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________________ साकारे जिनबिम्बे स्यादेक एवोपचारकः। स चाष्टविध एवोक्तं जल-गन्धाक्षतादिभिः॥3॥ अर्थ- स्थापना दो प्रकार की मानी गई है। साकारस्थापना और निराकारस्थापना। प्रतिमा आदि में साकार स्थापना होती है और अक्षत-पुष्पादि में निराकार स्थापना होती है। निराकार स्थापना में आह्वानन, स्थापन, सन्निधीकरण, पूजन और विसर्जन ये पाँच उपचार होते हैं। किन्तु साकार स्थापना में जल, गन्ध, अक्षत आदि अष्ट प्रकार के द्रव्यों से पूजन करने रूप एक ही उपचार होता है। __इन सब प्रमाणों के प्रकाश में यह स्पष्ट ज्ञात होता है कि वर्तमान में जो पूजन-पद्धति चल रही है, वह साकार और निराकार स्थापना की मिश्रित परिपाटी है। विवेकी जनों को उक्त आगममार्ग से ही पूजन करना चाहिए। अतएव निराकार पूजन के विसर्जन में आहूता ये पुरा देवा' इत्यादि श्लोक न बोलकर 'संङ्कल्पित जिनेन्द्रान् विसर्जयामि' इतना मात्र बोलकर पुष्प-क्षेपण करके विसर्जन करना चाहिए। क्रमशः श्रावकाचार संग्रह (चर्तुथ भाग) से साभार सम्यक्त्ववर्द्धिनी ज्ञान प्रतियोगिता का परिणाम पर्वाधिराज पyषण 2004 के उपलक्ष्य पर श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर द्वारा प्रकाशित सम्यक्त्व वर्द्धिनी ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित की गयी थी। जिसमें लगभग 4000 प्रतियोगियों ने उत्साहपूर्वक लिया था। जिसमें प्रथम स्थान-घंसौर की बहिन प्रज्ञा जैन, द्वितीय स्थान-संदीप कुमार जैन, नलवाड़ी (आसाम), तृतीय स्थान-राकेश जैन, कुलुवा (म.प्र.) ने प्राप्त किया है। सांत्वना पुरस्कार 100 लोगों को दिया गया। प्रतियोगिता के उत्तर इसप्रकार हैं 1. माघवदी 14 2. आत्मज्ञान से 3. इच्छानिरोध से 4. श्रावण बदी 1 5. नारद 6. मांगीतुंगी 7. गिरनार जी से 8. कमलावती 9. कनकमती 10. नाभिराय व बाहुबली 11. इनमें से कोई नहीं 12. आचार्य समन्तभद्र 13. कुन्दलता 14. आचार्य 15. बलभद्र 16. ध्यान 17. राजुल 18.458 19. विजया सेठानी 20.64 21. बसंततिलका 22. आचार्य पूज्यपाद 23. कुलभूषण-देशभूषण 24. कमलोत्सवा 25. आचार्य अकंलक 26. मुनि भीम 27. गुप्ति-सुगुप्ति 28. सनतकुमार चक्रवर्ती 29. ब्रह्मचर्याणुव्रत 30. प्रद्युम्न कुमार 31 समुद्रदत्त सेठ 32. भामण्डल 33. चन्द्रमति 34. 3 पल्य 35. मदालसा 36. अनंगसरा 37. कुबेर 38. आलापद्धति 39. 6 वें में 40. नपुंसक लिङ्ग 41. आगरा 42. आचार्य ज्ञानसागर जी 43. वैक्रियिक 44. नौकर्माहार 45. आकाश द्रव्य 46. 12 वें तक 47. जबलपुर 48. सुधासागर जी 49. सम्मूर्छन जन्म 50. एकेन्द्रिय जीव 51. धर्मध्यान 52. कवि द्यानतराय 53. द्रोणगिर जी 54. जयपुर 55. गुणावा जी 56. 19 57. हस्तिनापुर 58.2 59. श्रवणबेलगोला 60. गजपुर 61. केशोरायपाटन 62. पं.बनारसीदास जी 63. 1 64. छहढाला 65. सिद्धचक्र 66. पाँचवे स्वर्ग तक 67. स्वयंभूरमणद्वीप 68. 45 लाख योजन 69. उड़ीसा 70.3 71. 1995 72. अजमेर 73.5 इन्द्रिय 74. सोमासती 75. नवधाभक्ति 76. शेरपर्याय में 77. सुमेरू पर्वत 78. पेड़ 79. तत्वार्थसूत्र 80. आलापपद्धति .81. भक्तामर स्त्रोत 82. झूठ 83. ओम 84.3 85. दीपावली 86. रवीन्द्र जैन 87. केशरिया 88. त्रिशलादेवी 89. 12 90.357 91. विग्रहगति में 92.170 93.8 वर्ष अन्तर्मुहूंत 94. अनुप्रेक्षा 95. श्वासोच्छवास 96. पृथक्त्व वितर्क 97.70 कोड़ाकोड़ी 98. पाठशाला 99.3 100. वात्सल्य 101. चरणानुयोग 102.आचार्य ज्ञानसागर 103. 10 अक्टूबर, 1946 104.525 धनुष 105. कोई भी नहीं 106. सौधर्मेन्द्र 107. कुण्डलपुर (वैशाली) 108. कुण्डलपुर ...ब्र.भरत जैन जनवरी 2005 जिनभाषित 9: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524293
Book TitleJinabhashita 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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