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________________ ४६.मुनिश्री विनम्रसागर जी, ४७.मुनिश्री अतुलसागर जी, । ०७५९६- २८०००७, संजय मैक्स, इंदौर (संयोजक) ४८.मुनि श्री भावसागर जी, ४९.मुनिश्री आनंदसागर जी, | मोबा. : ९४२५०५३५२१, ऋषभ मोदी (सहसंयोजक), ५०.मुनिश्री अगम्यसागर जी, ५१.मुनिश्री सहजसागर जी । फोन : ०७५८६-२५००२०, महेन्द्र मोदी (अध्यक्ष), फोन : संघ में ब्रह्मचारी भैया एवं बहिनें भी हैं। वर्षायोग में | ०७५८६-२५००२१, २५०३००, मो. ९४२५४५११५३, आचार्य प्रवर के हर रविवार को मंगल प्रवचन होते हैं और राजेन्द्रबड़कुल (उपाध्यक्ष), प्रकाश जैन (महामंत्री)-०७५८६साधुओं के अध्ययन हेतु प्रातः काल धवला जी महाग्रंथ एवं २५०४५१, विमल पांडे (उपमहामंत्री), फोन : ०७५८६दोपहर में आत्मानुशासन महाग्रंथ की वाचना भी हो रही है। २५०५७७, २५०३७७, सुनील सिंघई (स्वागताध्यक्ष), फोन : आचार्यश्री के मंगल समोसरण में पधारकर धर्म-रस का ०७५८६-२५०२०५, दिनेशमोदी (कोषाध्यक्ष), फोन :०७५८६पान कर यात्री अपने को धन्य कर रहे हैं। २५०८६५, संजय जैन (शिक्षक), प्रचार एवं प्रसार मंत्री, फोन : अतिशय क्षेत्र बीनाजी से दर्शनीय स्थल के नाम एवं ०७५८६-२५०७४७ दूरी निम्नप्रकार है : पटनागंज (रहली) ४० कि.मी., बीना क्षेत्रकमेटी आप सभी को आमंत्रित करती है, पटेरियाजी (गढ़ाकोटा) ५९ कि.मी. सिद्धक्षेत्र कंडलपर | आकर के धर्म लाभ लें। वर्तमान में धर्मशाला का कार्य भी (दमोह) ११० कि.मी., अतिशय क्षेत्र पिसनहारी मढ़िया जी प्रगति पर है। यहाँ लगभग ४० कमरे निर्मित हैं। भोजन, (जबलपुर) १४८ कि.मी., भाग्योदय तीर्थ (सागर) ७३ पानी, रहने की समुचित व्यवस्था है। अभी वर्तमान में कि.मी., अतिशय क्षेत्र नैनागिरि (दलपतपुर) १६० कि.मी.. | आचार्यश्री विराजमान हैं, जिससे आवास व्यवस्था एवं आहार अतिशय क्षेत्र कौनीजी (पाटन) ११० कि.मी., अतिशय क्षेत्र व्यवस्था हेतु १२० कमरे (टीनसेड) प्रथक से तैयार किए आदिश्वर गिरि (नोहटा) ८० कि.मी., देवरी (सागर) भव्य गए हैं और एक प्रवचन-हाल १२० x १६० फीट का भी ८ जिनालय, ८ कि.मी. तैयार किया गया है। इसी से लगा हुआ भोजनालय भी है, बीनाजी पहुँचमार्ग : बाम्बे-हावड़ा बाया इटारसी करेली और व्यवसाय हेतु दुकानें आदि भी वर्तमान में प्रारंभ हैं। आप सभी आइये और धर्म-लाभ लेकर क्षेत्र की उन्नति में देवरी ५० कि.मी., बाम्बे-हावड़ा बीना सागर देवरी ६५ कि.मी., हावड़ा-हावड़ा बाया बीना दमोह देवरी ७५ कि.मी. | अमूल्य सहयोग दीजिये। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप अवश्य पधारेंगे। क्षेत्र पदाधिकारी एवं संपर्क सूत्र : बीना क्षेत्रकमेटी फोनः | प्रचार मंत्री, बीनाजी (बारहा) वीर देशना जो दुर्बुद्धि जन, राग, द्वेष, मोह, काम, लोभ और अज्ञानता के कारण विचार नहीं करते हैं, वे अपने मस्तक पर वज्र को पटकते हैं। The evil minded who remains deluded by attachment, aversion, bewilderment, desire, acquisitiveness and ignorance and does not contemplate about the real purpose of existence, only hits his head against a thunderbolt. मूर्खता के समान दूसरा अंधकार नहीं है, ज्ञान के समान दूसरा कोई प्रकाश नहीं है, जन्म के समान कोई शत्रु नहीं हैं, तथा मोक्ष के समान अन्य कोई बन्धु नहीं है। There is no darkness like ignorance, no light like knowledge, no enemy like birth and no friend like final liberation. जो दुर्बुद्धि मनुष्य पंखहीन हंस के समान अवस्था वाले हैं, उनके सामने बुद्धिमान् मनुष्यों को भाषण नहीं करना चाहिए। The wise should not waste their words on the wicked who are like swans suns feathers. स्वयं अपना और दूसरे का उपकार करना अनुग्रह है। Benefaction on the self and the others is grace. मुनिश्री अजितसागर जी 22 अक्टूबर 2005 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524301
Book TitleJinabhashita 2005 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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