SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ घर-घर की दीवारों पर अशोक शर्मा जिन्हें देखकर जागे सोए डर लगता है रह रहकर उन चेहरों को टाँग लिया है घर घर की दीवारों पर। चातुर्मास व्यवस्था इस वर्ष इस गुरुकुल में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की परम शिष्याएँ आर्यिकारत्न श्री 105 अनंतमति माताजी एवं आदर्शमति माताजी 28 आर्यिकाओं के विशाल संघ के साथ विराजमान हैं। साथ ही 20 संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहनें एवं प्रतिभा मंडल की 70 बहनें है। प्रतिभा मंडल की बहनों को संस्कृत का अध्यापन करने हेतु प्रो. पं. रतनचंद्र जी जैन भोपाल से आये हुए हैं। पूरे संघ की चार्तुमास व्यवस्था सचिव श्री पन्नालालजी गंगवाल एवं संयोजक श्री डॉ. प्रेमचंदजी पाटणी के नेतृत्व में एलोरासज्जनपुर के सहकार्यसे सँभाली जा रही है। प्रतिरविवार को माताजी द्वय का मांगलिक उद्बोधन भी होता है। इस चातुर्मास की सर्वांगीण व्यवस्था हेतु श्री वर्धमानजी पांडे, श्री गोस्वामी श्री, अशोक काला, श्री अनिलजी काला, श्री गौतमचंदजी ठोले, श्री राजकुमारजी पांडे, श्री मनोरकरजी, श्री महेन्द्रकरजी कोपरगाँव पंचायत, कन्नड पंचायत वर्तमान कार्यकारिणी इत्यादि सभी का अनमोल सहकार्य प्राप्त हो रहा है। आग उगलते चेहरों ने, कुछ चेहरों को नोच लिया हर अपना बेगाना ही है, हर अपने ने सोच लिया। हाथों में हथगोले लेकर चेहरे डोल रहे हैं आतंकित भाषा में अपने अंतर खोल रहे हैं। जिन्हें सोचकर भूले बिसरे डर लगता है रह-रहकर ऐसे लोग चढ़े बैठे हैं सोच-समझ की मीनारों पर। अपने से ज्यादा लोगों का दर्द नहीं पड़ता दिखलाई पर पीड़ा में अब औरों की पीठ नहीं जाती सहलाई मेरा ही घर रहे सुरक्षित आग भले लग जाए शहर में अमरबेल सी चाह हमारी फूल रही हर एक नजर में नदी किनारे प्यासमरों का शापित जीवन लख लखकर कोई चलना नहीं चाहता अब जलते अंगारों पर। HERE बीते लोग अगर अच्छे थे फिर क्यों अच्छा नहीं उगा पथ भूलों को डगर दिखाता, ऐसा पंथी नहीं जगा पू. आचार्यश्री से चर्चा करते हुए सर्व श्री हुकमचंद जी, तनसुखलाल जी, डॉ. प्रेमचन्द्र जी, पन्नालाल जी गंगवाल, देवकुमार जी कान्हेड इतिहासों का गौरव सीमित पढ़ने लिखने तक क्रीडा क्षेत्र/भाषण स्पर्धा ढोल सुहावन लगें सभी को दूर दूर दिखने तक इस विद्यालय के छात्रों ने पढ़ाई के अलावा क्रीडा क्षेत्र में भी अपना एवं संस्था का नाम जिला स्तर एवं राज्यस्तर तक जिनको केवल पढ़ने तक ही रटती है पीढ़ी रह रहकर पहुँचाया है। हॉकी, हैंडबॉल, फुटबाल, वॉलीबाल, वेटलिफ्टिंग, ऐसे लोग जगाए जाते अब केवल त्यौहारों पर इत्यादि में भी छात्रों ने राज्यस्तर तक नाम कमाया है। भाषण स्पर्धा में छात्रों ने जिलास्तर एवं राज्यस्तर तक अपना और स्कूल का नाम किया है। इस प्रकार यह संस्था ग्रामीण विभाग में होने के अभ्युदय निवास, 36-बी, मैत्री विहार, बावजूद शहरी विभाग की बराबरी में खड़ी है। सुफेला भिलाई दुर्ग)- 490023 गुरुदेव समंतभद्र विद्या मंदिर, एलोरा मनि विश्वकीर्ति सागर जी महाराज की समाधियात्रा सम्पन्न बीना - परम पूज्य मुनि श्री विश्वकीर्ति सागर जी महाराज प.पू. जैनाचार्य श्री विरागसागर महाराज जी के परम तपस्वी शिष्यों में से एक थे, ऐसे मुनिश्री का वर्षायोग आ. श्री की आज्ञा से बड़ी बजरिया, बीना में मुनि श्री विश्वपूज्य सागर जी ऐलक श्री विनम्रसागर जी व क्षु. श्री विदेह सागर जी महाराज के साथ हो रहा था। भाद्र माह में मुनिश्री ने उपवास प्रारंभ किये। प्रथम उपवास में ही अस्वस्थ हो गये, लेकिन मुनिश्री उपवास करते ही गये। 26 दिन तक निरन्तर साधना के बाद प्रशस्त वातावरण में व सभी महाराजों के सान्निध्य में उत्तम त्याग के दिन 18 सितम्बर, 2002 बुधवार को सुबह 10.40 पर विनश्वर देह का त्याग कर अविनश्वर पद को प्राप्त करने के लिए प्रयाण कर दिया। अध्यक्ष, श्री पाश्र्वनाथ जैन मंदिर बडी बजरिया बीना। -अक्टूबर-नवम्बर 2002 जिनभाषित 31 गुरुदवस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524267
Book TitleJinabhashita 2002 10 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy