________________
अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् कार्यकारिणी समिति बैठक
वीरशासन जयन्ती- विद्वत परिषद् 58वाँ स्थापना दिवस सम्पन्न
जैन आर्काइब्ज एण्ड लायब्रेरी की गन्नौर में स्थापना ___ गन्नौर (सोनीपत) हरियाणा-यहाँ अखिल भारतवर्षीय। चाँदखेड़ी क्षेत्र के विषय में किए गए एवं किये जा रहे दुष्प्रचार की दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् का 58वाँ स्थापना दिवस-वीरशासन | निन्दा करती है। जयन्ती समारोह प. पूज्य राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री गुप्तिसागर जी प्रस्तावक-प्राचार्य निहलाचंद जैन (बीना) महाराज एवं पंडिताचार्य श्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामीजी समर्थक- डॉ. हुकुमचंद पा. संगवे (सोलापुर) (मूडबिद्री) के सान्निध्य में अपूर्व धर्म प्रभावना के साथ श्रीमान् प्रस्ताव 3- कृतज्ञता ज्ञापन डॉ. फूलचन्द्र जैन 'प्रेमी' (वाराणसी) की अध्यक्षता में दि. 25 अखिल भारतवर्षीय जैन विद्वत्परिषद्. की यह कार्यकारिणी जुलाई सन् 2002 को श्री गुप्तिसागर धाम सभागार, गन्नोर (हरियाणा) | समिति सर्वसम्मति से विद्वत्परिषद् का 58वाँ स्थापना दिवस समारोह में मनाया गया, जिसमें डॉ. फूलचन्द्र जैन 'प्रेमी' (वाराणसी) डॉ. आयोजित करने के लिए उपाध्याय श्री गुप्तिसागर धाम, गन्नौर हुकुमचन्द्र पार्श्वनाथ संगवे (सोलापुर), डॉ. शीतलचन्द्र जैन (सोनीपत) हरियाणा के सभी पदाधिकारियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता (जयपुर), डॉ. सुपार्श्वकुमार जैन (बड़ौत), पं. निहालचन्द्र जैन व्यक्त करती है। उक्त आयोजन में सहयोग देने हेतु सिद्धान्तरत्न (बीना), डॉ. नीलम जैन (गजियाबाद), सिद्धान्त रत्न विदुषी ब्र. विदुषी ब्र. बहिन सुमन जी, विदुषी ब्र. बहिन रंजना जी एवं बहिन सुमन जी, ब्र. बहिन रंजना जी, डॉ. सुरेशचन्द्र जैन (दिल्ली), | विदुषी डॉ. नीलम जैन (गाजियाबाद) के प्रति भी यह समिति डॉ. सनतकुमार जैन (जयपुर), डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन 'भारती' | हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करती है। (बुरहानपुर), डॉ. उर्मिला जैन (बड़ौत), डॉ. शोभालाल जैन कार्यकारिणी बैठक के उपरान्त सभी सदस्यों के वर्षावास (जयपुर), श्री नरेन्द्रकुमार जैन (खरगौन), डॉ. सुभाषचन्द्र सचदेवा हेतु विराजित परमपूज्य संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी (सोनीपत) एवं श्रीमती शान्ता जैन (सोनीपत) ने वीरशासन जयन्ती महाराज के सुयोग्य शिष्य शाकाहार सवंर्धक परपपूज्य उपाध्याय एवं अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् के इतिहास एवम् कार्यों पर प्रकाश श्री गुप्तिसागर जी महाराज के चरणों में श्रीफल अर्पित कर डाला।
शुभाशीर्वाद प्राप्त किया तथा तीर्थंकर भगवान् महावीर जन्मभूमि, इस अवसर पर आयोजित कार्यकारिणी समिति की बैठक साहित्य प्रकाशन, विद्वानों की भूमिका विषयक विचार-विमर्श में जो प्रस्ताव सर्वसम्मति से गहन विचार विमर्श पूर्वक पारित | किया। इस अवसर पर समादरणीय पण्डिताचार्य भट्टारक स्वामी किए गए वे इस प्रकार हैं
जी, मूडविद्री से 'विद्वत्परिषद्' का संरक्षक बनने हेतु निवेदन प्रस्ताव 1- तीर्थंकर भगवान् महावीर स्वामी की | किया गया तथा उनकी शुभकामनायें प्राप्त की। जन्मभूमि विदेह देशस्थ कुण्डलपुर ही है।
इस अवसर पर उपाध्याय श्री गुप्तिसागर इन्स्टीट्यूट के अ.भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् की यह कार्यकारिणी समिति अन्तर्गत गुप्तिसागर धाम, गन्नौर में जैन आर्काइव्ज एण्ड लाइब्रेरी देवाधिदेव तीर्थंकर महावीर स्वामी की जन्मभूमि के विषय में उठे | की स्थापना पूज्य उपाध्याय श्री के मंगल आशीर्वाद एवम् सान्निध्य नए विवाद पर गहरी चिन्ता व्यक्त करती है तथा समाज से अपील | में मूडविद्री-कर्नाटक से पधारे हुए समादरणीय पंडिताचार्य श्री करती है कि शास्त्रोक्त प्राचीन विदेहदेशस्थ कुण्डग्राम को ही चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी के करकमलों द्वारा समागत विद्वानों, तीर्थंकर महावीर की जन्मभूमि माना जाय।
विदुषियों एवं उपस्थित जनसमुदाय के मध्य ज्ञान दीप प्रज्वलन के प्रस्तावक-डॉ. रमेशचन्द्र जैन (बिजनौर) साथ की गई। उक्त लाइब्रेरी में परिषद् के अध्यक्ष डॉ. फूलचन्द्र
__ समर्थक - डॉ. सुरेन्द्र जैन (दिल्ली) जैन 'प्रेमी' ने प्रतीक स्वरूप अपनी शोधकृति 'मूलाचार एक प्रस्ताव 2- चाँदखेड़ी में हुई अपूर्व धर्मप्रभावना की समीक्षात्मक अध्ययन' विराजमान की तथा समिति की ओर से अनुमोदना एवं दुष्प्रचार की निंदा।
लगभग 500 धर्मशास्त्रों, शोधकृतियों आदि की स्थापना की गई। अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् कार्यकारिणी समिति चाँदखेड़ी उक्त ग्रंथालय में विद्वानों के कृतित्व एवम् रचनात्मक लेखन में तीर्थक्षेत्र पर प.पू. मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज द्वारा भूतल उपर्युक्त सामग्री के संजोने की व्यवस्था की गई है। कुछ ही समय में विराजमान भगवान चन्द्र प्रभु, सिद्ध भगवान् एवं भगवान
बाद यह देश की महत्त्वपूर्ण लाइब्रेरी हो जायेगी। पार्श्वनाथ की प्रतिमाओं को दर्शनार्थ बाहर लाने से जो धर्मप्रभावना
प्रस्तुतकर्ता -डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन 'भारती' हुई है उसकी अनुमोदना करते हुए पूज्य मुनिश्री एवं संघ के प्रति
मन्त्री-अ.भा.दि. जैन विद्वत परिषद् हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती है। इस सम्बन्ध में विरोधियों द्वारा |
एल-65, न्यू इंदिरा नगर, ए, बुरहानपुर म.प्र. 30 अगस्त 2002 जिनभाषित -
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org