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समाचार जबलपुर को मुनिश्रेष्ठ प्रमाणसागर जी का सत्संग मिला
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परम पूज्य मुनिरत्र प्रमाणसागर जी महाराज जब महानगर | गोलबाजार स्थित मंदिर पहुंचाया गया। मुनिद्वय ने भावसहित जबलपुर में दिनांक 28मार्च 2004 को प्रवेश कर रहे थे तब | दर्शन किये एवं बाद में सीधे समीप ही निर्मित प्रवचन माला के संयोग से उनके गुरूभाई परमपूज्य मुनिरत्न पावनसागर जी महाराज विशाल मंच पर उपस्थित हो गये, सामाजिक कार्यकर्ता एवं एवं गुरू बहिनें पूज्य आर्यिका गुणमति जी, पूज्य कुशलमति जी अन्य अनेक श्रावकगण छाया की तरह उनके समीप उपस्थित पूज्य धारणामति जी एवं पूज्य उन्नतमति माताजी श्रावकों के | रहे । विशाल समूह के साथ उनकी अगवानी करने गाजे-बाजे और
घोषित समय के अनुसार प्रथम दिवस पूज्य मुनिवर पताकाओं के साथ निकल पड़े। चरहाई के चौड़े क्षेत्र (मैदान) प्रमाणसागर जी ने 'जीवन की सार्थकता' विषय पर महत्वपूर्ण पर दो महान संत आमने सामने पहुंच गये । एक दूसरे को | एवं मौलिक प्रवचन दिये उनसे पूर्व परमपूज्य मुनि पावनसागर नमोस्तु प्रतिनमोस्तु कर आपस में गले मिले । हजारों श्रावकगण | जी ने भी अपने अनमोल उदगार रखे। इसतरह प्रतिदिन आचार्य शिरोमणी परमपूज्य विद्यासागर जी महाराज के दो मनीषी | पथक-पृथक शीर्षकों के अनुसार प्रवचन चले। शिष्यों का गंगा-जमुनी मिलन देखकर रोमांचित हो उठे। सभी
ग्यारहवें दिन 19 मई को आचार्यप्रवर (समाधिस्थ संत) के कंठों से निकले जयघोषों से आकाश-क्षेत्र भर गया। संतों
108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज का 32 वां समाधि-दिवस मनाया और श्रावकों का आत्मीय उत्साह काफी समय तक तरंगित
| गया जिसमें मुनिद्वय के साथ साथ पूज्य आर्यिका गुणमति जी होता रहा। फिर संत समूह लार्डगंज जैन मंदिर की ओर चल
एवं पूज्य आर्यिका उन्नतमति माताजी भी शामिल हुई। पूज्य पड़ा एक विशाल शोभायात्रा के साथ।
गुणमति जी ने भी संक्षिप्त प्रवचन दिया । मुनियों को नगर के लार्डगंज स्थित प्रसिद्ध मंदिर में
ग्यारह दिन कैसे कट गये शहर के जैनाजैन समाजों को निर्मित साफ-शुद्ध कक्षों में ठहराया । माताओं को पुत्रीशाला के
आभास ही नहीं हुआ। पहले दिन पंडाल में 5 हजार श्रोता समीप। दूसरे दिन से ही मुनियों ने जिनवाणी की धारा को
उपस्थित हुये थे, कार्यक्रम से जब वे अपने घरों को लौटे और गतिमान करते हुये दिन में तीन बार कार्यक्रमों की श्रृंखला खड़ी
मुनि प्रमाणसागर जी के प्रवचनों की प्रभावना का वर्णन घरों में कर दी। सुबह 7 से 8 जैन सिद्धांत शिक्षण' की कक्षाएं , 8.30
किया तो दूसरे दिन से पंडाल छोटा पड़ने लगा। क्योंकि श्रोताओं से 9.30 तक 'प्रवचन,' दोपहर 3 से 4 गोम्मटसार एवं 4 से 5
की संख्या दोगुनी हो गई थी । व्यवस्था समिति ने तीसरे दिन तक समयसार की कक्षायें शुरू की गई। हर कार्यक्रम में
पंडाल को अधिकतम सीमातक बढ़ाया और उत्तम व्यवस्था संस्कारधानी के नाम से प्रसिद्ध जबलपुर के जागरूक श्रावक
बनाई, फिर भी व्यवस्थायें भीड़ के समक्ष छोटी पड़ गई क्योंकि विशाल संख्या में उपस्थित होते थे।
प्रतिदिन पंद्रह से बीस हजार तक श्रोतागण उपस्थिति दे रहे थे इसी बीच महावीर जंयती का पंच दिवसीय विशाल | नगर में जैन समाज के प्रभावनायक्त भीड प्रधान कार्यक्रमों का कार्यक्रम एक से पांच अप्रैल तक संतों के सानिध्य में सम्पन्न
नया इतिहास बना एवं प्रबुद्ध जगत में मुनि प्रमाणसागर जी की कराया गया।
भारी श्रद्धा के साथ चर्चा चलती रही। पत्रकारों, राजनेताओं महावीर जयंती के कार्यक्रमों की सघन श्रृंखला से मुनिद्वय और प्रशासकीय अधिकारियों का आना निरंतर रहा। लोग कहते एक दिन का भी विराम न पा सके तभी जैन नवयुवक सभा एवं | हैं कि जिस तरह हिन्दु समाज में संत आशाराम बापू के कार्यक्रमों जैन पंचायत सभा के संयुक्त अनुरोध पर दिव्य सत्संग एवं | में विशाल जनसमूह देखने मिलता रहा है वैसा जैन समाज के प्रवचन माला का ग्यारह दिवसीय विशाल समारोह दिनांक 9 | कार्यक्रम में भी देखने मिला। कृपा पूज्य मुनि प्रमाणसागर की । मई रविवार से 19 मई बुधवार तक डी.एन. जैन कालेज के | इसी क्रम में 24 मई को श्री श्रुतपंचमी महोत्सव मनाया विशाल मैदान में सम्पन्न करने की आज्ञा ली गई । परम पूज्य | गया जिसमें पुज्य मुनिवर ने श्रुतावतार की कथा सुनाकर विशाल मुनि प्रमाणसागर जी ने कार्यक्रम के लिये आशीर्वाद दिया।
जनसमूह आनंदानुभूत कर दिया प्रभावक प्रवचनों का क्रम निरंतर दिव्य सत्संग - 9 मई को प्रात:काल धर्म प्रभावना जारी है। समिति के संयोजन में विशाल जुलूस के साथ समाज ने शोभायात्रा
सुरेश जैन 'सरल' निकाली एवं मुनिद्वय की पथानुगामी बन उन्हें लार्डगंज मंदिर से
गढ़ाफाटक, जबलपुर जून जिनभाषित 2004 27
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