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________________ सूचना गत वर्ष २००३ फरवरी में अहमदाबाद के उपनगर शिवानंदनगर में आयोजित जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर देश के मूर्धन्य साहित्यकार क्षुल्लक श्री मनोहरलाल जी वर्णीजी के साहित्य के अध्येता, शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष ' श्री सहजानंद वर्णी साहित्य पुरस्कार' प्रदान करने की योजना बनाई गई थी। उसी श्रृंखला में इस वर्ष भी वर्णी साहित्य के अध्येता को यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा । पुरस्कार में ११ हजार रुपये की राशि, प्रतीक चिन्ह भव्य कार्यक्रम में प्रदान की जायेगी। वर्णी साहित्य के अध्येता - शोधार्थी स्वयं या अन्य विद्वानों द्वारा नाम दिनांक १० मार्च तक प्रेषित करें। तीन विद्वानों की समिति द्वारा चयनित विद्वानों को यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा । कृपया विद्वान अध्येता के नाम इस पते पर प्रेषित करेंडॉ. शेखरचन्द्र जैन, २५, शिरोमणि बंगलोज, सी.टी.एम. चार रास्ता के पास अमराईबाड़ी, अहमदाबाद - ३८००२६ महाराज श्री ने प्रातः कालीन प्रवचन में इस बात के संकेत दिये कि इस क्षेत्र पर जो अज्ञात सुरंग है उसमें अनेक रहस्य छुपे भगवान आदिनाथ का मोक्ष कल्याणक समारोह हुए हैं, परन्तु उन रहस्यों को में अभी उजागर नहीं कर सकता हूँ। समय के साथ वे सभी रहस्य उजागर होंगे। पूर्वक मनाया मदनगंज किशनगढ़ (जिला-अजमेर, राज.) के आदिनाथ दि. जैन मंदिर जी में प्रातः काल ऋषभनाथ के मोक्ष कल्याणक के उपलक्ष्य में २० जनवरी २००४ को निर्वाण लड्डू समस्त दिगम्बर जैन समाज द्वारा चढ़ाया गया। भवदीय डॉ. शेखर चन्द्र जैन, संयोजक दोपहर में चलना जैन जागृति महिला मंडल द्वारा महिलाओं के लिये खुला प्रश्न मंच का कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम का संचालन मंडल की सांस्कृतिक मंत्री श्रीमती शशि प्रभा बज द्वारा किया गया। इसके अलावा भगवान के जीवन चरित्र पर श्रीमती सुशीला जी पाटनी (R. K. Marbles) मंडल की मंत्री आशा अजमेरा, नवरत्नदेवी दगड़ा, शशि प्रभा बज, गुणमाला छाबड़ा व जतन सोनी ने अपनी वार्ता दी। अन्त में मंडल की अध्यक्षा श्रीमती शान्ता पाटनी (R. K. Marbles) ने प्रतियोगियों व सभी वक्ताओं को पुरस्कार दिये तथा अपने धन्यवाद भाषण में धर्म प्रभावना बढ़ाने हेतु ऐसे कार्यक्रम करने हेतु प्रोत्साहित किया। सायंकाल महिला मंडल द्वारा संचालित दिगम्बर जैन पाठशाला के बच्चों के लिये प्रश्न मंच कार्यक्रम रखा। साथ ही बच्चों को धर्म की परीक्षा में उत्तीर्ण होने व प्रश्न मंच के लिये पुरस्कार दिये। सभी कार्यक्रम आदिनाथ मंदिर के अध्यक्ष श्री मूलचंद जी लुहाड़िया को देखरेख में सानन्द संपन्न हुए । श्रीमती शशि प्रभा बज सांस्कृतिक मंत्री, चेलना जागृति महिला मंडल मदनगंज- किशनगढ़, अजमेर-राज. 30 मार्च 2004 जिनभाषित Jain Education International श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र कैथोली श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र कैथोली मध्यप्रदेश के मदंसोर जिले के गरोठ उपखण्ड में भानपुरा से २० कि.मी. तथा रामगंज मण्डी जिला, कोटा (राज.) से १५ कि.मी. दूर है। कैथोली अतिशय क्षेत्र पर लगभग ११०० वर्ष प्राचीन भव्य एवं कलात्मक जिनालय है। जहाँ चतुर्थ काल की चौबीसी और कई मनोहारी और चमत्कारिक प्रतिमाएँ विद्यमान हैं। इस जिनालय में गर्भगृह भी स्थित है। मुनिपुगंव श्री सुधासागर जी महाराज, क्षु. गम्भीरसागर जी, क्षु. धैर्यसागर जी ससंघ यहाँ पधारे हुए हैं। अतिशयकारी मूर्ति भगवान श्री पार्श्वनाथ की प्रतिमा के दर्शन करते ही मुनिश्री ने कहा 'प्रतिमा अत्यन्त मनोहारी है और मैं इस प्रतिमा के दर्शन मात्र से अत्यन्त गदगद इस क्षेत्र पर उपलब्ध शिलालेखों से इस बात की पुष्टि होती है कि इस क्षेत्र का निर्माण मालवा देश के महाराज श्री राव दुर्गा के राज्य रामपुर के ग्राम कैथोली में बघेरवाल जाति के धानोतिया गोत्र के शाह कवलसी के परिवार द्वारा कराया गया था। प्रेमचन्द दगेरिया बाजार नं. १, रामगंजमण्डी पद्मश्री प्रोफेसर डॉ. सुनीता जैन साहित्य संस्था अहिंसा इन्टरनेशनल द्वारा सम्मानित प्रसिद्ध सामाजिक साहित्यिक संस्था अहिंसा इन्टरनेशनल द्वारा आई.आई.टी., नई दिल्ली में अंग्रेजी के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पर से सेवानिवृत हिन्दी एवं अंग्रेजी की सिद्धहस्त तथा सुप्रसिद्ध कवियित्री, उपन्यासकार एवं लघुकथा लेखक डॉ. सुनीता जैन का भारत सरकार द्वारा २६ जनवरी को 'पद्मश्री' मिलने पर संस्था के स्थापना दिवस पर नई दिल्ली में भावभीना सम्मान किया गया। लेखन में अतंर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ. सुनीता जैन अमेरिका से 'व्रीलैन्ड सम्मान' तथा 'मेरी सेन्डोज प्रेरी स्कूनर' सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। इसके अतिरिक्त इनको 'निराला नामित साहित्यकार सम्मान' 'महादेवी वर्मा सम्मान' आदि से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्तमान में वह २००२ - २००४ के लिए 'इन्दिरा गाँधी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524283
Book TitleJinabhashita 2004 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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