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कुमार आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित होकर । सानन्द संपन्न होने के उपलक्ष्य में वैशाख कृष्णा सप्तमी, रविवार मुनिश्री चिन्मय सागर बने हैं। वे गुरु आज्ञा से ही एक स्थान से | दिनांक ११ अप्रैल २००४ को उद्यापन स्वरूप ‘णमोकार पैंतीसी दूसरे स्थान पर विहार करते हैं । कन्नड़ भाषी होने के बावजूद | विधान' की पूजन का भारी जोश के साथ आयोजन किया गया। वे हिन्दी के पुरोधा हैं। उनके प्रवचन धर्म, दर्शन, आध्यात्म से
श्रीमती शशि प्रभा, सांस्कृतिक मंत्री परिपूर्ण रहते हैं।
चेलना जागृति महिला मंडल
मदनगंज-किशनगढ़ (अजमेर राज.) स्वभाव से सरल संत श्री के साथ अनेकानेक अविश्वसनीय परंतु पूर्णतः सत्य चमत्कारिक घटनाएं घट चुकी हैं- 'भाटापारा में |
गोधाजी एवं पाटोदीजी पुनः अध्यक्ष एवं मंत्री निर्वाचित २७ मिनिट तक संत श्री पर केशर की वर्षा जिसे हजारों लोगों ने
मदनगंज-किशनगढ़ - श्री मुनिसुव्रतनाथ दि. जैन पंचायत देखा, खंखार जंगली जानवरों का संत श्री के समक्ष शांत भाव से | के चुनाव श्रीमान नेमीचन्द्र जी भौंच के सान्निध्य में सम्पन्न हुए। विचरण करना, सर्प और खरगोश का संत श्री के समक्ष क्रीड़ा
जिसमें श्री गुलाबचंद गोधा अध्यक्ष, श्री कैलाशचन्द्र सेठी उपाध्यक्ष, करना, सर्प का कई घंटों तक गले पर लटके रहना सहित अनेकानेक
श्री निर्मलकुमार पाटोदी मंत्री, श्री पारसमल पांडया उपमंत्री, श्री घटनाएँ विस्मय उत्पन्न करती हैं।' संत श्री से इन चमत्कारों के
विजयकुमार कासलीवाल कोषाध्यक्ष निर्वाचित हुए। बारे में पूछने पर वे मौन हो जाते हैं।
इसी प्रकार पंचायत के अन्तर्गत आचार्य धर्मसागर विद्यालय संत श्री की चर्या से लोग विश्वस्त हो चुके हैं कि के चुनाव में पुनः श्री रतनलाल बाकलीवाल अध्यक्ष, श्रीरामपाल कंदराओं में तपस्यारत् ऋषियों की कहानियाँ मात्र किवदंति नहीं |
पाटनी उपाध्यक्ष, श्री नोरतमल झांझरी मंत्री, श्री चैतन्यकुमार थी बल्कि यथार्थ का प्रमाणिक दस्तावेज है।
सोगानी उपमंत्री, श्री रतनलाल बड़जात्या कोषाध्यक्ष निर्वाचित अमित पड़रिया | हुए। १६७, पांडे चौक, जबलपुर
निर्मल कुमार पाटोदी, मंत्री ज्ञानोदय पाठशाला की धार्मिक प्रस्तुति कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कारसमर्पण समारोह सम्पन्न
हाटपीपल्या। परमपूज्य संत शिरोमणी आचार्य श्री देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा मान्य शोध केन्द्र विद्यासागर जी महाराज के सुशिष्य मुनिश्री निर्णयसागर जी की | कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर द्वारा आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के ससंघ प्रेरणा से दि. जैन समाज द्वारा ज्ञानोदय पाठशाला संचालित है। सान्निध्य में दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट इन्दौर के परिसर जिसमें जैन दर्शन, धर्म व नीति की शिक्षा प्रदान की जाती है। में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार समर्पण समारोह ३१ मार्च २००४ शिविर सूचना
को भव्यता पूर्वक आयोजित किया गया।
पुरस्कार समर्पण समारोह में वर्ष २००० का पुरस्कार पूर्व श्रमण ज्ञान भारती (विद्या निकेतन संस्थान) अंतिमकेवली श्री १००८ जम्बूस्वामी सिद्ध क्षेत्र मथुरा में जैन धर्म की शिक्षा
प्राचार्य श्री प्रद्युम्न कुमार जैन, रूद्रपुर को उनकी कृति 'Jaina & देकर विद्वानों को तैयार कर रही है। इस संस्थान द्वारा कुशल छात्र
Hindu Logic' पर। २००१ का पुरस्कार डॉ. संगीता मेहता (विद्वान) आपके क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन शिक्षणशिविर लगाने हेतु
प्राध्यापिका - संस्कृत, शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय
को उनके शोध प्रबन्ध 'जैन संस्कृत साहित्य में वर्धमान महावीर' उपलब्ध हैं। आप अपने ग्राम,शहर आदि पर शिविर का आयोजन करवाना चाहते हैं तो निम्न पते पर सम्पर्क करें
तथा २००२ का पुरस्कार भारतीय तेल एवं प्राकृतिक गैस के कृपया शिविर में भाग लेने वालों की एवं समाज के घरों
प्रबन्धक डॉ. अनिल कुमार जैन, अहमदाबाद को उनकी कृति
'जीवन क्या है?' पर प्रदान किया गया। की संख्या अवश्य लिखें।
सम्पर्क सूत्र
जैन विद्या संगोष्ठी निरंजनलाल बैनाड़ा, अधिष्ठाता
दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट द्वारा स्थापित देवी श्रमण ज्ञान भारती (विद्या निकेतन) श्री १००८ जम्बूस्वामी सिद्धक्षेत्र, चौरासी, कृष्णा नगर, मथुरा
अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा मान्य शोध केन्द्र कन्दकन्द ज्ञानपीठ, फोन : ०५६५-२४२०३२३, मो. ०५६२-३१०६१९२ इन्दौर द्वारा ३१ मार्च एवं १ अप्रैल २००४ को द्विदिवसीय जैन __ महावीर जयन्ति आयोजन
विद्या संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ४ सत्रों में १४ मदनगंज-किशनगढ़ में भगवान महावीर स्वामी की
शोधपत्रों का वाचन हुआ तथा कुल ५१ विद्वान सम्मिलित हुए। जन्म जयन्ति पर त्रिदिवसीय कार्यक्रम चेलना जागृति महिला
प्राचार्य श्री नरेन्द्रप्रकाश जैन ने अपने उद्बोधन में कहा मण्डल द्वारा सोत्साह सम्पन्न हुए।
कि आज विभिन्न विश्वविद्यालयों, शोध केन्द्रों पर बड़ी मात्रा में
शोध हो रहा है। विद्वानों का बौद्धिक विकास तो खूब हुआ है णमोकार पैंतीसी विधान सम्पन्न
किन्तु चारित्रिक पक्ष शिथिल हो गया है। बौद्धिक विकास और मदनगंज-किशनगढ़ णमोकार महामंत्र के ३५ व्रत उपवास | चारित्रिक विकास दोनों सिक्के के दो पहल हैं। जब तक दोनों
मई 2004 जिनभाषित 31
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