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प्रवचनांश
क्षमा की आर्द्रता
आचार्य श्री विद्यासागर जी
क्षमा की आर्द्रता से क्रोध की तीली ठण्डी हो जाती है। । विस्फोटित नहीं होगा। इसके विस्फोट के लिए कोई निमित्त होना पयूर्षण पर्व में अमरकंटक पर्वत पर परम साधक चिन्तक दार्शनिक | चाहिए। संसार को विस्फोट के विनाश से सचेत करते हुए आचार्य आचार्य विद्यासागर जी ने कहा कि विध्वंशकारी, विनाशक, श्री ने बताया कि क्रोध भी एक विस्फोटक है। महान् वैज्ञानिक विस्फोटक क्रोध के वाणों को क्षमा की शीतलता से असरहीन कर | अल्बर्ट आइस्टीन ने अणु शक्ति का आविष्कार विज्ञान के विकास सकते हैं। क्षमा के शस्त्रों से सज्जित वीर जग जीत सकता है। के लिए किया था किन्तु विस्फोट के प्रयोग से आशंकित वैज्ञानिक आचार्य श्री ने बताया कि अग्नि को शांत करने के लिए यदि जल | ने पश्चाताप करते हुए कहा था कि मन और मस्तिष्क ठीक रहेगा नहीं डाल सकते तो कोई बात नहीं ईंधन को अग्नि से दूर करने से | तो विस्फोट नहीं होगा। इसी मन और मस्तिष्क को ठीक रखना भी अग्नि शमन की जा सकती है।
है। विस्फोटक पदार्थ होते हुए भी प्रयोग में नहीं लाएँ तो विस्फोट ____ अभ्यास और अभ्यस्त के मध्य अन्तर को समझाते हुए | नहीं होगा। आचार्य श्री ने बताया कि क्रोध नहीं करने का अभ्यास किया जा फटाखे की दुकान को एक चिंगारी ध्वस्त कर देती है, न रहा है, प्रशिक्षण ले रहे हैं। अनन्तकाल से क्रोध समाप्त नहीं हुआ | दुकान बचेगी न दुकानदार । बारुद को अग्नि से पृथक रखना है। वह एक दिवस के प्रवचन से समाप्त नहीं हो सकता। क्रोध त्यागने | संसार ऐसे ही बारुद की दुकान है प्रत्येक के पास फटाखे की से अधिक महत्वपूर्ण है उस पर नियंत्रण करना। एक उदाहरण के दुकान है, स्वयं दुकानदार है। फटाखे में की बत्ती में यदि आग माध्यम से आचार्य श्री ने बताया कि शीतल स्थानों पर तापमान | लग भी जाए तो बारुद से बत्ती को अलग करने के प्रयास करते कम होते होते शून्य तक पहुँच जाता है, शून्य का अर्थ है जो था | हैं। बत्ती अलग होते ही विस्फोट से बच जाते हैं। मनुष्य का क्रोध अब वह नहीं है, वहाँ जो ताप था वह शून्य हो गया, यह कह | भी बारुद है। मानव बम से विस्फोट होने लगा है ऐसे विस्फोट से सकते हैं वहाँ ताप समाप्त हो गया है। वैज्ञानिकों ने शून्य से भी | अन्य को हानि बाद में होती है, स्वयं का विसर्जन पहले हो जाता कम तापमान की गणना की है वस्तुत: ताप तो समाप्त हो जाता है, | है। मानव बम का आविष्कार किसने किया? क्रोध भी वह बम है वह शीत का घनत्व कह सकते हैं। इतनी शीतलता में भी सैनिक | जिसका प्रभाव अन्य के पूर्व स्वयं के ऊपर पहले होता है। सीमा की सुरक्षा करते हैं क्योंकि उनके अन्दर तापमान सामान्य | विस्फोटखों से संसार की रक्षा के लिए समाप्त करने की चर्चा की है। बाहर का तापमान अलग है अंदर का तापमान अलग, यदि | जाती है, किन्तु पहल नहीं, कोई करे या न करे, क्रोध के प्रयोग दोनों तापमान एक हो जाए तो स्थिति सामान्य नहीं रहेगी। ऐसे ही | नहीं करने का संकल्प श्रमण लेते हैं। नष्ट न भी हो यदि प्रयोग बाहर क्रोध का कितना भी निमित्त हो बाहर के क्रोध का प्रयोग नहीं होगा तो हानि रहित हो जाएगा। क्रोध का प्रयोग करने वाला नहीं करने का संकल्प हो तो स्थिति सामान्य बनी रहेगी। यदि | स्वयं जलता है अन्य को भी जला देता है। क्रोध का प्रयोग नहीं भीतर क्रोध है बाहर न आए तो भी स्थिति नियंत्रण में रहती है। | करने पर शांति की वही अनुभूति होती है जैसी कि ग्रीष्म से किसी वस्तु को छोड़ने के लिए उसे दूर किया जाता है किन्तु क्रोध | व्याकुल व्यक्ति को शीतल स्थान पर प्राप्त प्राणवायु से मिलती है। नहीं छूटता। नहीं छूटता तो भी कोई बात नहीं यह बताते हुए | अधिक आर्द्रता होने पर माचिस की तीली बार-बार रगड़ने पर भी आचार्य श्री ने कहा कि उसका प्रयोग न करें। क्रोध फेंक नहीं नहीं जलती। क्षमा की आर्द्रता में क्रोध की तीली भी ठंडी हो जाती सकते, न सही, प्रयोग से पृथक रहें यही महत्वपूर्ण है। प्रत्येक | है। वस्तु के प्रभाव की एक समय सीमा है औषधि एक निश्चित | आचार्य श्री ने लोक व्यापी उदाहरणों के माध्यम से क्रोध अवधि के उपरांत निष्प्रभावी हो जाती है एक्सपायरी डेट । क्रोध | और क्रोधी के अन्तर को स्पष्ट करते हुए बताया कि क्रोध के का प्रयोग नहीं करने पर एक अवधि के पश्चात् वह स्वयमेव | विस्फोटक पदार्थों को क्षमा के आर्द्र वातावरण से ढक दिया जाए समाप्ति की ओर अग्रसर हो जायेगा, यह बताते हुए आचार्य श्री ने | तो कभी विस्फोट नहीं होगा। क्रोध के निमित्त का निषेध करने पर कहा कि क्रोध करने की प्रक्रिया क्यों आरंभ होती है क्रोध के पूर्व | क्रोधी भी शांति की शीतलता प्राप्त कर सकता है। स्वच्छ परिधान उसकी मान्यता बन जाती है। योद्धा के तरकस में अनेक तीर होते | पहनकर निज सन्तान द्वारा गोद में मूत्र इत्यादि करने पर क्या हैं किन्तु तीर स्वयं नहीं छूट सकते जब तक योद्धा प्रयोग में न | संतान को कोप का भाजन बनाते हैं ? क्रोध होते हुए भी नियंत्रित लाए। संसार में विस्फोट और बारुद का कोष है किन्तु वह स्वयं । हो जाता है ऐसे ही यदि पड़ोस के बच्चे का एक छींटा भी पड़
-सितम्बर 2003 जिनभाषित 7
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