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जल सोचता, अनुभव करता और व्यक्त करता है
श्री प्रभुनारायण मिश्र
'नया ज्ञानोदय' साहित्यिक मासिक के 'बिन पानी सब सून' विशेषांक (मार्च, 04) से श्री प्रभुनारायण मिश्र, इंदौर का यह आलेख साभार ग्रहण किया गया है।
लेख में कुछ बिन्दुओं पर जैन दर्शन' से पृथक् निष्कर्ष हो सकते हैं, किन्तु 'जैन दर्शन' द्वारा प्रतिपादित जल में जीवत्व की सिद्धि की दिशा में इस आलेख में कुछ नूतन जानकारियाँ वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत हुई हैं।
अध्येताओं से अपेक्षा है कि वे भी इस दिशा में सार्थक प्रयास कर नवीनतम जानकारियाँ संकलित करें। प्राप्त सूचनाओं को पाठकों तक प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा सकेगा।
सम्पादक
प्रायः कथाओं में आता है कि ऋषि ने हाथ में जल | डा. ईमोटो ने अपने प्रयोगों द्वारा जल की अभिव्यंजनाओं लिया, कुछ बुदबुदाए और शाप देकर जल किसी व्यक्ति | का छायांकन किया। उन्होंने ऐसी तकनीक का विकास पर फेंक दिया। ऋषि ने जैसा शाप दिया था वैसा ही घटित | किया जिसके द्वारा जमे हुए जल से सद्यः बने रवों हो गया। तो क्या जल ने ऋषि का आदेश माना, उनके । (क्रिस्टल) के विन्यास का चित्र खींचा जा सके। अत्यंत आदेश का परिपालन किया अथवा इस पूरी प्रक्रिया में जल | ठंडे कक्ष में शक्तिशाली दूरदर्शी यंत्र द्वारा यह संभव हो की कोई भूमिका थी ही नहीं? यह ऋषि का ही तपोबल था | सका। अपने प्रयोगों के लिए डा. ईमोटो ने संसार के जिसके कारण कुछ घटित हो गया। जल द्वारा अर्घ देना, | अनेक हिस्सों से जल के नमूने एकत्रित कराए। यह अपने जल छिड़क कर स्वस्तिपाठ करना आदि हमारी परम्परा के | आप में एक कष्ट साध्य कार्य था। जल के विभिन्न नमूनों अंग रहे हैं। कुछ समय पहले तक जल के इस प्रकार के को विचार और भावनाओं का सम्प्रेषण किया गया। यह प्रयोग का कोई ज्ञात तार्किक या वैज्ञानिक आधार नहीं था। सम्प्रेषण कई प्रकार से किया गया, कहीं जल भरे बोतल ये बातें या तो गल्प प्रतीत होती थीं या पहेली। परन्तु आज पर कागज पर कुछ शब्द लिखकर चिपकाए गए तो कहीं विज्ञान इस दहलीज पर पहुंच गया है जहां पर लोग यह प्रार्थना की गई। जल को राजनैतिक वाद-विवाद के स्थान सोचने लगे हैं कि क्या पानी सनता है? क्या पानी स्मरण पर रखा गया तथा दूर से अनेक लोगों द्वारा विचार तरंगें भी रखता है? क्या पानी भावनाओं को समझता है? इस दिशा भेजी गईं। जल के रवों के विन्यास का चित्र लेने के लिए में जापान के शोधकर्ता डा. मसारु ईमोटो ने कुछ गंभीर । प्रयोगशाला के कक्ष में विशेष तापमान-5 डिग्री सेंटीग्रेट प्रयोग वर्षों तक किए और उनके प्रयोगों से ऐसा आभासित | तक ले जाया गया। उस कक्ष में लगभग 1/2 सीसी जल होता है कि जल पर स्थान, ध्वनि, भावनाओं एवं विचारों को अनेक छोटी तश्तरियों में रखकर लगभग 3 घंटों के का प्रभाव पड़ता है।
लिए फ्रिजर में रखा और फ्रिजर का तापमान लगभग -25
500 व्यक्तियों का प्रेम संदेश सम्प्रेषित करने पर आनन्दित जल का रूप 'तुमने मुझे बीमार कर दिया' लेबल लगी बोतल-जल का रवा विन्यास
अक्टूबर 2004 जिनभाषित 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only
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