु मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के स्थगन | उपस्थित किया था कि "क्या कर्म के मंदिर के पुजारी के आदेश के कारण मंदिर निर्माण का कार्य रुक गया है। । रूप में मैने उनके संरक्षण और उनके पुननिर्माण के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार के पुरातत्त्व- | कुछ किया ?" हमें यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता होती है संरक्षण-अधिनियमों की मंशा के अनुरूप ही आचार्यश्री का | कि इक्कीसवीं शताब्दी के मंगलप्रवेश के अवसर पर कर्मवीर प्रमुख उद्देश्य मूर्ति का संरक्षण ही है। संरक्षण की संकुचित | बनकर पूज्य विद्यासागर जी ने अपनी असाधारण शक्ति वैधानिक व्याख्या को विस्तार देते हुए जैन समाज द्वारा नवीन और साहस का उद्घाटन किया है और मूर्ति के सफलतापूर्वक मंदिर की आधारभूति को भूकंप के प्रभाव से बचाने के | संस्थापन द्वारा इस प्रश्न का उपयुक्त एवं प्रभावी उत्तर दिया लिए वैज्ञानिक एवं तकनीकी दृष्टि से सुदृढ़ किया गया है। | है। हमें विश्वास है कि भारत सरकार और राज्य सरकार भारत सरकार ने अपनी संरक्षित नीति के अनुसार महाराष्ट्र | उनके इस कर्म से ओतप्रोत उत्तर का सम्मान करेंगी। मस्थित अजंता-ऐलोरा गुफाओं का सरंक्षण एवं सौन्दीकरण | भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा मध्यप्रदेश किया है। मध्यप्रदेश में स्थित भोजपुर शिवमंदिर का पुनर्निर्माण | में स्थित खजुराहो के मंदिरों और मूर्तियों एवं साँची के स्तूपों किया है। ओंकारेश्वर में स्थित 24 अवतार के विष्णुमंदिर | को विश्व धरोहर की सूची मे सम्मिलित करा लिया गया है। को 3 किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर संरक्षित किया है। | भोपाल के समीप स्थित भीमबैठका और भोजपुर को इस में स्थित हमाय के मकबरा का संरक्षण किया है। | सची में सम्मिलित कराया जा रहा है। मैं सम्पूर्ण जैन समाज इसी प्रकार के अनेक पूर्वोदाहरणों के अनुरूप कुण्डलपुर- से विनम्र आग्रह करता हूँ कि हम मिल जुलकर बड़े बाबा जैनतीर्थ के पदाधिकारियों द्वारा बड़े बाबा की मूर्ति को | की मूर्ति जैसी अपनी सभी महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर निकटस्थ उपयुक्त स्थल पर संस्थापित किया गया है। तीर्थक्षेत्र | को यूनाइटेड नेशंस एजूकेशनल सोसल एन्ड कल्चरल के पर्यावरण को संरक्षित एवं विकसित किया गया है। नवीन | आर्गेनाइजेशन (यूनेस्को) द्वारा तैयार की जा रही विश्व मंदिर में स्थापित करने से मूर्ति के सौन्दर्य में अत्यधिक धरोहर की सूची मे सम्मिलित कराने के लिए आगे बढ़ कर वृद्धि हुई है। अतः अब इतनी बड़ी प्राचीन मूर्ति को ग्रीष्म, ठोस प्रयत्न करें। बड़े बाबा के नवीन मंदिर को दिल्ली के शीत एवं वर्षा से बचाने के लिए हमारा सम्पूर्ण जैन समाज अक्षरधाम में स्थित स्वामीनारायण मंदिर की भाँति संगठित रूप से यथाशीघ्र मंदिर पूर्ण करने के लिए ठोस | आधुनिकतम तकनीकों और प्रक्रियाओं से सुसज्जित करें प्रयत्न करे। अनावश्यक एवं अनुपयुक्त टीका टिप्पणियों | और कम से कम राष्ट्रीय स्तर के आकर्षक पर्यटनकेन्द्र के को विराम देकर अपनी रचनात्मक एकता का परिचय दे। | रूप में सुविकसित करें। समीपस्थ वन्य क्षेत्र में जीव-जंतुओं __ बड़े बाबा की यह विशाल मूर्ति अब विश्व की | और वनस्पतियों का संरक्षण एवं संवर्द्धन करें और तीर्थंकरवन ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर बन गई है। अब यह | विकसित करें। मूर्ति भूकंप, ग्रीष्म और शीत ऋतु के विपरीत प्रभावों को भगवान महावीर ने छब्बीस सौ वर्ष पूर्व इकोलॉजी 20 / अप्रैल, मई, जून 2006 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524306
Book TitleJinabhashita 2006 04 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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