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देकर सुरक्षा प्रदान की गई है कि वे जिन खाद्य पदार्थ, औषधि अथवा प्रसाधन सामग्रियों आदि प्रयोग कर रहे हैं, वे किन पदार्थों से निर्मित की गई हैं, यह जानने का उन्हें संविधान प्रदत्त पूर्ण अधिकार प्राप्त है।
७. संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों की सुरक्षा हेतु हमारा यह अनुरोध है कि "खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, १९५४" में किए गए उपर्युक्त संशोधनों के अनुरूप ही " औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० " के उचित / संबंधित उपबंधों को भी संशोधित किया जाए।
इस हेतु जो औषधियाँ एवं प्रसाधन सामग्रियाँ मांसाहार युक्त सामग्री से निर्मित की गई हो, उन पर प्रतीक चिन्ह [C] को "भूरे रंग " से बनाया जाना अनिवार्य किया जाए। जो औषधियाँ एवं प्रसाधन सामग्रियाँ शाकाहार युक्त सामग्री से निर्मित की गई हों, उन पर प्रतीक चिन्ह "हरे रंग " से बनाया जाना अनिवार्य किया जाए। एतद् विषयक प्रावधान वर्तमान में संसद में विचाराधीन बिल नं. LIV of २००५ ' औषधि एवं प्रसाधन सामग्री' (संशोधन) विधेयक २००५ में ही और उचित / संबंधित संशोधन करके उसे विस्तारित किया जाए।
८. स्मरण रखने योग्य तथ्य यह भी है, कि दिल्ली उच्च न्यायालय, नई दिल्ली के विद्वान न्यायमूर्तिद्वय श्री अनिल देव सिंह तथा श्री मुकुल मुद्गल की पीठ ने "उजैर हुसैर / भारत सरकार एवं अन्य" संबंधी सिविल रिट पिटीशन नं. ८३७ / २००१, दिनांक १३.११.२००२ में यह निर्णीत कर दिया है कि सभी प्रकार की प्रसाधन सामग्रियों अथवा औषधियों (जीवन रक्षक औषधियों को छोड़कर) में "मांसाहार युक्त सामग्री" होने पर उसके पैकेज केऊपर
"हरे रंग " से प्रतीक चिन्ह
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'लाल रंग" से प्रतीक चिन्ह को तथा शाकाहार युक्त सामग्री होने पर उसके पैकेज पर को बनाया जाना चाहिये। यह निर्णय ए. आई. आर. २००३, दिल्ली १०३ पर मुद्रित है।
९. दिल्ली उच्च न्यायालय के उपर्युक्त निर्णय में मांसाहार युक्त सामग्री पर प्रतीक चिन्ह को "लाल रंग " से बनाया जाना निर्देशित किया है। वस्तुतः यहाँ पर भी " भूरा रंग" ही होना चाहिये था, जैसा कि जी. एस. आर. २४५ (ई) दिनांक ४.४.२००१ के मूल में " 'भूरा रंग" ही निर्दिष्ट है। इस अधिसूचना के अंतर्गत S (zzz) (१६) में इनवर्टेड कामा के भीतर स्थित प्रतीक चिन्ह तक ही मूल अंश है। किन्तु नियम ४२ के उपनियम S (zzz) क्लाज १६ के (a) में स्पष्टत: " भूरे रंग" का उल्लेख होने को भूलकर तथा प्रतीक चिन्ह के आगे कुछ भी नहीं लिखा होने पर किसी लिपिकीय असावधानी वश " लाल रंग" (Red Colour) अंग्रेजी में अतिरिक्त लिख दिया गया है। और उसी के कारण दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी मांसाहार युक्त प्रसाधान सामग्रियों अथवा औषधियों के पैकेज पर "लाल रंग " से प्रतीक चिन्ह बनाने का आदेश जारी कर दिया है। अतः इस अधिनियम को संशोधित करते समय मांसाहारी खाद्य पदार्थ के अनुरूप " भूरा रंग" ही रखा जाए ।
१०. मांसाहार युक्त या शाकाहार युक्त औषधियों अथवा प्रसाधन सामग्रियों के पैकेज पर प्रतीक चिन्ह बनाये जाने के साथ ही साथ उन चिन्हों के नीचे हिन्दी / अंग्रेजी अथवा दोनों ही भाषाओं में मांसाहार युक्त पदार्थों के नीचे मांसाहार/ Non-vegetarian-veg./अथवा शाकाहारी युक्त पदार्थों के नीचे हिन्दी या अंग्रेजी अथवा दोनों ही भाषाओं में शाकाहार Vgetarian/veg. लिखा जाना भी प्रस्तावित किया जाये। क्योंकि ब्लेक एण्ड व्हाइट काले रंग में छपे पैकेज या | विज्ञापन आदि प्रचार सामग्रियों पर दोनों ही प्रतीक चिन्ह एक जैसे दिखाई पड़ने से पाठक या उपभोक्ता भ्रमित हो जाते हैं । अतएव प्रतीक चिन्ह के नीचे हिन्दी / अंग्रेजी / दोनों ही भाषाओं आदि में (जिसे भी उपयुक्त समझा जाये) लिखा जाना भी प्रस्तावित किया जावे।
११. शाकाहार, जीवदया, पर्यावरण संरक्षण, प्राणी मैत्री, करुणा एवं परोपकार में आस्था रखने वाले देशवासियों की भावनाओं को साकार करने, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त निर्णय के परिप्रेक्ष्य में तथा भारतीय संविधान में नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों के संरक्षण हेतु आपसे अनुरोध है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की स्थायी समिति के समक्ष लंबित बिल नं. LIV of 2005 " औषधि और प्रसाधन सामग्री (संशोधन) विधेयक, २००५ ' के वर्तमान प्रारूप में ही योग्य उपबंध संबंधी उचित संशोधन प्रस्ताव जोड़कर संसद के आगामी सत्र में ही पारित कराने हेतु त्वरित पहल करें / कराएँ ।
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इस विषय में आपके द्वारा की गई आवश्यक कार्यवाही की एक प्रति आप हमें भी उपलब्ध कराएँगे, ऐसी महती अपेक्षा है।
भवदीय
26 सितम्बर 2005 जिनभाषित
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