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समाचार आचार्य ज्ञानसागर ग्रन्थमाला के प्रकाशन । निर्देशन एवं बा. ब्र. श्री पवन भैया एवं बा.ब्र. श्री कमल भैया के परमपूज्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज द्वारा सस्ते
सान्निध्य में हुआ। साहित्य प्रकाशन के लिये आशीर्वाद एवं बहुमूल्य सुझाव प्राप्त
अगला सप्तम शिविर दिसम्बर २००४ में इसरी में लगाया हुये। जिसकी पूर्ति के लिये सुनामधन्य रत्नव्यवसायी श्री विवेक
| जायेगा, जिसकी सूचना आगे दी जायेगी। जी काला ने श्री विद्याविनोद काला मेमोरियल ट्रस्ट, जयपुर से
शांति लाल जैन
मंत्री- उदासीन आश्रम, इसरी ग्रन्थ के प्रकाशन में अर्थ सहयोग प्रदान किया। इस क्रम में
वेदी प्रतिष्ठा सम्पन्न आचार्य ज्ञानसागर ग्रन्थमाला के प्रकाशन भक्तिमंजूषा,संस्कार सुबोध, [कुन्दकुन्द का कुन्दन, लागत मूल्य २०/-, विक्रय मूल्य १०/-,
श्री आदिनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र घाटोली डाक खर्च ३/-], [मानव धर्म - लागत मूल्य ५०/-, विक्रय
(रामगंजमण्डी)राज. में पं. पवनकमार शास्त्री 'दीवान' के मूल्य २५/-, डाक खर्च ७/-], [जैनधर्म की मौलिक विशेषताएँ प्रतिष्ठाचार्यत्व में दिनांक ८-९ मई २००४ को भव्य समारोह - लागत मूल्य ३०/-, विक्रय मूल्य १५/-, डाक खर्च ३/-]
पूर्वक वेदी प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। आदि साहित्य उपलब्ध है।
अरिहंत सिंघई, मोरेना (म.प्र.) प्राप्तिस्थान:
'स्वतंत्रता संग्राम में जैन' ग्रन्थ का नया संस्करण शीघ्र आचार्य ज्ञानसागर ग्रन्थमाला
खतौली। गत वर्ष हमारे वहद ग्रन्थ 'स्वतंत्रता संग्राम में श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान
जैन' का प्रकाशन हुआ था। इस संस्करण में प्रमाणादि का अभाव जैन नशिया रोड, सांगानेर - ३०३९०२ जयपुर (राजस्थान) होने से कुछ सेनानियों का परिचय नहीं आ पाया था। प्रकाशन के
सम्पर्क सूत्र | बाद इनके प्रमाण मिले तथा पाठकों ने भी अनेक जेलयात्रियों/शहीदों ब. भरत, सम्पादक जैन ग्रन्थमाला के परिचय हमारे पास भेजे हैं इन सबको जोड़कर प्रथम खण्ड
का परिवर्धित संस्करण शीघ्र प्रकाशित होगा। पाठकों से निवेदन श्री माणिकचंद जी पाटनी का स्वर्गवास । है कि इस विषय की कोई सामग्री हो तो भेजकर उपकृत करें। सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर के प्रणेता व स्वतंत्रता संग्राम
डॉ. श्रीमती ज्योति जैन सेनानी गांधीवादी विचारधारा के समर्थक, मुनिभक्त, धर्म से जीवन
कुन्दकुन्द महाविद्यालय परिसर, खतौली पर्यन्त जुड़े रहते श्री माणकचंद जी पाटनी का दिनांक १३.०४.०४
निःशुल्क मंगायें को ८२ वर्ष में स्वर्गवास हो गया।
अहिंसा व शाकाहार के सम्बन्ध में साहित्य एवं
महेन्द्र अजमेरा, हरदा || प्रचारसामग्री का प्रकाशन किया गया है। सभी इच्छुक महानुभावों आचार्य विद्यासागर निलय का उद्घाटन से निवेदन है कि साहित्य ५/- रुपये का डाक टिकिट भेजकर श्री पार्श्वनाथ दि. जैन शांतिनिकेतन उदासीन आश्रम,
नि:शुल्क मंगवालें।
पता :-डॉ. ताराचन्द जैन बख्शी इसरी बाजार में श्रीमान माणिकचंद जी गंगवाल (राँची), श्रीमान
अखिल विश्व जैन मिशन हरिप्रसाद जी पहाड़िया (कतरासगढ़), श्रीमान मोहनलाल जी
बख्शी भवन, न्यू कॉलोनी, जयपुर पाटोदी (कतरासगढ़) एवं श्रीमान शांतिलाल जी रारा (धुलियान, मुर्शीदाबाद) के सहयोग से आधुनिक सुविधायुक्त कमरों का
डॉ. बख्शी अमृत महोत्सव निर्माण हुआ है जिसका नाम 'आचार्य विद्यासागर निलय' रखा
योगाचार्य, समाजरत्न, ब्रह्मचारी, कर्मयोगी डॉ. ताराचन्द्र गया। इसका शुभ उद्घाटन दिनांक २५ अप्रैल २००४ को आदरणीय
जैन बख्शी के ८५ वें वर्ष सन् २००४ में 'अमृत महोत्सव' बा.ब्र. श्री पवन भैया, बा. ब्र. श्री कमल भैया के सान्निध्य में
आयोजित किया गया है। श्रीमान महावीरप्रसाद जी सोगानी (राँची) के कर कमलों द्वारा
विद्वानों एवं शुभचिन्तकों से डॉ. बख्शी के जीवन पर सम्पन्न हुआ।
आधारित लेख, संस्करण आमंत्रित किये जाते हैं। षष्ठ आत्मसाधना शिक्षणशिविर सम्पन्न
ओम प्रकाश जैन, संयोजक श्री पार्श्वनाथ दि. जैन शांतिनिकेतन उदासीन आश्रम,
बख्शी भवन, न्यू कॉलोनी, जयपुर इसरी में दिनांक २५ अप्रैल से २ मई ०४ तक षष्ठ आत्मसाधना
एक योगी जो वन में रमते हैं शिक्षणशिविर का आयोजन पं. श्री मूलचन्द जी लुहाड़िया के | सन् १९६१ में कर्नाटक के जुगूल गाँव में जन्मे धरणेन्द्र 30 मई 2004 जिनभाषित
शांतिपिछड़िया
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