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गया, पर मन अब भी नहीं मानता कि वह चला गया है। कहा-'नहीं मुनि श्री निर्णयसागर जी का होगा।' उसने तुरन्त
अमरकंटक चातुर्मास में मुनि श्री निर्णयसागर जी का | मोबाइल से कटनी बात की और बताया, 'नहीं मुनि श्री प्रवचनसागर स्वास्थ्य खराब है, यह समाचार हम लोगों को मिला और सुना | जी का ही स्वास्थ्य खराब है, शौच नहीं हुई, आहार लिया नहीं कि गले में थाराराइट' हो गया है, इससे बुखार प्रायः पूरे चातुर्मास | जा रहा है, गैस बन रही है। रात्रि की ट्रेन से हम जा रहे हैं।' भर चला। गुरुदेव आचार्य श्री ने मुनि श्री निर्णयसागरजी एवं | कुछ उपचार के बारे में बताया, दोनों महाराजों को, हम दोनों का मुनिश्री प्रवचनसागर जी दोनों महाराजों का संघ बनाकर कटनी | नमोस्तु कहना और कैसा क्या है, समाचार देना? २७ दिसम्बर की ओर जाने को कहा। और १३ नवम्बर २००३ को दोपहर में | २००३ की प्रात:काल कटनी से समाचार आया थोड़ा स्वास्थ्य में आचार्य श्री ने संघ सहित पेंड्रा की ओर विहार किया। दोनों | सुधार है। लेकिन दोपहर में हम दोनों महाराज मकरोनिया से महाराजों को बुढ़ार, शहडोल होकर कटनी जाने का संकेत दिया। चलकर सागर शहर में प्रवेश करके बाहुबली कॉलोनी पहुँचे। मैंने सुना कि जब आचार्य श्री से पृथक होते समय मुनि श्री | कुछ समय बाद श्री मुन्नालाल जी डीलक्स पेट्रोल पंप वाले आये, प्रवचनसागर जी ने आचार्य श्री के चरणों में सिर रखा और गुरु | बोले, 'महाराज! डॉ. अमरनाथ जी का कटनी से फोन आया कि वियोग के दुःख में आँखें नम हो गईं और उन्होंने कहा- 'गुरुदेव | मुनि श्री प्रवचनसागर जी को 'रेबीज' हो गया है। मैंने कहा, आपकी कृपा दृष्टि बनी रहे।' पता नहीं उनका रोना सबको एक | 'यह कौन सी बीमारी है, हमने इसका नाम पहली बार सुना है?' आश्चर्यप्रद लग रहा था। मैंने जब पथरिया में सुना तो मुझे अपना | तो मुन्नालाल जी ने कहा, 'जब किसी को कुत्ता काट लेता है, वह प्रसंग याद आ गया जब मुझे और ऐलक श्री निर्भयसागर जी | यदि सही उपचार न हो तो ऐसी बीमारी होती है। और अब तो दोनों महाराजों को १४ मई २००२ की प्रातः काल सिद्धोदय सिद्ध महाराज की आयु ज्यादा से ज्यादा ३-४ दिन ही शेष है, ऐसा क्षेत्र नेमावर से हरदा के लिये भेजा था। मैं श्री गुरुदेव से पृथक् | डाक्टर ने कहा है।' हमने जैसे ये सुना तो अवाक रह गया। मुन्ना होने के दुःख से बहुत रोया था। हमने कभी सोचा नहीं था हमें | से कहा- 'क्या कहते हो?' 'हाँ महाराज! रेबीज वाली बीमारी संघ से पृथक होना पड़ेगा, लेकिन शरीर व्याधियों का मंदिर है | ही ऐसी है,' ऐसा मुन्ना ने हमसे कहा। मन उदास हो गया, कुछ
