________________
उसके साहित्य का अध्ययन व अध्यापन हो तथा अनुसन्धान | अनुसन्धान व सम्पादन को प्रकाशित करेगा। एक शोध प्रत्रिका भी किया जाये।
इसी विभाग से प्रकाशित होगी। 9. जैन योग विभाग-यह विभाग जैन परम्परा द्वारा इनके अतिरिक्त अन्य विभाग भी आवश्यकतानुसार संभव प्रतिपादित योग एवं ध्यान पद्धतियों का प्रायोगिक व सैद्धान्तिक | हो सकते हैं, जिनकी जानकारी जैन विद्या के विशेषज्ञों से प्राप्त की अध्ययन करेगा। नये युग में योग की भूमिकाओं का ध्यान करते | जा सकती है। यह विश्वविद्यालय वास्तव में महत्त्वपूर्ण उच्च हुए उसे आधुनिक सन्दर्भो में प्रस्तुत करेगा। अन्य सभी योग शिक्षा का एक विशिष्ट केन्द्र होगा। स्नातकोत्तर कक्षाओं से एवं पद्धतियों के साथ तुलनात्मक अध्ययन होगा। यहाँ योग व ध्यान | जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की तरह व्यापक से सम्बन्धित पाण्डुलिपियों, ग्रंथों व अनुसन्धानों का सम्पादन व अनुसन्धान कार्यों के लिए स्थापित यह विश्वविद्यालय अपने आप प्रकाशन अपेक्षित है।
में अद्वितीय होगा। जिन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे विश्व 10. जैन विद्या एवं आधुनिक विज्ञान विभाग-इस | के अद्वितीय विश्वविद्यालय की स्थापना की ऐसे पण्डित मदन विभाग में जैन सिद्धान्तों का आधुनिक विज्ञान में योगदान व । मोहन मालवीय जी कोई सेठ नहीं थे, न ही कोई साधु, वे एक संभावनाओं पर अध्ययन, अनुसन्धान होगा। नयी-नयी पुस्तकें | संकल्पी, आत्मविश्वासी विद्वान् व कर्मठ पुरुष थे। अपनी भावनाओं लिखी जायेंगी, जिसमें आधुनिक विज्ञान व सिद्धान्तों का तुलनात्मक से न जाने क्या-क्या विपत्तियाँ एवं अपमान सहकर इसकी स्थापना विश्लेषण होगा।
की। आज यह विश्वविद्यालय पूरे विश्व में विख्यात है। देखना 11. जैन विधि-विधान विभाग- यह विभाग जैनधर्म | यह है कि अपना जैन समाज विश्वविद्यालय की स्थापना करके की सभी परम्पराओं की पूजन पद्धतियों, विधि-विधानों के स्वरूपों, समाज के इतिहास की एक बहुत बड़ी कमी की पूर्ति क्या कर प्रतिष्ठाओं तथा अन्य सभी संस्कारों एवं क्रिया-काण्डों की शास्त्रीयता पायेगा? क्या कोई नया इतिहास रचा जायेगा? बहुत से लोगों के व वैज्ञानिकता का अध्ययन, अनुसन्धान करेगा। अप्रकाशित ग्रंथों | मन में ये बाते हैं। कितनों ने प्रयास भी किये, बैरिस्टर चम्पत राय का प्रकाशन करेगा।
जी ने अब से सत्तर वर्ष पूर्व इसकी कल्पना की थी। किन्तु उन 12. आयुर्वेद चिकित्सा विभाग- यह जानकारी बहुत सब की आशाएँ अब तक हम पूरी नहीं कर पाए। हम अपने कम लोगों को है कि प्राकृतिक चिकित्सा, शुद्ध जड़ी-बूटी द्वारा | आपसी विवादों, कटुताओं, मनमुटाव, स्वार्थवादिताओं औषधि निर्माण आदि कार्य, जिन्हें आयुर्वेद के अन्तर्गत गिना | पदलोलुपताओं, नेतागिरी एवं आडम्बर-युक्त क्रियाकाण्डों में रहकर जाता है, इस विषय के अनेक शास्त्र जैनाचार्यों द्वारा रचे गये।। अपनी बहुमूल्य शक्ति व्यर्थ खर्च करते रहे। इसीलिए हम अब आयुर्वेद के क्षेत्र के विशेषज्ञ इस विभाग से इस ज्ञान राशि पर | तक इस दिशा में सफल नहीं हुए। हम नाकाम भले ही रहे हों, अनुसन्धान, अध्यापन व अध्ययन करेंगे। यह विभाग एक किन्तु नाउम्मीद नहीं हैं। यह स्वप्न कभी-न-कभी यथार्थ में प्रयोगशाला व एक रसायनशाला एवं चिकित्सालय भी स्थापित परिणत होकर रहेगा ऐसा हमें अब भी दृढ़ विश्वास है । क्योंकिकरेगा जिसमें जनसामान्य अपना इलाज भी करवा सकेंगे।
"दिल ना उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है। 13. अनुवाद विभाग-इस विभाग में सभी प्रमुख जैन
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।" शास्त्रों का अंग्रेजी सहित संसार की कई भाषाओं में अनुवाद
जैनदर्शन विभाग, दर्शन संकाय, करवाया जायेगा।
लालबहादुर शास्त्री, राष्ट्रीय विद्यापीठ, 14. प्रकाशन विभाग- यह विभाग सभी विभागों के
(मान्य विश्वद्यिालय), नई दिल्ली-16
साधर्मी वात्सल्य केन्द्र
आचार्य विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से धार्मिक प्रवृत्ति । लोगों को मिलेगी जो सच्चे देव-शास्त्र-गुरु का श्रद्धान, प्रतिदिन देवके साधर्मी भाई-बहिनों की सहायता करने की योजना बनाई है जिसमें | दर्शन करने का, रात्रि भोजन (अन्न) का त्याग तथा सप्त व्यसन त्याग बेरोजगारों को नौकरी दिलाना एवं रोजगार में मदद करना, बीमार
करने का नियम लेंगे। व्यक्तियों को औषधि आदि दिलवाना, अपंगों को साईकिल आदि
इच्छुक भाई-बहिन निम्न पते पर अपने प्रार्थना-पत्र भेज दिलवाना तथा पैर आदि लगवाना, गरीब महिलाओं को गृहस्थी
सकते हैं। चलाने हेतु सिलाई मशीन आदि दिलवाना, पोलियो आदि से पीड़ितों
साधर्मी वात्सल्य केन्द्र का आपरेशन आदि कराना आदि-आदि। तथा और जो भी सहायता
5911/8, स्वदेशी मार्केट, सदर बाजार, दिल्ली-6 कर सकेंगे उसे करने का प्रयास करेंगे। यह सहायता केवल उन्हीं |
3671644-3631318
18 अगस्त 2002 जिनभाषित
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org