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शास्त्रीय अध्ययन), श्री प्रो. एल.सी.जैन जबलपुर(जैन | सम्मेलन में देश भर के हजारों युवाओं ने भाग लिया। कर्मवाद और तत्त्वार्थसूत्र), श्री डॉ. फूलचंद जी प्रेमी | मुनिश्री ने अपने ओजस्वी प्रवचन में युवाओं को वाराणसी(ध्यान विषयक मान्यताओं का समायोजन), पं. | उद्बोधित करते हुए कहा कि युवा वर्ग राष्ट्र की सच्ची रतनलाल बैनाड़ा आगरा (मुक्त जीव एवं मुक्ति का स्वरूप) | अनुभूति है। समाज का यथार्थ बिम्ब है वह शक्ति का श्री नलिन के. शास्त्री (तत्त्वार्थसूत्र का छटवां अध्याय | प्रतीक है। ऊर्जा का पुंज है। उसके ऊपर समाज का महान मनोविज्ञान के परिप्रेक्ष्य में), डॉ. सुरेशचन्द जैन | दायित्व है, युवाओं को सामाजिक कुंठाओं और कुरीतियों दिल्ली(तत्त्वार्थसूत्र में रत्नत्रय की विवेचना) और श्री सिद्धार्थ | को खत्म कर नव निर्माण का बिगुल बजाना चाहिए। जैन सतना(असंख्यात गुण श्रेणी निर्जरा एक चिन्तन) प्रत्येक | मुनिश्री ने कहा कि जैन समाज इतनी प्रबुद्ध समाज है। सत्र के अंत में उसकी अध्यक्षता कर रहे विद्वानों ने अपना | समाज का युवा वर्ग सर्वाधिक सुशिक्षित होने के बाद भी समीक्षात्मक उद्बोधन दिया। गोष्ठी का समापन मुनिश्री के | इतना पीछे क्यों है? इस पर विचार करने की आवश्यकता प्रवचनों से हुआ जिसमें मुनिश्री ने प्रत्येक विद्वानों को | है। मुनिश्री ने युवाओं को अपनी बुरी आदतों को छोड़ने अपेक्षित दिशा निर्देश दिये। गोष्ठी के मुख्य संयोजक श्री | की प्रेरणा देते हुए कहा कि सामाजिक क्रान्ति और नवनिर्माण अनूपचन्द जैन एडवोकेट( फिरोजाबाद) ने अत्यंत कुशलता | हमेशा बलिदान मांगता है यदि युवा अपनी दुबलताओं पूर्वक गोष्ठी का संयोजन किया तथा स्थानीय संयोजक द्वय
और जीवन की जड़ों को कुरेदने वाली आदतों का उत्सर्ग श्री सिद्धार्थ जैन एवं श्री सिघंई जयकुमार जैन ने भी सराहनीय नहीं कर सकता, तो उससे नव निर्माण की क्या आशा की व्यवस्था बनाई। बीच-बीच में व्रती अशोक भैया का भी
जा सकती है। मुनिश्री ने सतना में आयोजित युवा सम्मेलन मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा।
को युवा चेतना के जागरण की एक अभिनव पहल बताते
हुए कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से युवा चेतना की ____ आखिरी दिन समापन सत्र उज्जैन से पधारे डॉ. राममूर्ति
जाग्रति का एक इतिहास बनेगा। मुनिश्री ने युवारत्न से त्रिपाठी के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। उक्त अवसर
अलंकृत युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं पर सभी विद्वानों का समाज द्वारा सम्मान किया गया।
को प्रेरणा, प्रेम, प्रोत्साहन और प्रतियोगिता के बल पर ही विद्वत समूह की ओर से प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन फिरोजाबाद
आगे बढ़ाया जा सकता है। ताड़ना और तर्जना के बल पर ने अपने उद्बोधन में संगोष्ठी को सफल संगोष्ठी निरूपित
नहीं। करते हुए कहा कि इस गोष्ठी के प्रत्येक सत्रों में श्रोताओं
__सम्मेलन के दौरान आयोजित अलंकरण सम्मान की इतनी उपस्थिति आज तक कहीं भी देखने को नहीं
समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए पांच युवाओं को मिली। उन्होंने समाज के द्वारा की गई व्यवस्थाओं की भी
सम्मानित किया गया, जो समाज सेवा व निर्माण की दिशा सराहना की और कहा कि यह सब मुनिश्री का ही प्रभाव
में निर्विवादित रहते हुए कार्य कर रहे हैं। सम्मानित होने है। डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी ने मुनिश्री के चरणों में अपनी
वालों में कवि चन्द्रसेन जैन भोपाल, शैलेश जैन जबलपुर, वंदना व्यक्त करते हुए कहा कि आप कल्पना नहीं कर
कटनी नगर पुलिस अधीक्षक मलय जैन, पार्षद पंकज जैन सकते कि मेरे मन में विराजमान मुनिश्री के प्रति कितनी
ललितपुर को मुकुट पहनाकर व शाल ओढ़ाकर सम्मानित श्रद्धा है। उन्होंने कहा कि विघटन भरे इस दौर से ये परम |
किया गया। तपस्वी मुनि-संत ही उबार सकते हैं। अध्यात्म के माध्यम
आनंद जैन, प्रचार संयोजक, सतना से ये हमारे पथ प्रदर्शक बन सकते हैं। उन्होंने मुनिश्री के चरणों में श्रीफल अर्पित किया। इसतरह एक सफल संगोष्ठी
श्री सम्मेदशिखर तीर्थ पर जैनों के का समापन हुआ।
दोनों पक्षों को समिति बनाने का आदेश सतना का जैन युवा सम्मेलन इतिहास रच गया झारखण्ड के सुप्रसिद्ध जैन श्री सम्मेदशिखर जी के विगत दिनों मुनि श्री प्रमाणसागर जी की प्रेरणा से
मालिकाना हक के बारे में झारखण्ड हाईकोर्ट में चल रहे जैन नवयुवक मण्डल के तत्त्वाधान में आयोजित युवा
एल.पी.ए. की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति श्री बाला सुब्रह्मण्यम सम्मेलन पूरे देश के लिये एक मिसाल बन गया है। इस
सहित तीन न्यायमूर्तियों की डिवीजन बेंच ने आज 24 अगस्त 2004 को अपना निर्णय दिया।
अक्टूबर 2004 जिनभाषित 31
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