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________________ यह तो कठिन है। तब महाराज ने कहा, घबराओं नहीं, नगर में जो । यह हो गयी कि मेन पाइप से पानी निकलना बंद हो गया। जब गृहस्थ असिधारा व्रत पालता हो उसके आहार कराने से कार्य पूरा | कर्मचारियों ने निरीक्षण किया और देखा कि सात आठ दिन पूर्व हो सकता है। प्रत्येक दिन एक-एक गृहस्थ पति-पत्नी को आहार | किसी ने टंकी में डूबकर आत्महत्या कर ली थी। उसमें बदबू आ कराओ। ऊपर चौके में काला चॅदेववा बाँधो, जिस दिन वह सफेद | रही थी तथा शव, अधिक गल जाने से अपने आप बिखरने लगा। हो जावेगा, समझना मेरा पाप धुल गया। श्रावक ने ऐसा ही किया। उसी शव के टुकड़े पाइप के मुख में फंसने से जल निकास एक दिन काला चंदेव अचानक सफेद हो गया, जिस दिन विजय अवरुद्ध हो गया। यह तो एक नगर की एक ही घटना है, अन्यत्र विजया नामक दंपत्ति ने भोजन किया। जिवय विजया ने मुनिराज क्या-क्या होता होगा, आप स्वयं विचार करें छोटी काया वाले से एक ने कृष्णपक्ष का एक ने शुक्ल पक्ष का ब्रह्मचर्य लिया था। जीव तो मरते ही रहते हैं। इंदौर के लोगों ने सात-आठ दिन तक संयोग से दोनों की आपस में शादी हो गयी। दोनों ने संकल्प किया | पानी के नाम पर क्या-क्या पिया होगा, आप ही विचार करिये। कि व्रत को हम गुप्त रूप से पालेंगे। जब किसी को मालुम पड़ | सोचें ऐसे जलपान से क्या आप अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख जावेगा तो वह दीक्षा ले लेंगे। मालूम पड़ने पर विजय मुनि और | पायेंगे? क्या आप अहिंसा धर्म का पालन कर पायेंगे? विजया आर्यिका बन जाती है। देखो जिवानी का कितना महात्व जल छानने के कथन को समाप्त करने के पहले छोटी सी है। आप कभी भी पानी छानने में प्रसाद न करना आपको अवश्य एक घटना और रखना उचित समयूँगा। एक माँ ने एक ब्रह्मचारी सद्गति होगी। जी का निमंत्रण किया। समय पर ब्रह्मचारी जी भोजन करने पहुँच _____आज सब जगह नल व्यवस्था होती जा रही है। नल का गये। भोजन के समय ही माँ ने गर्म पानी छाना। ब्रह्मचारी जी ने पानी त्याग कर पाना कठिन लगने लगा है। किन्तु आप नहीं जानते विचार किया कि कितना विवेक है, कि गर्म करके पुन: पानी छान की नल के जल में जीव हिंसा के साथ-साथ और भी क्या-क्या | रही हैं, क्योंकि तुरन्त पानी छानने पर पानी में अंतराय की संभावना खामियाँ (कमियाँ) हैं। ली के पाइप लाइन गटर या सामान्य | प्रायः समाप्त हो जाती है। फिर भी मन में पूछने का भाव आया, नालियों से गुजरती है। जब पाइप लाइन में कहीं से जल निकलने किन्तु ब्रह्मचारी लोग भोजन के समय प्रायः मौन रहते हैं, तत्काल लगता है, तो नाली गटर का जल लाइन में और लाइन का जल पूछा नहीं। भोजन के बाद पूछा माँ जी! आपने पानी क्यों छाना नाली में मिल जाता है। केंचुएँ आदि जीव भी नील में से निकलीते था, उत्तर दिया-भैया, आपने प्रवचन में कहा था कि प्रत्येक देखे गये हैं। अब आप ही विचार करो कि नल के जल के नाम पर श्रावक को छानकर और गर्म करके जल प्रयोग में लेना चाहिए। आप क्या पी रहे हैं? उत्तर मिलेगा गटर का पानी। मार्च 1996 में | मैंने सोचा पानी पहले नहीं छान पाये, इसलिए गर्म करने के बाद इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र की पानी की टंकी मे डूबकर किसी ने | में छान लिया, सुनकर ब्रह्मचारी जी अवाक् रहे गये कितना आत्महत्या कर ली थी। हम लोग उस समय सिद्धक्षेत्र सिद्धवर | अज्ञानांधकार है, यह भी ज्ञान नहीं कि पानी क्यों छानते हैं, कृपया कूट में थे। जब पानी में बदबू आने लगी, तब जनता ने नगरनिगम | आप ऐसा न करें। वरन् आप भी पाप के भागीदार होंगे। साथ ही से शिकायत की पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। एक दिन स्थिति | हँसी के पात्र भी बनेंगे। 'कर्तव्य बोध' से साभार आंतड में भव्य देवी प्रतिष्ठा समारोह सम्पन्न अजमेर, श्री दिगम्बर जैन मन्दिर पार्श्वनाथ कॉलोनी आंतड । स्वागत किया गया। प्रतिदिन प्रभात में अभिषेक, जाप्यानुष्ठान में दिनांक 22 जनवरी से 25 जनवरी, 2003 तक परमपूज्य संत | एवं नित्यनियम पूजन के बाद मुनि श्री का मंगल प्रवचन होता शिरोमणि आचार्य 108 श्री विद्यासागरजी महाराज के परम शिष्य था। दोपहर को प्रश्न मंच व शंका समाधान व सायं 4 बजे बच्चों मुनद्वय 108 श्री क्षमासागरजी एवं भव्यसागरजी महाराज ससंघ | के लिए संस्कार-शिक्षण शिविर के बाद रात्रि में गुरुभक्ति का के पावन सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य श्री कुमुदचन्द सोनी, अजमेर | | कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। रात्रि में शास्त्र प्रवचन के बाद प्रो. सुशील एवं उनके सहयोगी श्री ज्योति बाबू जैन, उदयपुर के निर्देशन में | पाटनी के नेतृत्व में श्री दि. जैन संगीत मंडल, अजमेर द्वारा भजन विधि-विधानपूर्वक वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य कार्यक्रम | व सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए। सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम को सान्निध्य प्रदान करने हेतु मुनि श्री दिनांक 22 जनवरी को मुनि श्री के मंगल प्रवचन के ससंघ 21 जनवरी को सेठ सा. की नसियाजी से जुलूस के रूप | बाद मदनगंज के श्रेष्ठी श्री रतनलाल पाटनी आर.के. मार्बल्स में यहां पधारे, जिनका समिति के पदाधिकारियों एवं | लिमिटेड द्वारा झण्डारोहण के साथ महोत्सव का शुभारंभ हुआ। कॉलोनीवासियों द्वारा मंगल आरती एवं पाद प्रक्षालन द्वारा भावभीना | हीराचन्द्र जैन -मार्च 2003 जिनभाषित 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524271
Book TitleJinabhashita 2003 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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