और असाता कर्मोदय से इस शरीर में ऐसी व्याधि हो गई जिससे | समझ में नहीं आ रहा था, मैंने फिर कहा, 'इसका उपचार नहीं है जाना अनिवार्य हो गया था। तन से जा रहा था, पर मन जाने को | क्या?' बोला, 'ऐसी स्थिति वाले का उपचार नहीं है। अब कोई तैयार नहीं हो रहा था, उस समय बहुत रोना आया, मैं उस समय | चमत्कार हो जाये तो अलग बात है।' यह चर्चा चलती रही, इतने रोते हुए आचार्य वंदना कर चला, आँखों के आँस रुकने का नाम में ब्रह्मचारी दरबारीलाल जी आ गये। हम दोनों महाराज ने चर्चा नहीं ले रहे थे। पुरा संघ हमें छोडने आया तभी मुनि श्री प्रवचन | की कछ लोग और बैठे, तभी किसी बहि सागर जी ने मुझे हँसाने के लिये कहा- 'अरे! अजितसागर जी | अपने घर जाकर अपने पिताजी से कहा होगा- 'किसी महाराज मुझे तो आश्चर्य हो रहा, जो हम सबको हँसाता रहता है, तुम तो | को कुत्ते के काटने से रेबीज हो गया।' हम दोनों महाराज शाम को रोते व्यक्ति को हँसा देते हो, आज तुम रो रहे हो'। मैंने उससमय | आचार्य भक्ति के बाद बैठे तभी वे सजन आये बोले- 'महाराज मुनि श्री जी से सिर्फ इतना कहा था- 'जिससमय आपके सामने | कुछ बात करना है। हमने कहा, 'हाँ बोलो।' उन्होंने कहायह स्थिति आयेगी तब आप भी ऐसे ही रोओगे।' और में सबसे | 'अभी हमारी बेटी घर गई उसने बताया किसी को 'रेबीज' हो विदा होकर हरदा की ओर चल दिया। मुझे जब ज्ञात हुआ कि | गया है।' हमने कहा, 'हाँ एक महाराज को हो गया है।' 'कहाँ मुनि श्री प्रवचनसागर जी बहुत रोये, तब मुझे अपनी बात याद आ | पर हैं वो?' हमने कहा- 'क्यों? कोई उपचार है आपके पास?' गई, पर यह ज्ञात नहीं कर सका यह उनकी गुरुदेव के अन्तिम | उन्होंने जेब से एक पालीथिन निकाली उसमें एक पुड़िया थी। दर्शन की पीड़ा है, इसलिए कहा था कि - 'गुरुदेव कृपा दृष्टि | 'यह दवाई है, हमारा एक भतीजा था- उसको भी 'रेबीज' हो बनाये रखना' और बुढ़ार की ओर विहार किया।
गया था तो यह दवाई सागर में शनीचरी में एक वृद्ध महिला थी, हम दोनों महाराज (मुनि अजितसागर, ऐलक निर्भयसागर) | वह दवाई देती थी, भतीजा ठीक हो गया है वह आज भी है।' ने पथरिया चातुर्मास में सुना, दोनों महाराजों का संघ बन गया, | मैंने कहा, 'तुरंत जाओ वह वृद्ध महिला है कि नहीं।' पता किया सोचा चलो दोनों महाराज मिलकर धर्मप्रभावना करेंगे। इधर हम | उसका पुत्र उसके साथ आया, उसने कहा- 'माँ का तो स्वर्गवास दोनों महाराजों ने पथरिया से विहार करके सिद्ध क्षेत्र नैनागिरी जी | हो गया पर दवाई हमारे पास है इसे गुड़ में देना पढ़ेगी।' मैंने की वंदना करके बण्डा होते हुए मकरोनिया सागर में थे। तभी | कहा- 'आप स्वयं दवा लेकर कटनी चले जाओ साथ में आपके डाक्टर अमरनाथ जी सागर आये, बोले 'महाराज कटनी में मुनिश्री | साथ - ये ऋषभ जैन गढ़ाकोटावाले एवं अजय जैन लाटरी वाले निर्णयसागर जी, प्रवचनसागर जी आ गये हैं। हमें बुलाया है, | जा रहे हैं। १० बजे ट्रेन है उससे आपको जाना है, सुबह पहँच मुनि श्री प्रवचनसागर जी का स्वास्थ्य खराब है।' मैंने उनसे | जाओगे।' वह तैयार हो गया। हमने मुनिश्री निर्णयसागर आदि
मई 2004 जिनभाषित 13
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