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________________ मैत्री समूह द्वारा विद्वानों का सम्मान में -जैन विषय वस्तु से संबंद्ध आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में सामाजिक चेतना : विशेषतः मूकमाटी में समाज चेतना पर उज्जैन नगरी में श्रुत पंचमी के अवसर पर 24 मई, 2004 शोध-विषय पर डॉ. श्रीमती सुशीला सालगिया, देवी अहिल्या को पूज्य मुनिराज श्री क्षमासागर जी के सानिध्य में सम्पूर्ण राष्ट्र विश्वविद्यालय इंदौर जो श्री क्लाथ मार्केट कन्या महाविद्यालय से पधारे हुए 8 विद्वानों का भारतीय साँस्कृतिक परम्पराओं के | से 41 वर्षों की सेवा के पश्चात् सेवानिवृत्ति हुई हैं, ने वर्ष 1999 अनुरुप तिलक, पुष्पहार, शाल, श्रीफल एवं सम्मान-पत्र से में पी.एचडी. उपाधि प्राप्त की है। इस अवसर पर डॉ. सालगिया सम्मान किया गया। सर्वप्रथम आमंत्रित विद्वानों द्वारा दीप एवं उनके निर्देशक डॉ. दिलीप चौहान को सम्मानित किया प्रज्जवलन किया गया। मंगल गान के पश्चात् श्री पन्नालाल बैनाड़ा, गया। आगरा द्वारा मैत्री समूह का परिचय दिया गया। मध्यप्रदेश के डॉ. शीलचंद्र जैन, विदिशा के निर्देशन में- 'आचार्य महत्वपूर्ण एवं वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर पदस्थ रहे श्री सुरेश विद्यासागर की लोक दृष्टि और उनके काव्य का अनुशीलन'जैन भोपाल द्वारा विद्वज्जनों का आत्मीय स्वागत किया गया। प्रो. विषय पर डॉ. श्रीमती सुनीता दुबे, बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, सरोजकुमार, इंदौर द्वारा सम्मान समारोह का संचालन किया गया। इस अवसर पर सभी विद्वानों को आत्म कल्याण एवं भोपाल 2002 में पी.एचडी. उपाधि प्राप्त की। इस अवसर पर डॉ. शीलचंद्र जैन एवं श्रीमती सनीता दुबे को सम्मानित किया पूजन के उपकरण-स्वर्णिम णमोकार पट, शास्त्र, लेखनी, घड़ी, गया। सुमरनी एवं धोती-दुपट्टा भेंट किया गया। सभी सामग्री सुविधाजनक ढंग से रखकर ले जाने के लिए उन्हें एक अच्छा डॉ. सुरेश आचार्य के निर्देशन में- जैन दर्शन के संदर्भ में बैग भी दिया गया। मुनि विद्यासागर जी के साहित्य का अनुशीलन-विषय पर डॉ. श्रीमती किरण जैन, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर से इस अवसर पर आचार्य ज्ञानसागर एवं आचार्य विद्यासागर वर्ष 1992 में पी.एचडी. उपाधि प्राप्त की। इस अवसर पर डॉ. द्वारा विरचित हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य केन्द्रित विषयों पर की (श्रीमती) किरण जैन को सम्मानित किया गया। उनके पति डॉ. गई शोध के निर्देशकों एवं शोधार्थियों को जयपुर, आगरा, कोटा, बीना, शिवपुरी, दिल्ली एवं भोपाल से पधारे मैत्री समूह जिनेन्द्र कुमार जैन, प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ने विद्वानों के उद्बोधन से संबंधित के नरेन्द्र कुमार बड़जात्या, राजकुमार बड़जात्या, सुभाष जैन, कार्यक्रम का संचालन किया। देवेन्द्र जैन एवं पी. सी. जैन आदि सदस्यों एवं उज्जैन जैन समाज के पदाधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया। डॉ. संगीता मेहता, इंदौर ने अपने निर्देशन में - आचार्य विद्यासागर जी के शतकों का साहित्यिक अनुशीलन एवं महाकवि प्रो. डॉ. रतनचंद्र जैन, भोपाल विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर रहे हैं। उनका ग्रंथ 'जैन दर्शन में निश्चय और व्यवहार आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज के जयोदय महाकाव्य में उत्प्रेक्षा अलंकार-विषयों पर एम.ए. एवं एम.फिल. कक्षाओं के शोधार्थी नय : एक अनुशीलन' प्रकाशित हो चुका है। वे जैन परम्परा छात्रों के माध्यम से लघु शोध प्रबंध तैयार कराये। यहाँ यह और यापनीय संघ पर महत्वपूर्ण ग्रंथ तैयार कर रहे हैं। वे उल्लेखनीय है कि मेहता दंपति ने अपने पुत्र मयंक की मृत्यु के भोपाल से प्रकाशित 'जिनभाषित' के संपादक हैं। उनके निर्देशन पूर्व उसके शरीर के महत्वपूर्ण अंग- दोनों गुर्दे, नेत्र, हृदय और में - जयोदय महाकाव्य : एक शैली : वैज्ञानिक अनुशीलन चमड़ी-दान दिए थे। इस असाधारण दान के लिए मेहता दंपति विषय पर शोधार्थी डॉ. आराधना जैन, गंजबासौदा जिला विदिशा को सम्मानित किया गया। मेहता दंपति से प्रेरणा लेकर उज्जैन ने बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से पी.एचडी. की उपाधि के सुप्रसिद्ध जैन नमकीन भंडार के प्रोपराइटर श्री जीवनलाल प्राप्त की। इस निर्देशन के लिए डॉ. जैन को सम्मानित किया जैन ने मृत्यु के पश्चात् अपनी आँखें दान करने की घोषणा की। गया। इस अवसर पर मैत्री समूह द्वारा आयोजित श्रुत पूजन की डॉ. कपूरचंद्र जैन एवं डॉ. ज्योति जैन को- 'स्वतंत्रता अत्यधिक सराहना की गई। संग्राम में जैनों का योगदान' एवं शोध कार्यों की संपूर्ण विवरणिका-हेतु सम्मानित किया गया। डॉ. जैन खतोली में डॉ. संगीता जैन प्राध्यापक हैं। उन्होंने अपनी पत्नी डॉ. ज्योति जैन के साथ यह माचना कालोनी, भोपाल महत्वपूर्ण कार्य किया है। डॉ. ज्योति जैन, जैन संदेश एवं संस्कार सागर की सह-संपादिका हैं। श्रीमती जैन को श्रीमती एलोरा गुरुकुल में पूज्य विमला जैन, जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा तिलक एवं श्रीफल गुरुमती माताजी ससंघ विराजमान भेंट कर सम्मानित किया गया। परम पूज्य 108 आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज स्व. डॉ. पी. डी. शर्मा एवं डॉ. दिलीप चौहान के निर्देशन | | की परमशिष्या 105 आर्यिका गुरुमती माताजी का 47 आर्यिकाओं 28 जून जिनभाषित 2004 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524286
Book TitleJinabhashita 2004 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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