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________________ परिवर्तित करती हैं। अनिल पाटोदी 'अनुपम डॉ.विकास मोहन, प्राकृतिक चिकित्सक | श्री कपूर चन्द जी पाटनी जयपुर का धर्मध्यान पूर्वक इसरी में सप्तम आत्म साधना शिक्षण शिविर सानंद स्वर्गवास सम्पन्न श्री कपूरचंद जी पाटनी (कालाडेरा वाले) निवासी तीर्थराज सम्मेद् शिखर के पादमूल इसरी बाजार में | इन्द्रपुरी कॉलोनी, लालकोठी, जयपुर का दिनाँक १९ नवम्बर पं. श्री मूलचंद जी लुहाड़िया (मदनगंज-किशनगढ़) के | २००४ को धर्मध्यान पूर्वक स्वर्गवास हो गया है। आपकी निर्देशन एवं श्री सम्पतलाल जी छाबड़ा (कोलकाता) के आयु ८२ वर्ष की थी। आप अत्यंत मिलनसार एवं मृदुभाषी संयोजन में सप्तम आत्म साधना शिक्षण शिविर का आयोजन | थे, किसी को भी दु:खी देखकर तुरंत सहयोग करते थे। हुआ जिसका शुभारंभ दिनाँक २४ दिसम्बर २००४ (शुक्रवार) आप नियमित रूप से पूजन आदि कार्य भक्ति भाव सहित को हुआ। परमपूज्य आचार्य १०८ श्री ज्ञानसागरजी महाराज, करते थे। विधान कराने में, साधुओं को आहार देने में, परमपूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज एवं पूज्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठाओं में इन्द्र आदि बनने में आपकी क्षुल्लक १०५ श्री गणेश प्रसाद जी वर्णी के चित्रों का अनावरण अत्यंत रूचि रहती थी। करीब २ वर्ष पूर्व आपकी दोनों क्रमश: धर्मनिष्ठ श्रीमान शिखरीलालजी बगड़ा (कोलकाता), आँखों की रोशनी चली गई थी फिर भी आप १२-१३ घंटे श्रीमान रतनलाल जी जैन, सी.ए. (कोलकाता) एवं श्रीमान नित्य धार्मिक क्रियाओं में लगाते थे तथा पर्व के दिनों में मोहनलाल जी अजमेरा (धुलियान-मुर्शिदाबाद, पं.बंगाल) आप अपने पुत्र शांतिलाल जी पाटनी के साथ अंत तक द्वारा किया गया। मंदिर जाते रहे। आपने अपने अंतिम दिनों में दो लाख श्रावकाचार (उत्तरार्ध) के वर्ग क्रमशः बा.ब्र. श्री रूपये की राशि दान में निकालने की भावना की थी। पवन भैय्या, बा.ब्र.श्री कमल भैय्या एवं प. श्री मूलचन्द जी जिसमें से ५१००० रुपये की राशि श्री दि.जैन श्रमण संस्कृति लुहाड़िया द्वारा लिये गये जबकि स्थानीय बच्चों को बालबोध संस्थान सांगानेर को प्राप्त हुई है। शेष राशि अन्य स्थानों पर एवं छहढाला का अध्ययन ब्र.श्री ज्योति दीदी (इसरी) द्वारा भेजी जा रही है। अंतिम समय तक वे धर्मसाधना में लगे कराया गया। दिन में 2 बार चारों विषयों के अलग-अलग रहे। प्रभु से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान वर्ग लगते थे। कार्यक्रम संचालन श्री सुरेश कुमार जैन करें। (इसरी), श्री रतनलाल जैन नृपत्या (जयपुर), श्री नरेश कुमार जैन (पटना) ने किया। श्री पुरुषोत्तम दास जी जैन सहायता प्राप्त (जगाधारी) ने प्रतिमाव्रत ग्रहण किया। चि.नितिनकुमार सुपुत्र श्री अजयकुमार कासलीवाल, नरेश कुमार जैन, ट्रस्टी संयोजक | साकेतनगर, कानपुर का शुभ विवाह आ.विप्रा सुपुत्री श्री श्री पार्श्वनाथ दि. जैन शांति निकेतन, उदासीन आश्रम भूषण कुमार जी लुहाड़िया कोटा निवासी के साथ दिनांक ६ दिसंबर २००४ को संपन्न हुआ है, जिसमें 'सर्वोदय जैन नावाँ में सहस्त्रनाम मण्डल विधान, चन्द्रप्रभु विद्यापीठ' के लिए ११०० रुपये प्राप्त हुए हैं। हम सभी कामना करते हैं कि वर-वध का गृहस्थ जीवन धार्मिक पार्श्वनाथ जन्म व तप कल्याणक नावाँ सिटी (राजस्थान) में परमपूज्य गणिनी आर्यिका एवं मंगलमय हो। श्री १०५ श्याद्वादमति माताजी के ससंघ सानिध्य में श्री १००८ जिन सहस्त्रनाम मंडल विधान, देवाधिदेव १००८ श्री जैन समाज द्वारा सामूहिक उपवास एवं जुलूस चन्द्रप्रभु-पार्श्वनाथ भगवान का जन्म व तप कल्याणक एवं निकाला आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज का १० वाँ समाधि अजमेर ६ जनवरी, ०५ सकल जैन समाज, अजमेर दिवस महोत्सव दि. ३ जनवरी से १३ जनवरी २००५ तक | की ओर से तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान की निर्वाणस्थली संघस्थ बा.ब्र.प्रभा दीदी (इंदौर म.प्र.) के निर्देशन में आयोजित गिरनार सिद्धक्षेत्र पर जैनियों के पूजा अभिषेक, वंदना के किया गया। अधिकारों की रक्षा और असामाजिक तत्त्वों की ओर से | किये जा रहे अतिक्रमण के विरोध में लामबंद होकर आज -फरवरी-मार्च 2005 जिनभाषित 43 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524294
Book TitleJinabhashita 2005 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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