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________________ इंटरनेट पर 'जैन समाज' सीमा जैन एवं दीपेश जैन मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा अपनी समाज में वह । उत्तरी अमेरिका के जैन संगठनों का प्रतिनिधित्व करती है। सन् प्रभुत्व चाहता है। इस प्रभुत्व को प्राप्त करने के लिये कुछ मनुष्य १९८१ में आचार्य सुशील कुमार जी एवं गुरुदेव चित्रभानूजी के धनबल का, कुछ बाहुबल का, कुछ सत्ता का तथा कुछ ज्ञानबल आशीर्वाद से जैना (JAINA : Jain Associations in North का प्रयोग करते हैं। मनुष्य को ज्ञानबल की प्राप्ति समाज से प्राप्त America) नामक संस्थान की शुरुआत की गई थी एवं आज सूचनाओं, गुरुजनों से प्राप्त तर्कशक्ति एवं स्वयं में विकसित की । | इसके ५७ केन्द्र हैं। यह वेबसाइट जैना संगठन के उद्देश्यों तथा गई स्मृतिशक्ति के सम्मिलित प्रयोग से प्राप्त होती है। मनुष्य को | गतिविधियों पर केन्द्रित है। इस वेबसाइट पर अहिंसा और शाकाहार प्राप्त होने वाली सूचनाओं का सबसे बड़ा माध्यम पुस्तकें तथा | को बढ़ावा देना, जैन मंदिरों के सजीव चित्रण और आन लाइन जैन पुस्तकालय है। पुस्तकों के अध्ययन से प्राप्त होने वाली सूचनायें | पाठशाला आदि को भी सम्मिलित किया गया है।। तथ्य परख एवं सामाजिक मान्यता प्राप्त होती है जबकि अनुभवों याहू डॉट कॉम (yahoo.com) के अन्तर्गत जैनियों के से प्राप्त सूचनाओं की सामाजिक मान्यता पर हमेशा संदेह रहता | कई समूह (Groups) मौजूद हैं। इनमें से जैननेट, जैनसमाचार, सम्यक ज्ञान, जैनलिस्ट, जैनफ्रेन्डस, जैनबन्धु इत्यादि प्रमुख हैं। पुस्तकालयों/ग्रन्थालयों के वर्तमान स्वरूप में पाठक को जैन वर्ल्ड डॉट कॉम (www.jainworld.com)नामक सूचनाओं के संग्रह में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। वेबसाइट में जैन मैंग्जीन्स की सूची, जैन पुस्तकों की सूची तथा किस विषय वस्तु को किस ग्रन्थ में ढूंढा जाये अथवा कौन-कौन | पाठ्य सामग्री, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए जैन धर्म की से ग्रन्थ विषय वस्तु से संबंधित हैं । इत्यादि प्रश्नों के हल ढूंढने में | शिक्षा, जैनइज्म का विभिन्न क्षेत्रों में योगदान तथा जैन साहित्य ही सर्वाधिक समय व्यर्थ हो जाता है, अब इन समस्याओं को दूर | और अहिंसा धर्म पर सचित्र विवरण आदि को सम्मिलित किया करने के लिये प्रोद्योगिकी का सहारा लिया गया। यही आज हमारे | गया है। सामने सूचना प्रोद्यौगिकी के रूप में उपलब्ध है। जैन जगत डॉट कॉम (www.jainjagat.com) नामक सूचना प्रोद्योगिकी के इस युग में जहाँ एक ओर पुस्तकालयों | वेबसाइट पर जैन मंदिरों की धार्मिक गाइड के रुप में इण्टरनेट में कम्प्यूटरों के प्रयोग से संदर्भ प्रणाली को सुव्यवस्थित किया जा | पर उपलब्ध है। इन वेबसाइट पर ५०० से अधिक जैन मंदिरों की रहा है वहीं दूसरी ओर इंटरनेट के माध्यम से पुस्तकालयों की वर्णानुक्रम में सूची एवं जानकारी उपलब्ध है। जैन मंदिरों के संदर्भ सामग्री को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा | सन्दर्भ में तीर्थंकरों, स्थापना दिवस तथा स्थानों के बारे में जानकारी है। इंटरनेट विश्व का सबसे बड़ा संदर्भ ग्रन्थालय है, जिसमें | दी गई है। सैकड़ों देशों के हजारों सरवर कम्प्यूटर्स, चौबीसों घण्टे, करोड़ों | जैन तीर्थस डॉट कॉम (www.jaintirths.com)नामक लोगों तक सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये परस्पर कार्य करते | वेबसाइट पर प्रत्येक प्रदेश तथा उसके अन्तर्गत आने वाले सिद्ध रहते हैं। क्षेत्र, अतिशय क्षेत्र एवं प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों की जानकारी दी गई जैन पुस्तकालय एवं जैन साहित्य के प्रति मेरी जिज्ञासा ने | है। प्रत्येक तीर्थ स्थान के सम्बन्ध में सचित्र जानकारी इस साइट इंटरनेट पर 'जैन समाज, इतिहास, साहित्य एवं तीर्थ क्षेत्रों', | | पर उपलब्ध है। इस साइट पर विदेशों में स्थित जैन मंदिरों को भी जैसे विषयों को ढूंढने के लिये प्रेरित किया। इस अध्ययन के कुछ | सम्मिलित किया गया है। तीर्थ स्थानों का रोड मेप भी उपलब्ध रोचक तथ्य निम्न हैं है। इस साइट पर भक्तामर स्त्रोत्र को अर्थ सहित सुन व पढ़ जैन समाज डॉट ओआरजी (www.jainsamaj.org) | (audio&video)सकते हैं। नामक वेबसाइट अहिंसा फाउण्डेशन का प्रतिनिधित्व करती है। जैनहेरीटेजसेन्टर्स डॉट कॉम (www.jainheritage इस वेबसाइट पर जैन मंदिरों, सन्तों तथा अहिंसा फाउण्डेशन के | centres.com)नामक वेबसाइट पर भारत तथा अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश सदस्यों एवं उद्देश्यों से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध है। इस | में जैन धर्म से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी जैसे - इतिहास, साइट पर वैवाहिक एवं जैन व्यवसाय डायरेक्टरी भी उपलब्ध | तीर्थंकर, मंदिर, उत्सव, कला, लेख, धर्मशाला इत्यादि के संदर्भ है। वेबसाइट के सम्पर्क सूत्र श्री पी.एल.जैन हैं। इस वेबसाइट के | शामिल करने की कोशिश की गयी है। माध्यम से अन्य करीब ९० वेबसाइटों (सूची संलग्न) पर पहुँचा | जेसीजीबी डॉट ओआरजी (www.jcgb.org) नामक जा सकता है जो कि जैनियों से सम्बन्धित जानकारी रखती हैं। | वेबसाइट अमेरिका के बोस्टन इलाके में स्थित जैन समुदाय केन्द्र जैना डॉट ओआरजी (www.jaina.org)नामक वेबसाइट | का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें जैन सेन्टर ऑफ ग्रेटर बोस्टन के 26 मई 2004 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524285
Book TitleJinabhashita 2004 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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