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________________ आप लोगों को इससे प्रेरणा लेना चाहिए। अभी आठ दिन पूर्व प्रेमचंद जैन ललितपुर, जो उदासीन आश्रम में रहते थे, बड़े बाबा के अभिषेक के लिए तिलक लगाया अपने ललाट पर और बड़ेबाबा के श्रीचरणों में जैसे ही सिर नवाया कि संसार से प्रस्थान कर गए। यह बुंदेलखंड साधना का खंड है, यहाँ अच्छी विशुद्धि है। शुद्ध रहन-सहन और व्यवसाय है, सादगी है। यहाँ का सही विकास नहीं हुआ है, परन्तु धार्मिक दृष्टि से यहाँ का विकास बहुत अच्छा है। दिवंगत आत्मा की भावना शीघ्र पूर्ण हो । श्रद्धांजली सभा में पं. मूलचंद लुहाड़िया - मदनगंज किशनगढ़, ब्र. जिनेशजी, अधिष्ठाता जैन गुरुकुल मढ़िया (जबलपुर), जयकुमार 'जलज', संतोष सिंघई अध्यक्ष कुंडलपुर सिद्धक्षेत्र कमेटी ने भी श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि डॉ. शिखरचंद जी व्रतों के प्रति कट्टर थे, साधना के लिए उनका समर्पण अद्वितीय था । मण्डला (म.प्र.) में पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठा समारोह सम्पन्न परमपूज्य प्रातः स्मरणीय संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद से रेवा - तट पर बसी नगरी (मण्डला) में प्रथम बार दिनांक 11-02-05 से दिनांक 17-02-05 तक आयोजित होने वाले ऐतिहासिक त्रय - गजरथ महोत्सव में सिवनी से बिहार कर पधारे आचार्य श्री विद्यासागरजी के आज्ञानुवर्ती परमशिष्य मुनिश्री समतासागर जी, ऐलक श्री निश्चयसागरजी, क्षुल्लक श्री पूर्णसागरजी महाराज के मण्डला नगर में प्रवेश के अवसर पर उनकी भव्य अगवानी की गई। श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर महावीर मार्ग मण्डला के भूतल में श्री सिंघई केशरीचंद द्वारा नवनिर्मित वेदी, उस पर श्री सन्तोषकुमार अभिलाषकुमार जैन द्वारा विराजमान अतिमनोज्ञ अतिशयकारी श्री 1008 श्री शान्तिनाथ भगवान की श्वेत मार्बल की पद्मासन प्रतिमाजी एवं रायसेठ नन्दनकुमारजी परिवारजन द्वारा द्वितीय तल पर कलात्मक वेदी, जिसकी नक्काशी में शुद्ध सोने का वर्क लगाकर अति सुन्दर नवनिर्मित कांच की वेदी पर श्री 1008 श्री शीतलनाथ भगवान की लाल पाषाण की पद्मासन 5 फुट की प्रतिमा विराजमान की । महाराजश्री के सान्निध्य में वाणीभूषण बा.ब्र. प्रतिष्ठाचार्य विनय भैयाजी के तत्वावधान में पंचकल्याणक पूजा विधान 30 मई 2005 जिनभाषित Jain Education International | संपन्न हुआ। मुनि श्री समतासागर जी महाराज ससंघ मण्डला नगर के शांतिनाथ जिनालय में विराजमान हैं । मुनिश्री की नियमित धर्मदेशना, पुरुषार्थसिद्धयुपाय, ग्रन्थ पर हो रही है। अष्ट दिवसीय जनजागरण प्रवचनमाला के जनकल्याणकारी उपदेशों से प्रभावित होकर आदिवासी बाहुल्य इलाके के अनेक लोगों ने मद्यमांस का त्याग किया । अशोक कौछल, मण्डला श्री सम्मेदशिखर में सिद्धचक्रमण्डलविधान सम्पन्न मुनि श्री प्रमाणसागर जी महाराज द्वाराअभूतपूर्व धर्मप्रभावना संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में तीर्थराज सम्मेद शिखर में 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान धूमधाम से सम्पन्न हुआ। अष्टाह्निका महापर्व के पावन अवसर पर आयोजित इस महोत्सव का आयोजन धर्मप्रभावना समिति के तत्वावधान में किया गया, आयोजन के पुण्यार्जक के बनने का सौभाग्य तेरह पंथी कोठी के क्षेत्रीय मंत्री प्रसिद्ध समाजसेवी मुनिभक्त श्री कन्हैया लाल जी सुगनी देवी औरंगाबाद को मिला जिन्होंने इस महोत्सव में सम्पूर्ण खर्च अपनी ओर से किया । विविध धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न होने वाले इस आयोजन का शुभारम्भ अशोक जी पाटनी आर. के. मार्बल किशनगढ़ के कर कमलों से हुआ। अपने परिवार सहित पधारे श्री पाटनी जी ने अपनी ओर से ग्यारह लाख रूपये की दान राशि घोषित की। आयोजन का समस्त विधि विधान प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र. प्रदीप जी अशोकनगर व ब्र. अन्नु भैया शहपुरा के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। आयोजन में सबसे ज्यादा आकर्षण मुनिश्री के प्रवचनों में देखा गया प्रतिदिन प्रातः और दोपहर में मुनिश्री प्रभावी प्रवचन हुए। दिल और दिमाग को झकझोर देनेवाले मुनिश्री के मोहक प्रवचनों ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। इस आयोजन में बहुत से लोग शामिल हुए थे, जिन्होंने मुनिश्री के पहलीवार ही दर्शन किए थे। झारखण्ड के लाल को इतनी प्रभावी स्थिति में देखकर सभी का मन अभिभूत था। सायंकाल आचार्य भक्ति के उपरान्त शंका समाधान के कार्यक्रम में मुनिश्री अपने तार्किक उत्तरों से सभी की भ्रान्तियों को बड़ी सहजता से सरल कर देते थे । छीतरमल जैन पाटनी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524296
Book TitleJinabhashita 2005 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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