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________________ अजमेर-पं. संजय जी, पं. अनिल जी 24. भिगवण (महा.)पं. अमोल म्हेसकर 25. शिवपुरी- पं. अंशुल जी 26. मन्दसौरपं. अमित जी, पं. वृषभ जी 27. नदवई (राज.) - पं. अनुज 28. भीलवाड़ा - पं. दीपेश जी 29. पहाड़ी-पं. राहुल जी । शीतकालीन अवकाश में बहेगी ज्ञानधारा परम पूज्य सराकोद्धारक उपाध्यायरत्न श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज की परम प्रेरणा एवं आशीर्वाद से एवं श्रुत संवर्द्धन संस्थान, मेरठ उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में विगत गत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी शीतकालीन अवकाश में 25 दिसम्बर से 1 जनवरी 2006 तक राजस्थान के कोटा संभाग के विभिन्न अंचलों में शिक्षिण शिविरों का आयोजन होने जा रहा है। संयोजक - आशीष कुमार जैन शास्त्री, कटारे मुहल्ला शाहगढ़, सागर संस्थान के छात्रों को दी आध्यात्मिक ज्ञान वर्षा (सांगानेर) परम पूज्य प्रातः स्मरणीय आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनिपुंगव श्री 108 सुधासागर जी महाराज के सान्निध्य में दिनांक 13 अक्टूबर से 25 अक्टूबर 2005 तक आध्यात्मिक शिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर के 51 शास्त्री कक्षा के विद्यार्थियों ने प्रवचनसार का द्वितीय अधिकार एवं स्वयंभूस्तोत्र का अध्ययन पूज्य मुनि श्री के मुखारविन्द से निर्जर अमृतवाणी से किया। पुलक गोयल जैन पाठशाला बाल संस्कार सम्मेलन एक अभिनव प्रयोग छिन्दवाड़ा 25 अक्टूबर, अहिंसा स्थली, गोलगंज में स्थित विशाल पंडाल में आयोजन शिविर समापन मानस पटल पर अमिट स्मृति छाप देने वाला सिद्ध हुआ । इसमें सिवनी, मण्डला, पिडरई, गोटेगांव, लखनादौन, छपारा, नरसिंहपुर और छिन्दवाड़ा में संचालित पाठशालाओं के करीब अर्द्धसहस्र छात्र-छात्राओं ने सम्मिलित होकर अभूतपूर्व प्रस्तुति दी । इस अवसर पर मुनिश्री समतासागर जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिशु के जीवन में मासूम माटी की तरह अपार संभवनायें रहती है, माटी से शराब पीने का कुल्हड़ भी बन सकता है और पूजा का मंगल घट भी । कुशल कुम्भकार की तरह योग्य गुरु का सान्निध्य मिलता Jain Education International है, तो यही बच्चे जीवननिर्माता, युगनिर्माता बनते हैं। जैन बाल संस्कार सम्मेलन का यह आयोजन विशिष्ट विद्वान् बनाने का आयोजन नहीं, बल्कि नैतिकता, धार्मिकता की धरा पर संस्कारों की दीक्षा का आयोजन है। सभा में उपस्थित अर्द्धसहस्र बच्चे इस बात का सबूत हैं कि भावी पीढ़ी को यदि जागरण का मंत्र दिया जाये, तो आज भी यही तरुणाई अपनी, अपने परिवार, समाज और राष्ट्र की जिम्मेदारियाँ महसूस कर सकती है। परिणाम सामने है, बाल सम्मेलन की यह गंगोत्री ज्ञान और भक्ति के संस्कारों को प्राप्त कर विशाल जागरूक जनचेतना का आदर्श प्रस्तुत कर सकती है। सभी विद्यार्थी शिक्षक, शिक्षिकायें, संयोजक और समाज के सहयोगी जन इस उपलब्धि के लिए शुभाशीष के पात्र हैं। ऐलक श्री निश्चयसागर महाराज ने कहा कि जो लता बिना किसी सहारे के होती है, वह विलय को प्राप्त होती है। छोटे-छोटे बच्चों में संस्कारों के बीज बोना आवश्यक है। देवशास्त्र, गुरु के प्रति श्रद्धाभक्ति के संस्कार सुयोग्य श्रावक बनाते । यही संस्कारित बच्चे, राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। नन्हें मुत्रे छात्र छात्रायें प्रात: 7.30 बजे केशरिया वस्त्रपरिधान में कतारबद्ध, अनुशासित होकर विभिन्न मार्गों से नगर भ्रमण का भव्य प्रदर्शन कर नगर के मुख्य स्थल अहिंसास्थली गोलगंज में पहुँचकर धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हुए । विभिन्न नगरों से पधारे पाठशाला संचालक, शिक्षक, शिक्षिकायें एवं आमंत्रित अतिथियों ने मुनिसंघ के पुनीत चरणों में श्रीफल समर्पित कर आशीष प्राप्त किया। वहीं बाहर से पधारे अतिथियों का सम्मान महासभा चातुर्मास आयोजन समिति विभिन्न संगठनों, समितियों, संस्थानों के पदाधिकारियों ने श्रीफल, बैग, स्मृतिचिन्ह एवं पाठशाला के छात्र - छात्राओं, शिक्षक-शिक्षिकाओं को परिधान भेंट कर सम्मानित किया। मुनिसंघ की आहारचर्या एवं सामायिक के पश्चात् ठीक दोप. 2 बजे से 5 बजे तक संतनिवास प्रवचन हाल में धर्मसभा पुनः प्रारंभ हुई। जिसमें विभिन्न पाठशालाओं के छात्र-छात्राओं ने आकर्षक धार्मिक, सांस्कृतिक नृत्य, नाटक, भजनों एवं फैन्सी ड्रेस की प्रस्तुति देकर उपस्थित विशाल जनसमूह का मन जीत लिया, जिससे प्रशंसा ही नहीं, बल्कि पाठशाला के लिए पुरस्कार राशि भी प्राप्त की । For Private & Personal Use Only संयोजक -दिसम्बर 2005 जिनभाषित 32 www.jainelibrary.org
SR No.524303
Book TitleJinabhashita 2005 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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