SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्योंकि चाँदखेड़ी झालावाड़ जिले में है और झालावाड़ मेरा संसदीय । चैत्र सुदी तेरस दिन गुरुवार दिनांक 25.4.2002 महावीर क्षेत्र है। श्रीमती सिंधिया ने मुनिश्री को नमोस्तु करते हुए मुनिश्री | जयंती के दिन पुनः वही दिव्य पुरूष मुनिश्री के स्वप्न में आया से निवेदन किया कि मुनिश्री उनका क्षेत्र छोड़कर कहीं न जायें। और मुनिश्री से कहा कि आपके मन में इस क्षेत्र का इतिहास श्रीमती सिंधिया ने अत्यंत भावविभोर होकर कहा कि मुनिश्री मुझे | जानने की जो इच्छा है वही बताने में आया हूँ। मैं ही सेठ किशनदास ऐसा आशीर्वाद दें जिससे मैं मुनिश्री के आदेशों एवं निर्देशों का | हूँ जो पहले भी दो बार आपके स्वप्न में आया। आदिनाथ भगवान् पालन पूर्ण सक्षमता से कर सकूँ। श्रीमति सिंधिया के साथ खानपुर | की प्रतिमा एवं ये रत्नमयी जिनबिंब मैंने ही विराजमान करवाये क्षेत्र की युवा विधायिका सुश्री मीनाक्षी चंद्रावत भी थीं। मीनाक्षी | थे। यह मंदिर भी मैंने ही बनवाया था। आदिनाथ भगवान् को चंद्रावत ने भी विधायक कोटे से तीर्थ क्षेत्र विकास के लिए दो लाते समय नदी किनारे एक टेक पर कई बैल पछाड़ खाकर गिर लाख रूपये की घोषणा की एवं सारगर्भित उद्बोधन देकर मुनिश्री | गये पर गाड़ी को आगे नहीं खींच पाये तब मैंने उसी जगह से आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात् मुनिश्री ने अपने प्रवचनों में | आदिनाथ भगवान् को विराजमान करवाकर मंदिर बनवाया था। ये धर्मनीति को राजनीत से ऊपर बताते हुए कहा कि भले ही श्रीमती | रत्नमयी चंद्रप्रभ भगवान् 35 वर्ष तक मंदिर के ऊपरी तल में जहाँ सिंधिया एवं मीनाक्षी चंद्रावत अलग-अलग पार्टी की हैं पर इस अभी बाहुबली भगवान् विराजमान हैं वहाँ विराजमान रहे। बाद में धर्म मंच पर दोनों बड़ी बहिन एवं छोटी बहिन के रूप में हैं। इन्हें गुफा में रख दिया गया। यह स्थान पहले चंद्रप्रभ का बाड़ा मुनिश्री ने यह भी कहा कि अब यह चाँदखेड़ी क्षेत्र पूरे विश्व में कहलाता था जो बाद में चाँदखेड़ी कहलाने लगा। मुनिश्री के जाना जाने लगेगा। पूरे क्षेत्र का विकास इतना तेजी से होगा कि | | पूछने पर कि आप स्वप्न में ही क्यों आते हैं, साक्षात सामने क्यों रेल लाइन एवं हवाई अड्डा भी शीघ्र यहाँ हो जायेगा। । नहीं आते तो जवाब में दिव्य शक्ति ने कहा कि मैं अपनी मर्यादाओं इस महामहोत्सव की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि | का उल्लंघन नहीं कर सकता। मुनिश्री ने जब पुन: दैवीय शक्ति से पूरे महोत्सव के दौरान नाम मात्र की भी कोई अप्रिय घटना नहीं | पूछा कि आप इस समय कहाँ पर हैं तब वह बिना कोई जवाब हुई। गाँव के जैनेतर लोगों को छोट-छोटे व्यापार के माध्यम से दिये अदृश्य हो गया। लाखें रूपये की आमदनी हुई। यह सब चंद्रप्रभ भगवान, आदिनाथ वर्तमान में सारे नव निर्माण कार्य बड़ी तेजी के साथ प्रगति भगवान् एवं मुनिश्री के आशीर्वाद का ही चमत्कार था जो इतना पर हैं। सारे ही कार्य क्षेत्र कमेटी के निर्णय से प्रस्तावित हुए हैं बड़ा कार्यक्रम निर्विघ्न संपन्न हुआ। और सभी कार्यों के पूर्ण होते ही चाँदखेड़ी महाअतिशय क्षेत्र एक दिनांक 7.4.2002 को भूगर्भ से प्राप्त जिनबिंबों के समक्ष पूर्ण विकसति क्षेत्र के रूप में जाना जायेगा। क्षेत्र के वर्षों से लंबित बड़ी भक्तिभाव से शांतिविधान एवं हवन किया गया तत्पश्चात् | भूमि संबंधी सभी विवाद मुनिश्री की दूरदर्शिता एवं प्रबल तीर्थोद्धार तीनों जिनबिंबों को मुनिश्री एवं क्षुल्लकद्वय पुनः गुफा में यथास्थान | भावना एवं चमत्कारिक आशीर्वाद से सुलझ गये हैं। क्षेत्र पर आने विराजमान कर आये। | वाले यात्रियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। महामनीषी आचार्य तुमको प्रणाम! मूकमाटी के कालजयी रचनाकार शतशः प्रणाम! सिद्धिसाधक दिगम्बर शिव तुमको प्रणाम! मूकमाटी के मंगलघट तुमको प्रणाम ! 'असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय' इस वेदवाक्य के सहज साकार रूप जीवन्त कोष, तुमको प्रणाम ! तुमको प्रणाम डॉ. संकटा प्रसाद मिश्र इच्छा, क्रिया, ज्ञान के समन्वय रूप त्रिवेणी-प्रवाह के तीर्थराज तुमको प्रणाम! मिथ्याचारों के विद्रोही स्वर क्रांति के अमर घोष विद्या के सागर, तुमको प्रणाम ! तेजस्वी अंशुमाली समान दिगदिगन्त आलोक पर्व, हे ज्योतिपर्व के ज्ञानदीप उज्वल महिमा से मण्डित महामहिम, सन्त शिरोमणि कबीर तुमको प्रणाम! मई 2003 जिनभाषित 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524273
Book TitleJinabhashita 2003 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy