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________________ क्या आप जानते हैं, आप क्या खा रहे हैं? श्रीमती मेनका गाँधी एक भारतीय का उदाहरण भी हमारे सामने है, जिसने अमरीका में कोर्ट के सामने मैकडॉनल्डस की पोल खोली। वर्षों तक मैकडॉनल्डस ने लोगों को झूठ बोला कि वे चिप्स को वैजिटेबल ऑयल में तलते हैं। सच्चाई सामने आ चुकी है कि मैक्डॉनल्डसचिप्स को वैजिटेबल ऑयल में तलने से पहले उन्हें गाय की चर्बी में डुबोते हैं। सभवतः उसी के समान हमारे देश में भी वे चिप्स जो दूसरे देशों से आयात किये जाते हैं, उनमें इस तरह की सामग्री मिली होती है। एक उपभोक्ता के रूप में आपकी पसंद लाखों जानवरों | 4. चुइंगम - हालाँकि यह प्राकृतिक गम (पेस्ट) से के जीवन व मृत्यु का निर्णय करती है। कहने का अर्थ यह है कि | बनाई जाती है, लेकिन फिर भी इसमें ग्लेसरिन, सैट्रिक एसिड व यदि आप अपनी दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं के प्रति जागरूक पशुओं से प्राप्त होने वाला एमूलसिकिएरस आवश्यक रूप से हैं, तो संभवत: आप न केवल जानवरों का जीवन बचा सकते हैं, मिला होता है। यदि यकीन न हो तो इसके खोल पर आप पढ़ बल्कि उन वस्तुओं का निर्माण करने वाले उत्पादकों व निर्माताओं सकते हैं। को भी अन्य विकल्पों के प्रयोग के लिए बाध्य कर सकते हैं। 5. चिप्स - विदेशों से फास्टफूड की दुकानों पर जितनी बहुत से उत्पादक व निर्माता आपको धोखे में रखते हुए भी प्रकार की चिप्स मिलती हैं, उन्हें पशुओं की चर्बी में तला अपने उत्पादों के रूप में आपके समक्ष अदृश्य रूप में जानवरों | जाता है। पैकेटों में बिकने वाले चिप्स पर ध्यान से देखें कि यह का मांस, उनकी त्वचा, हड्डियाँ परोस देते हैं और आपको पता भी बेजिटेबल ऑयल में तली गई है या नहीं। नहीं चलता कि इन उत्पादों के रूप में आप क्या कुछ प्रयोग कर 6. चॉकलेट - चॉकलेट में सामान्यत: जानवरों से प्राप्त रहे हैं। इन सबके पीछे एक मुख्य कारण है कि जानवरों का मांस तत्त्वों का सम्मिश्रण होता है। कुछ ऐसे ही सम्मिश्रण हैं, अंडे की व अन्य अंग उत्पादों में प्रयोग होने वाले अन्य विकल्पों के जर्दी, अंडे की लेसिथिन शेलैक व जैलेटिन आदि। नेस्ले की मुकाबले अधिक सस्ते होते हैं। इन उत्पादों में से अनेक पर तो | किटकैट कॉफ रेन्नेट से बनती है। इसके अतिरिक्त तर्किश डे निर्माता इनमें प्रयुक्त संघटकों का नाम भी अंकित नहीं करते। लाइट, फ्रूट रोल्स, टॉफियों, जूजूबिज, पीपरमिंट्स आदि में जैलेटिन कुछेक निर्माता अपने उत्पादों पर तत्त्वों का नाम लिखते भी हैं, तो मिला होता है। पोलों की मिंट में गाय की चर्बी मिली होती है। इनका मनोवैज्ञानिक ही प्रयोग करते हैं, जो आपकी समझ से | 7. शीतल द्रव- (कोलाज)- बाजार में आज बिकने बाहर की बात है। वाले अधिकतर शीतल पेयों (कोलाज) में ग्लाइसेरोल मिला 1. एलबुमेन - इसे आप अण्डे की जर्दी भी कह सकते होता है। कोला कोला कम्पनी ने इस बात को स्वीकार भी किया हैं। आमतौर पर इसे ब्रेड या मिठाइयों आदि में प्रयोग किया जाता है कि उनके उत्पाद में यह पदार्थ मिलाया जाता है। आइसक्रीम में है। यदि आप किसी मिठाई या डबल रोटी पर परत जैसी कोई | भी अंडा व गेलैटिन मिलाया जाता है। चीज देखें तो समझ जाइए कि यह अण्डे की जर्दी से की गई 8. जैली व जैम भी गेलैटिन युक्त होता है। सफाई के कारण है। जानवरों की हड्डियों का निर्माण कैलशियम १.बर्क - बर्क सिल्वर का बना होता है इस सिल्वर को फॉस्फेट से होता है। जानवरों की हड्डियों का ब्रेड के गूंथे हुए गाय व भैंस की आँतों के बीच रखकर पीटा जाता है, तब कहीं आटे की गुणवत्ता में निखार के लिए प्रयोग किया जाता है। जाकर वर्क तैयार होता है। 2. एजिनोमोटो - यह मछली से बनता है यह सॉस व | 10. रिवोफ्लेविन - यह संतरी व पीले रंग का पदार्थ चाइनीज फूड में प्रयोग किया जाता है। होता है, जिसमें अका व भिष्ट मिला होता है। वैजिटेबल से बना 3. पनीर - विदेशों से कई जगह चीज (पनीर) के रियोपेलविन काफी महंगा होता है। निर्माण में जिन्दा प्याना मछली के पेट से निकाले एसिड का 11. वोरसेसर्ट सॉस - इसके निर्माण में मछली का प्रयोग किया जाता है। इस एसिड को रेन्नेट कहते हैं और दूध से इस्तेमाल किया जाता है। खाद्य पदार्थों में मिलाए जाने वाले कुछ पीन बनाने की प्रक्रिया में प्रयोग किया जाता है। भारत में बछड़ों संघटक इस प्रकार हैं। के रेन्नैट पर पाबंदी है और यहाँ पर इसके स्थान पर रसायनों का (अ) जिलाटाइन - यह संघटक जानवरों की हड्डियों, प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के तौर पर क्राफ्ट चीज (पनीर) त्वचा व अन्य शारीरिक अंगों को पानी में उबालकर प्राप्त किया बछड़े के रेन्नेट से बनता है। जाता है। जानवरों के ये अंग बूचड़खानों से प्राप्त किये जाते हैं। 24 जनवरी 2003 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524269
Book TitleJinabhashita 2003 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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