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________________ श्री एन. के. जैन, अध्यक्ष म.प्र. उपभोक्ता फोरम की अध्यक्षता | तथा उनके साथ पधारे धर्मानुरागी बन्धुओं के भावभी ने स्वागत एवं श्रीमती शशि जैन, आई.ए.एस. अध्यक्ष मध्यप्रदेश माध्यमिक | के बाद ससंघ उन्होंने अहमदाबाद के अक्षरधाम के पैटर्न पर शिक्षा मण्डल, भोपाल के मुख्य आतिथ्य में छात्रों को प्रमाण | निर्मित हो रहे श्री आर. के. मार्बल्स प्रा. लि., मदनगंज-किशनगढ़ पत्र एवं पारितोषक वितरण किए गए। अतिथियों का स्वागत | द्वारा निर्माणाधीन श्री आदिनाथ जिनालय को देखकर वे अभिभूत संस्थान के प्रबंध निदेशक श्री सुरेश जैन, एवं सहभागियों के | हो गए। यहाँ पर निर्मित संतशाला तथा पर्वत पर निर्माणाधीन प्रतिनिधि द्वारा किया गया। सहभागी श्री अभिषेक जैन एवं सुश्री | त्रिमूति जिनालय एवं त्रिकाल चौबीसी के मंदिरों के अवलोकन शुचि जैन ने बताया कि उनके लिए कार्यशाला अत्यधिक उपयोगी | के बाद जब वे निर्माणाधीन सहस्त्रकूट जिनालय पहुँचे, वहां रही है। उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए इस कार्यशाला में | की प्रचण्ड शीतल वायु ने उन्हें भाव विभोर कर दिया तथा महत्वपूर्ण जानकारी तथा शिक्षा प्राप्त हुई। आचार्य श्री को सम्मेदाचल तीर्थ क्षेत्र के गौतम गणधर टोंक एवं श्रीमती शशि जैन ने विद्यासागर इंस्टीटयट ऑफ मैनेजमेंट | श्री पार्श्वनाथ टोंक का स्मरण हो उठा। उस समय साथ चलने द्वारा विशेषतः ग्रामीण छात्रों के चतर्मखी विकास हेत किए जा | वाले धर्मप्रेमी बन्धुओं के समक्ष उनके श्रीमुख के इस क्षेत्र को रहे प्रयासों की सराहना की और छात्रों के ऐसे प्रयासों का पूर्ण | अतिशय क्षेत्र बन जाने का आशीर्वाद निकल पडा। लाभ लेने तथा अपने व्यक्तित्व में अच्छी आदतें विकसित करने | अपनी इस भावना को आचार्य श्री ने पुनः क्षेत्र पर हुई की प्रेरणा दी। न्यायमूर्ति श्री जैन ने बताया कि सतत एवं कठिन धर्मसभा में भी तीर्थ क्षेत्र की व्याख्या करते हुए इस क्षेत्र को परिश्रम से ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है। अतिशय क्षेत्र उद्घोषित किया। क्षेत्र के सौभाग्य से आचार्य श्री डॉ. संगीता जैन | ससंघ के पर्दापण से यहां पर मेला सा लग गया तथा सैकड़ों नर माचना कालोनी, भोपाल | नारियों ने आचार्य श्री की इस घोषणा का तुमुलनाद से हर्ष विभोर होकर अपने भाव प्रकट किये। आचार्य श्री ने परम पज्य शोक-संदेश मुनि श्री सुधासागर जी महाराज की दूरदृष्टि की प्रशंसा करते हुए श्रीमती सेठानी विमला देवी धर्मपत्नी सेठ भगवान दास इस क्षेत्र के शीघ्र निर्माण पूर्ण होने का मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। जी का स्वर्गवास दिनांक 4 मई, 2004 को जम्बू स्वामी सिद्ध क्षेत्र चौरासी मथुरा में हो गया है। आपकी तीन संतानें हैं. पत्री कु. निधि जैन I.A.S. का अभिनंदन राजरानी गोधा धर्मपत्नी श्री विमलचंद गोधा फर्म शांति विजय ज्वेलर्स मुम्बई, दिल्ली पुत्र श्री विजय कुमार एवं पुत्री ब्रजवाला दिनांक 28 मई, 2004 को प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थान, धर्मपत्नि प्रकाशचंद जी जयपुर/दिल्ली हैं। जबलपुर में कु. निधि जैन I.A.S. सत्र 2003 में 27वाँ रेंक प्राप्त करने वाली मेधावी छात्रा का भावभीना अभिनंदन किया गया। पुत्र विजयकुमार जैन महासभा, महासमिति एवं राजनीति कु. निधि जैन ने अपनी सफलता में बताया कि प्रतियोगी परीक्षा में सक्रिय हैं। पूर्वजों द्वारा निर्मित द्वारकाधीश मंदिर, रंगनाथ की तैयारी में नियत समय से प्रतिदिन अभ्यास के द्वारा, मातामंदिर (वैष्णव मंदिर) व जम्बूस्वामी सिद्धक्षेत्र मथुरा की व्यवस्था पिता की प्रेरणा व सहयोग का सांमजस्य उनकी सफलता का देखते हैं। मूलमंत्र था। श्री दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र, सूचना अतिशय क्षेत्र घोषित श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर (जयपुर) अजमेर दिनांक 22 मई, 2004 संमार्ग दिवाकर आचार्य से शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण कर, प्रवचन, विधि-विधान में प्रवीण 108 श्री विमलसागर जी महाराज के पट्टशिष्य प. पूज्य आचार्य | युवा विद्वान उपलब्ध हैं। 108 श्री भरतसागर जी महाराज ने अ. भा. दिगम्बर जैन ज्ञानोदय | पाठशाला तथा मंदिर में विधान प्रवचन आदि के लिए, तीर्थ क्षेत्र, ज्ञानोदय नगर, नारेली-अजमेर, जिसका परम पूज्य अष्टान्हिका पर्व में सिद्धचक्र विधान एवं पर्दूषण पर्व में प्रवचन आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज एवं उनके परम शिष्य हेतु आवश्यकतानुसार निम्नलिखित पते पर संपर्क करें :मुनि पुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज की पावन प्रेरणा एवं पं. रतनलाल बैनाड़ा आशिर्वाद से निर्माण हो रहा है में आज मंगल पदार्पण हुआ। 1/205, प्रोफेसर कालोनी, आगरा आचार्य संघ का क्षेत्र के पदाधिकारियों द्वारा पाद प्रक्षालन फोन: 0562-2151428, 2152278 32 जून जिनभाषित 2004 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524286
Book TitleJinabhashita 2004 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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