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________________ साहित्य-समीक्षा समीक्ष्य कृति का नाम - 'जन-जन के महावीर' पूज्य क्षु. श्री धैर्यसागर जी महाराज ने कृति के प्राक्कथन में प्रकाशक - श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति, नसियां | लिखा है कि -"इस संकलन के पीछे मेरा यही उद्देश्य था कि जी, दादावाड़ी, कोटा (राज.) जनमानस को 2600वीं भ. महावीर जन्म जयन्ती पर ऐतिहासिक प्रेरणा एवं आशीर्वाद -मुनिश्री सुधासागर जी महाराज, क्षुल्लक जानकारी उपलब्ध कराई जाए" जिसमें वे सफल हुए हैं। श्री गम्भीरसागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री धैर्यसागर जी महाराज। कुल 23 शीर्षकों में निबद्ध सामग्री यथार्थ के धरातल पर प्राप्ति स्थान- श्री ऋषभदेव दि. जैन ग्रन्थमाला, दि. जैन | प्रमाणित की हुई है। महावीर कालीन भारत का नक्शा, सिन्धु घाटी मन्दिर संघीजी, सांगानेर-जयपुर (राज.)। की खुदाई से प्राप्त अजनाभ वर्ष (भारत) के प्रवर्तक महाराजा नाभिराय समीक्ष्य कृति पूज्य क्षुल्लक श्री धैर्यसागर जी महराज | का चित्र, दुर्लभ सील, तीर्थंकर मूर्ति, समवशरण, विश्वशान्ति का (संघस्थ-परमपूज्य मुनिपुंगव सुधासागर जी महराज) की सूझ- | विज्ञान, दुनिया के सबसे प्राचीनतम संवत्सर-वीर निर्वाण संवत् को बूझ एवं कुशल संयोजन/सम्पादन का सुपरिणाम है। भगवान् महावीर | दर्शानेवाला शिलालेख, जल में जीव राशि आदि चित्रों के चित्रांकन के की 2600वीं जन्म जयन्ती वर्ष 2002 के शुभावसर पर प्रकाशित | | साथ-साथ अभिप्रेत परिचायक सामग्री कुशलता से सँजोयी गयी है। 'जन-जन के महावीर' लघुकाय कृति में ऐसा कुछ भी नहीं छूटा है | भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के जैन शहीद, भगवान् महावीर जिससे जैनधर्म की प्राचीनता, इतिहास बोध, पुरातत्त्व, मूर्ति एवं | और उनके अवदान पर देशी-विदेशी विद्वानों, संत महात्माओं के वास्तुशिल्प, अधुनातन प्रेरक क्रियाकलपाप, विश्वमान्य विद्वानों के | विचार इस तरह सँजोये गये हैं कि बहुलता खटकती नहीं, अपितु विचार और जैनधर्म तथा भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान | विविधता का आकर्षण बढ़ाती है। महावीर के वैचारिक चिन्तन की उपादेयता सिद्ध होती हो। कृति का प्रकाशन निर्दोष एवं नयनाभिराम है, जिसके लिए प्रथम पृष्ठ (कवर) पर भारतीय संविधान की सुलिखित प्रकाशक बधाई के पात्रा हैं। इस कृति का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार प्रथम कृति में अंकित 24वें तीर्थंकर भवान् महावीर का तप में लीन | होना चाहिए, ताकि आम जन जैनत्व के प्रति यथार्थ जानकारी से मुद्रा वाला चित्र, कवर-2 पर ब्रिटिश म्यूजिम, लन्दन में स्थित प्रथम अवगत हो सकें। यथार्थ के साथ आदर्श की ओर ले जाने वाली यह तीर्थंकर ऋषभदेव एवं अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीर का चित्र, कृति जैनत्व की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाली एवं जैनधर्म को जनधर्म बनाने कवर-3 पर देश-विदेश के डाक विभाग से जारी किये गये जैन | की दिशा में उठाया गया सफल कदम है, जिसके लिए पूज्य क्षुल्लक धर्म सम्बन्धी डाकटिकटों के चित्र एवं कवर-4, पर भारतीय डाक | श्री धैर्यसागर जी महाराज के प्रति कृतज्ञता का भाव सहज ही उत्पन्न विभाग द्वारा भगवान् महावीर 2600वाँ जन्मकल्याणक सम्बन्धी | होता है। विवरणिका प्रकाशित है, अत: कवर ही जैन धर्म की विशिष्टताओं समीक्षक-डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन 'भारती' को दर्शाने वाला बन गया है। मन्त्री-अ.भा.दि. जैन विद्वत् परिषद् एल-65,न्यू इंदिरा नगर,ए, बुरहानपुर म.प्र. पृष्ठ 32 का शेषांश आपके नगर से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र या | सागर (म.प्र.) के सांसद एवं संसद की स्वास्थ्य एवं पत्रिकाओं में अथवा उनसे संबंधित आपके नगर के पत्रकारों के परिवार कल्याण मंत्रालय से संबंधित समिति के सदस्य श्री वीरेन्द्र माध्यम से उन्हें प्रेषित कराकर, नगर स्थित होर्डिंग्स पर लिखवा कुमार द्वारा 5 जुलाई 2002 को 'वार्ता' न्यूज एजेन्सी के माध्यम से कर, पेम्पलेट्स-स्टीकर्स छपवाकर, सिटी केबल पर विज्ञप्ति कराकर, समाचार-पत्रों में विज्ञप्ति प्रचारित/प्रेषित करायी गयी है। नए केन्द्रीय सिनेमा हॉल में स्लाइड्स बनवाकर, नगर में या आसपास के ग्रामों स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री शत्रुघ्न सिन्हा के समक्ष में पधारे जैन-वैदिक साधु-साध्वियों को जानकारी देकर, स्कूल- समिति की बैठक में श्री वीरेन्द्र कुमार ने सुझाव रखा था कि कॉलेजों में व्याख्यान कराकर एवं अपने परिचित-रिश्तेदारों तक शाकाहारी एवं मांसाहारी खाद्य पदार्थों पर हरे रंग या भूरे रंग से प्रेषित कर, ग्राम-ग्राम तक इन चिह्नों का सही ज्ञान कराया जा चिह्न बनाए जाने के बाबजूद, आम उपभोक्ता वर्ग इन चिह्नों से सकता है,इससे जहाँ आम उपभोक्ता वर्ग इन मांसाहारी खाद्य अभी परिचित नहीं हैं। अत: खाद्य पदार्थों के पैकेटों पर हिन्दी या पदार्थों या ऐलोपैथिक दवाओं का उपयोग करने से बच सकेगा, अंग्रेजी में स्पष्ट रूप से शाकाहारी अथवा मांसाहारी खाद्य भी वहीं उत्पादकों के द्वारा चिह्न नहीं बनाए जाने या गलत स्थान/रंग लिखा जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। विचार-विमर्श के से बनाए जाने पर प्रदेश, जिले या नगर के खाद्य एवं ओषधि उपरान्त श्री सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्यवाही निरीक्षकों, उपभोक्ता फोरम आदि में शिकायत दर्ज कराके या हेतु निर्देश दिए हैं कि खाद्य पदार्थों के पैकेटों पर शाकाहारी एडव्होकेट के द्वारा उन उत्पादकों को चेतावनी या नोटिस दिए/दिलाए | अथवा मांसाहारी खाद्य लिखना अनिवार्य किया जाए। जा सकते हैं। सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र, नेमावर से जनहितार्थ जारी -अगस्त 2002 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524265
Book TitleJinabhashita 2002 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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